Chandrayaan-3 Landing Updates: इतिहास रचेगा भारत का चंद्रयान 3, जानिये क्या होगा लैंडिंग के पहले 20 मिनट में?

Chandrayaan-3 Landing Updates: 23 अगस्त 2023 यानी आज, बुधवार। भारत के इतिहास में एक ऐतिहासिक और रोमांचक दिन है। केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्व का हर देश उस क्षण का बेसब्री से इंतजार कर रहा है, जब भारत का चंद्रयान 3, चंद्रमा की धरती के साउथ पोल में लैंडिंग का प्रयास करेगा। इसरो द्वारा जारी नवीनतम जानकारी के अनुसार, भारत का बहुप्रतीक्षित लूनार मिशन चंद्रयान 3 की लैंडिंग के लिए पूरी तरह से तैयार है।

इतिहास रचेगा भारत का चंद्रयान 3, जानिये क्या होगा लैंडिंग के पहले 20 मिनट में?

भारत के चंद्रयान 3 मिशन के तहत बुधवार को चंद्रमा के साउथ पोल के पास लैंडर मॉड्यूल यानी रोवर प्रज्ञान के साथ विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के लिए प्रयास किया जायेगा। भारत द्वारा किया जाने वाला यह प्रयास यदि सफल रहा तो यह क्षण ऐतिहासिक होगा और इससे भारत एक नया इतिहास रचेगा। भारत, चंद्रमा की धरती के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाले पहला देश बन जायेगा।

हालांकि चंद्रयान 3 के लैंडिंग के आखिरी कुछ मिनट काफी रोमांचक होने वाले हैं, क्योंकि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग का प्रयास इतना आसान नहीं होगा। इसरो के वैज्ञानिकों को चंद्रयान 3 के सफल एवं सॉफ्ट लैंडिंग को लेकर पूरा भरोसा है, लेकिन फिर भी उस क्षण का देशवासी खुद गवाह बनना चाहते हैं, जब तमाम कोशिशों के बाद भारत चांद पर अपना झंडा गाडे़गा। आपको बता दें कि 23 अगस्त 2023 शाम के 6 बज कर 04 मिनट (IST) पर चंद्रयान 3 चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करेगा।

चंद्रमा के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान अंतिम 20 मिनट काफी महत्वपूर्ण और निर्णायक होंगे। वैज्ञानिकों के अनुसार, पूरे मिशन की सफलता इन्हीं चंद मिनटों पर निर्भर करती है। चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान रोवर के गति को नियंत्रित करने से लेकर संतुलित रखने का काम इन्हीं कुछ मिनटों में किया जाना है। आपको बता दें कि भारत के दूसरे लूनार मिशन यानी चंद्रयान 2 को असफलता इन्हीं क्षणों में मिली थी, और लैंडिंग के दौरान चंद्रयान 2 यहीं लड़खड़ाया था।

चंद्रयान-3 की यात्रा और लैंडिंग प्रक्रिया

अभी तक जो खबरें सामने आई हैं उनके अनुसार, चंद्रयान 3 की सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास बुधवार को ही किया जायेगा। विक्रम लैंडर 25 किमी की ऊंचाई से चंद्रमा की सतह की ओर उतरना शुरू कर देगा। यदि लैंडिंग के दौरान किसी भी असामान्य परिस्थिति का अनुभव किया जाता है, तो 27 अगस्त को लैंडिंग का दूसरा प्रयास किया जायेगा। इसरो द्वारा यह फैसला स्थिति का परीक्षण करने के बाद लिया जा सकता है।

इस प्रक्रिया में, विक्रम लैंडर 1.68 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ेगा, जो लगभग 6048 किमी प्रति घंटा है। यह एक हवाई जहाज की रफ्तार से लगभग दस गुना है। लगभग 400 मीटर की उंचाईं से लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा की सतह का मुआयना करेगा। लगभग 100 मीटर की ऊंचाईं से लैंडर विक्रम चांद के सतह पर उतरने के लिए उचित स्थान की तलाश करेगा।

इसके बाद विक्रम लैंडर अपने सभी इंजनों के चालू होने के साथ धीमा हो जायेगा। लेकिन इस प्रक्रिया में लैंडर अभी भी चंद्रमा की सतह पर लगभग क्षैतिज स्तर पर होगा, जिसे रफ ब्रेकिंग चरण कहा जाता है, जो लगभग 11 मिनट तक चल सकता है।

इसके बाद कुछ युक्तियों के माध्यम से विक्रम लैंडर को चंद्रमा की सतह पर लंबवत बनाया जायेगा। इसके साथ ही फाइन ब्रेकिंग चरण शुरू हो जायेगा। आपको बता दें कि इसी फाइन ब्रेकिंग चरण में चंद्रयान -2 लॉन्च के दौरान विक्रम लैंडर नियंत्रण से बाहर हो गया और दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।

चंद्रमा की सतह से 800 मीटर ऊपर, क्षैतिज (horizontal) और ऊर्ध्वाधर (vertical) दोनों वेग शून्य हो जाते हैं और विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह के ऊपर परिक्रमा करते हुए लैंडिंग स्ट्रिप का सर्वेक्षण करेगा। लैंडिंग के दौरान असुविधाओ और खतरे का पता लगाने और सफल सॉफ्ट लैंडिंड के लिए सर्वश्रेष्ठ साइट की खोज करने के लिए विक्रम लैंडर 150 मीटर की ऊंचाईं पर परिक्रमा करते हुए तस्वीरे लेगा।

उपयुक्त स्थान की तलाश के बाद लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा की सतह पर उतरने की कोशिश करेगा। इस दौरान मॉड्यूल में लगा सेंसर इंजन बंद करने के लिए संकेत भेजेगा। इसके बाद यह केवल दो इंजनों की फायरिंग के साथ चंद्रमा की सतह को छूएगा। इसके पैरों को अधिकतम 3 मीटर/सेकंड या लगभग 10.8 किमी प्रति घंटे का प्रभाव लेने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

एक बार जब पैरों पर लगे सेंसर चंद्रमा की सतह को महसूस कर लेंगे, तो इंजन बंद हो जायेंगे और अंतिम बीस मिनट सफल साबित होंगे। चंद्रमा पर रेजोलिथ नामक धूल के स्थिर होने के बाद लैंडर का रैंप खुल जायेगा और प्रज्ञान रोवर धीरे-धीरे नीचे की ओर उतरेगा। लैंडर विक्रम से चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद रोवर प्रज्ञान चारों ओर परिक्रमा करने और घूमने के लिए स्वतंत्र होगा।

इसके बाद विक्रम लैंडर रोवर की और रोवर विक्रम लैंडर की तस्वीरें लेगा और भारत को सतह की पहली तस्वीर भेजेगा। इसके बाद रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह का अध्ययन शुरू करेगा। जानकारी के लिए बता दें कि विक्रम लैंडर और रोवर दोनों सौर ऊर्जा से संचालित हैं और एक चंद्र दिन तक चलने के लिए बने हैं। एक चंद्र दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जायेगा।

चंद्रयान 3 में कुल खर्च कितना है?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO के अनुसार, भारत के महात्वाकांक्षी लूनार मिशन चंद्रयान-3 को तैयार करने पर कुल 615 करोड़ रुपये का खर्च आया। बता दें कि चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम, रोवर प्रज्ञान और प्रपल्शन मॉड्यूल को तैयार करने की कुल लागत 250 करोड़ रुपये है। इसके साथ ही चंद्रयान 3 के लॉन्च पर 365 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं। वहीं अगर बात चंद्रयान 2 की करें तो इसे बनाने में कुल 978 करोड़ का लागत आया था। इसमें ऑर्बिटर, लैंडर, रोवर, नेविगेशन और ग्राउंड सपोर्ट नेटवर्क पर लगभग 603 करोड़ रुपये और जियो स्टेशनरी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल पर करीब 375 करोड़ रुपये खर्च किये गये थे। चंद्रयान 2 में ऑर्बिटर का खर्च सबसे अधिक था, इसलिए चंद्रयान 3 में ऑर्बिटर नहीं लगाया गया है।

चंद्रयान-3 रोवर चंद्रमा पर छोड़ेगा भारत के निशान

चंद्रयान -3 भारत का तीसरा लूनार मिशन है, जो कि चंद्रयान-2 मिशन का अनुवर्ती है। चंद्रयान-3 मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग करना और घूमने में एंड-टू-एंड क्षमता का प्रदर्शन करना है। इसमें छह पहियों वाला लैंडर मॉड्यूल है, जो चंद्रमा की सतह से संबंधित डेटा प्रदान करने के लिए पेलोड के साथ कॉन्फ़िगर किया गया है। हालांकि, चंद्रमा की सतह पर रोवर डेटा एकत्र करने के अलावा और भी बहुत परीक्षण करेगा।

रोवर प्रज्ञान के पिछले पहिये पर इसरो और राष्ट्रीय प्रतीक के निशान बने हैं। यह चंद्रमा की सतह पर अशोक स्तंभ के चिह्न बनाएगा, जो कि भारत की उपस्थिति का प्रतीक होगा। रोवर के पिछले पहिये पर इसरो के लोगो का चिह्न बना हुआ है। इसरो द्वारा साझा किये गये एक वीडियो में चंद्रयान -3 मिशन के रोवर पर ये निशान दिखाये गये हैं।

For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

English summary
Chandrayaan-3 Landing Updates: Although the last few minutes of Chandrayaan 3's landing are going to be quite exciting, as the attempt to land on the South Pole of the Moon will not be that easy. ISRO scientists are fully confident about the successful and soft landing of Chandrayaan 3, but still the countrymen themselves want to witness that moment when India will plant its flag on the moon after all the efforts. Let us tell you that on August 23, 2023, at 6.04 pm (IST), Chandrayaan 3 will attempt a soft landing on the lunar surface.
--Or--
Select a Field of Study
Select a Course
Select UPSC Exam
Select IBPS Exam
Select Entrance Exam
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
Gender
Select your Gender
  • Male
  • Female
  • Others
Age
Select your Age Range
  • Under 18
  • 18 to 25
  • 26 to 35
  • 36 to 45
  • 45 to 55
  • 55+