केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में श्रम एवं रोजगार तथा युवा मामले एवं खेल मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया के साथ जॉब्स एट योर डोरस्टेप: ए जॉब्स डायग्नोस्टिक्स फॉर यंग पीपल इन सिक्स स्टेट्स शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की। इस कार्यक्रम के दौरान धर्मेंद्र प्रधान ने कहा एनईपी 2020 स्कूलों में कौशल विकास को एकीकृत करता है तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था के संचालन के लिए भविष्य के लिए तैयार कार्यबल का निर्माण करता है। उन्होंने कहा, यह रिपोर्ट नई संरचना के निर्माण को सक्षम करेगी और हमारी जनसंख्या को सशक्त बनाने के लिए प्रगतिशील नीतियां निर्मित करेगी।
धर्मेंद्र प्रधान ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए छह राज्यों पर विस्तृत रिपोर्ट के लिए विश्व बैंक की टीम की सराहना की। उन्होंने विश्व बैंक की टीम को अखिल भारतीय रूपरेखा अपनाने का सुझाव भी दिया। उन्होंने कहा कि कौशल और नौकरियों पर इस तरह की गहन जांच हितधारकों को नई वास्तुकला बनाने और हमारी जनसंख्या को सशक्त बनाने के लिए प्रगतिशील नीतियां बनाने में सक्षम बनाएगी। उन्होंने नौकरियों और रोजगार की परिभाषा को व्यापक बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। प्रधान ने कहा कि रूपरेखा को व्यापक बनाया जाना चाहिए और आर्थिक अवसरों और सशक्तिकरण के परिप्रेक्ष्य से देखा जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भारत को वैश्विक कौशल केंद्र में परिवर्तित के दृष्टिकोण के प्रति आभार व्यक्त करते हुए, मंत्री ने कहा कि देश की जनसंख्या वैश्विक अर्थव्यवस्था का चालक होगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए कौशल विकास की शुरुआत स्कूलों से ही होनी चाहिए और एनईपी 2020 में स्कूलों में कौशल विकास को मुख्यधारा में लाने की परिकल्पना की गई है।
'समग्र सरकार' दृष्टिकोण की आवश्यकता
केंद्रीय मंत्री प्रधान ने यह भी कहा कि तकनीकी व्यवधान नौकरियों और आर्थिक गतिविधियों की प्रकृति को बदल देंगे और भविष्य के लिए कार्यबल को लगातार कौशल प्रदान करना और पुनः कौशल प्रदान करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि विश्व की कौशल राजधानी के रूप में उभरने के लिए हमारी जनसंख्या को कौशल प्रदान करने, कौशल स्तर में वृद्धि करने और पुनः कौशल प्रदान करने के लिए एक 'समग्र सरकार' दृष्टिकोण और सहयोगात्मक रूप से कार्य करने की आवश्यकता है।
हब-एंड-स्पोक मॉडल
डॉ मनसुख मंडाविया ने अपने संबोधन में बताया कि पिछले बजट में हब-एंड-स्पोक मॉडल के अनुसार क्षेत्र-विशिष्ट कौशल और रोजगार की संभावनाओं का दोहन करने के लिए पाठ्यक्रम विकसित करने का प्रस्ताव किया गया था। उन्होंने रोजगार से परे नौकरी की परिभाषा को सही करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि अकादमिक शिक्षा में अनौपचारिक शिक्षा को शामिल करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने विकसित भारत के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रतिबद्धता के लिए उनका आभार व्यक्त किया, जो देश को कुशल प्रतिभाओं का वैश्विक केंद्र बनाने की ओर अग्रसर कर रहा है।
कौशल शिक्षा की संस्कृति को विकसित करने की आवश्यकता
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'समग्र सरकार' दृष्टिकोण को दोहराया, जिसने कौशल शिक्षा की संस्कृति को विकसित करने के लिए स्कूलों में प्रणालियां विकसित करने के लिए दोनों मंत्रालयों के बीच सहयोग को प्रेरित किया है। निपुणता हासिल करने के लिए कौशल का अभ्यास करने के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 छात्रों में परिश्रम और निरंतर अभ्यास को प्रोत्साहन देने की अनुशंसा करता है।
भारत को उत्पादक अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य
केंद्र सरकार वर्ष 2047 तक अर्थव्यवस्था को उच्च आय वाले देश का दर्जा दिलाने की महत्वाकांक्षी योजना पर कार्यरत है। भारत को एक उत्पादक अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, उसे अपने रोजगार परिदृश्य के सामने आने वाली चुनौतियों का तत्काल समाधान करने और अपने कार्यबल को तैयार करने की आवश्यकता है। शैक्षिक सुधार और बाजार से जुड़े कौशल विकास (एसडी) से जुड़े बहुआयामी, गतिशील, अभिसरण दृष्टिकोण भारत को अपनी नौकरी वृद्धि क्षमता तक पहुँचने में सहायता करेंगे। केंद्र सरकार द्वारा किए जाने वाले प्रमुख सुधार व्यावसायिक शिक्षा क्षेत्र को एक विकेंद्रीकृत, स्थानीय बाजार-आधारित, समावेशी और वित्तीय रूप से दीर्घकालीन क्षेत्र बनाने में सहायता करेंगे, ताकि उच्च आय वाले भारत के लिए आवश्यक कौशल के लिए कार्यबल को प्रशिक्षित किया जा सके।
"नौकरियां आपके द्वार पर" रिपोर्ट
शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ) 2023 को जारी करके इस मोर्चे पर बड़ी प्रगति की है। दोनों नीतियां स्कूलों में कौशल के महत्व पर जोर देती हैं। एनईपी के अंतर्गत वर्ष 2025 तक 50 प्रतिशत छात्रों की कौशल शिक्षा तक पहुंच संभव बनाने और वर्ष 2030 तक सभी माध्यमिक विद्यालयों को कौशल शिक्षा प्रदान करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। जैसा कि भारत इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए तैयार है, "नौकरियां आपके द्वार पर" रिपोर्ट शिक्षा और भारत के रोजगार एजेंडे के बीच रणनीतिक संबंध और अभिसरण प्रदान करने के लिए एक निदान और रोडमैप दोनों के रूप में कार्य करती है। यह छह राज्यों: हिमाचल प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान के नौकरी परिदृश्य में जमीनी स्तर पर जाता है और प्रमुख प्राथमिकता वाले क्षेत्रों और भूमिकाओं की पहचान करता है जो माध्यमिक विद्यालय से स्नातक होने वाले युवाओं के लिए सबसे अधिक रोजगार क्षमता प्रदान करते हैं।
कक्षा 9-12 तक कौशल-आधारित शिक्षा प्रदान करने का लक्ष्य
विश्व बैंक शिक्षा मंत्रालय को राज्यों के लिए शिक्षण-शिक्षण और परिणाम सुदृढ़ीकरण (स्टार्स) नामक कार्यक्रम में सहायता करता है, जिसमें हिमाचल प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान (सामूहिक रूप से स्टार्स राज्य) शामिल हैं। स्टार्स योजना में एक राष्ट्रीय घटक है जिसके तहत प्रमुख सुधारों को साझा किया जाता है और कार्यान्वयन के लिए प्रसारित किया जाता है। यह रिपोर्ट छह राज्यों के जिलों में जमीनी स्तर से जाकर, नीचे से ऊपर के दृष्टिकोण पर निर्भर करते हुए, छात्रों को विविध कैरियर पथों के लिए तैयार करने के लिए कक्षा 9-12 से कौशल-आधारित शिक्षा को शामिल करने के महत्वपूर्ण लाभों को रेखांकित करती है। ये अलग-अलग सामाजिक-आर्थिक प्रोफाइल पेश करते हैं जो इस बात का एक सूक्ष्म दृष्टिकोण प्रदान करते हैं कि उद्योग और सरकार दोनों नौकरियों के एजेंडे में कैसे योगदान दे सकते हैं।
जॉब्स एट योर डोरस्टेप क्या है?
जॉब्स एट योर डोरस्टेप एक कौशल अंतर विश्लेषण है जो स्कूलों में प्रस्तुत किए जाने वाले शिल्पों को उन जिलों की उद्योग-विशिष्ट आवश्यकताओं के साथ संरेखित करने का प्रयास करता है जहां स्कूल मौजूद हैं। अध्ययन की पहल छह स्टार्स राज्यों में गहन प्राथमिक और माध्यमिक शोध के माध्यम से कौशल शिक्षा की प्रस्तुति को फिर से परिभाषित करने के लिए की गई थी।
इस कार्यक्रम में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के सचिव अतुल कुमार तिवारी, विश्व बैंक, भारत के कंट्री डायरेक्टर ऑगस्टे तानो कौमे, विश्व बैंक, भारत की प्रमुख शिक्षा विशेषज्ञ शबनम सिन्हा, मंत्रालयों के अधिकारी और कुछ स्कूलों के प्रधानाचार्य भी मौजूद थे।