Chandrayaan-3's Landing Countdown Begins: भारत के स्पेस मिशन को एक बड़ी कामयाबी मिली है। गुरुवार को भारत के चंद्रयान-3 मिशन ने अपनी मून मिशन में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। गुरुवार को, चंद्रयान 3 सफलतापूर्वक प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो गया। इससे भारत का मून मिशन चंद्रमा के बेहद करीब पहुंच गया है। इसके साथ ही चंद्रयान 3 की लैंडिग की प्रक्रिया यानी लैंडिंग काउंडाउन शुरू हो चुका है।
उक्त जानकारी भारतीय अनुसंधान संस्थान इसरो द्वारा जारी की गई। साफ शब्दों मं कहा जाये तो चंद्रयान 3 को दो भागों में विभाजित हो गया। आपको बता दें कि चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग से भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। यह संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन की कतार में शामिल हो जायेगा। हालांकि, किसी अन्य देश द्वारा कभी भी चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने का प्रयास नहीं किया गया है।
विक्रम लैंडर अब प्रोपल्शन मॉड्यूल के बिना चंद्रमा की यात्रा का अंतिम चरण शुरू करेगा। लैंडर मॉड्यूल (डोरबिट 1) का अगला स्थानांतरण कल यानी 18 अगस्त, लगभग 1600 बजे भारतीय समयानुसार निर्धारित है। एलएम को प्रोपल्शन मॉड्यूल (पीएम) से सफलतापूर्वक अलग हो गया है। इसरो ने कहा कि कल शाम 4 बजे के आसपास डीबूस्टिंग की योजना के बाद एलएम थोड़ी निचली कक्षा में उतरने के लिए तैयार है। बता दें कि चंद्रयान 3 चंद्रमा के आखिरी ऑर्बिट में मौजूद है।
17 अगस्त को, लैंडर मॉड्यूल को प्रोपल्शन मॉड्यूल अलग हो जाने से उनकी व्यक्तिगत यात्राएं शुरू होंगी। यह तैयारी का समय है क्योंकि प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अपनी अलग-अलग यात्राओं पर निकल चुके हैं। एक बड़े सौर पैनल और शीर्ष पर एक सिलेंडर से सजी एक बॉक्स के आकार की संरचना, प्रोपल्शन मॉड्यूल ने लैंडर और रोवर सेटअप को तब तक ले जाने का काम किया है जब तक कि अंतरिक्ष यान 100 किमी की चंद्र कक्षा तक नहीं पहुंच जाता। पृथक्करण के बाद, प्रोपल्शन मॉड्यूल संचार रिले उपग्रह के रूप में अपने कार्य में बना रहेगा।
इस बीच, लैंडर मॉड्यूल, जिसे विक्रम नाम दिया गया है, चंद्र सतह की ओर अपना स्वतंत्र प्रक्षेप पथ शुरू करने के लिए तैयार है। चार लैंडिंग पैरों और 800 न्यूटन के चार लैंडिंग थ्रस्टर्स से सुसज्जित, विक्रम को चंद्रमा की सतह पर हल्के टचडाउन के लिए तैयार किया गया है। विक्रम के भीतर प्रज्ञान नामक रोवर है और साथ में, उन्हें लैंडर मॉड्यूल कहा जाता है। एक बार सफल लैंडिंग हो जाने के बाद प्रज्ञान को तैनात किया जाएगा।
चंद्रमा के कम खोजे गए दक्षिणी ध्रुव के पास, 23 अगस्त को अपनी लक्षित लैंडिंग तिथि के करीब आने के साथ, मिशन के लिए उत्साह बढ़ रहा है। एक सफल परिणाम न केवल इसरो के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि का प्रतिनिधित्व करेगा, बल्कि चंद्र घटनाओं की हमारी समझ को बढ़ाने के लिए अमूल्य अंतर्दृष्टि भी प्रदान करेगा।
प्रोपल्शन मॉड्यूल का कार्या क्या है?
इसरो का कहना है कि प्रोपल्शन मॉड्यूल वर्तमान कक्षा में महीनों/वर्षों तक अपनी यात्रा जारी रखेगा। इस पर मौजूद SHAPE पेलोड पृथ्वी के वायुमंडल का स्पेक्ट्रोस्कोपिक अध्ययन करेगा और पृथ्वी पर बादलों से ध्रुवीकरण में भिन्नता को माप सकेगा। यह ऐसे एक्सोप्लैनेट की खोंज करेगा जो मानव जीवन के लिए अनुकूल होंगे। जानकारी के लिए बता दें कि इस पेलोड को यू आर राव सैटेलाइट सेंटर/इसरो, बेंगलुरु द्वारा आकार दिया गया है।
चंद्रयान-3 में चार इंजन हैं?
चंद्रयान-2 लैंडर को 500mx500m क्षेत्र में उतरना था। इसका मतलब था कि लैंडर में कोई फ्लेक्सिबिलिटी नहीं थी। चंद्रयान-3 के मामले में लैंडिंग क्षेत्र को 4 किमी x 2.5 किमी तक बढ़ा दिया गया है। चंद्रयान 3 की विफलता की संभावना को कम करने के लिए इसरो ने यह सुनिश्चित किया है कि चंद्रयान 3 के लैंडर के पैर अधिक मजबूत और उच्च ईंधन क्षमता वाला है। इसने मिशन के दौरान संभावित त्रुटियों पर प्रतिक्रिया करने के लिए यान को अधिक फ्लेक्सिबिलिटी देने के लिए काम किया है। यह लैंडर, लैंडिंग से पहले लैंडिंग क्षेत्र के चारों ओर घूमने के लिए तैयार किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि इस पूरे मिशन को देखते हुए कह सकते हैं कि इसमें विफलता की कोई गूंजाइश नहीं है।
चंद्रयान 3 का उद्देश्य क्या है?
चंद्रयान 3, 2019 में चंद्रयान 2 का एक फॉलोअप मिशन है, जो अब चंद्रमा की सतह व दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के लिए पूरी तरह से तैयार है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का चंद्रयान-3 एक बड़े पैमाने की परियोजना है। इस मिशन का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास एक लैंडर और रोवर को उतारना और एंड-टू-एंड लैंडिंग और रोविंग क्षमताओं का प्रदर्शन करना है। चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 की अगली कड़ी है। 14 जुलाई 2023 को दोपहर करीब 2 बज कर 35 मिनट पर भारत के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से मिशन चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया था।
भारत और रूस के मून मिशन की लैंडिंग की तिथि नवीनतम अपडेट के अनुसार, चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान एक और कक्षा में भ्रमण प्रक्रिया से गुजरने के बाद बीते बुधवार को चंद्रमा की सतह के करीब पहुंच गया है। इसके 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरने की उम्मीद है। भारत के चंद्रयान-3 के लॉन्च होने के बाद, मॉस्को से 3,450 मील (5,550 किमी) पूर्व में रूस के स्पेसपोर्ट, वोस्तोचन कॉस्मोड्रोम से लॉन्च किये गये लूना-25 मून लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर 21 अगस्त को उतरने की उम्मीद है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा लगभग 600 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित, चंद्रयान 3 को 14 जुलाई 2023 की दोपहर 2.35 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च वाहन मार्क -3 का उपयोग करके लॉन्च किया गया था, जिसे पहले जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च वाहन एमके के रूप में जाना जाता था। मून मिशन की यात्रा में चंद्रयान 3 ने अपनी यात्रा में एक रोवर (प्रज्ञान) और एक लैंडर (विक्रम) को साथ ले गया था। भारत के मून मिशन चंद्रयान 3 का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बनने का है। बता दें कि हाल के वर्षों में चंद्रमा पर पानी एवं बर्फ की उपस्थिति के कारण दुनिया भर में मून मिशन को लेकर जबरदस्त वैज्ञानिक रुचि पैदा हुई है।
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