ISRO Chief S. Somanath Biography: कौन है डॉ. एस सोमनाथ, इन्हें क्यों कहा जा रहा मून मिशन का रियल हीरो

S. Somanath Profile: साल 2019 पूरे विश्व की निगाहें जिस प्रकार से हमारे मून मिशन पर थी, आज भी बिल्कुल वैसी ही घड़ी नजर आ रहा है। चंद्रयान-2 की विफलता के बाद अब दुनिया चंद्रयान-3 की सफलता का इंतजार कर रहा है। ये इंतजार अब खत्म हुआ। बीते 14 जुलाई को लॉन्च किया गया ये मिशन आज यानी 23 जुलाई को शाम के 06:04 बजे चंद्रमा पर लैंड कर चुका है। चंद्रयान 3 ने चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग कर ली है। ये सफलता भारत और भारतवासियों के लिए यह काफी गर्व की बात है।

ISRO Chief S. Somanath: कौन है डॉ. एस सोमनाथ, इन्हें क्यों कहा जा रहा मून मिशन का रियल हीरो

चंद्रमा के जिस हिस्से पर आज तक कोई देश न पहुंच सका, वहां भारत अपना परचम लहरा दिया और दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया है। कहा जा रहा था कि अगर भारत का ये मिशन सफल हो जाता है तो भारत भी अमेरिका, रूस और चीन की तरह महाशक्ति बनकर दुनिया के सामने आएगा और अपने जज्बे को दुनिया को दिखलाएगी। लेकिन क्या आपने सोचा कि इतिहास रच देने वाले भारत के इस मून मिशन के रियल हीरो कौन है? तो चलिए आपको बताते हैं..

इसरो के साइंटिस्टों ने दिनरात की कड़ी मेहनत करके चंद्रयान-3 के लिए अपना अमूल्य योगदान दिया, उनके बारे में भी हर भारतीयों को जानना बेहद जरूरी है। आज हम आपको बताएंगे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष डॉ. एस सोमनाथ के बारे में, जिनका योगदान इस मिशन के लिए बेहद खास रहा और उन्होंने अपनी जिंदगी के चार साल इस मिशन के लिए समर्पित कर दिया। इन्हीं के नेतृत्व में मून मिशन 'चंद्रयान-3' को लॉन्चिंग किया गया और आज ये मिशन इतिहास रचने के लिए तैयार है।

एयरोस्पेस इंजीनियर से मून मिशन के रियल हीरो बनने तक का सफर

एयरोस्पेस इंजीनियर रहते हुए डॉ. एस सोमनाथ ने व्हीकल मार्क 3 डिजाइन किया, जिसे बाहुबली रॉकेट भी कहा जाता है। इसी रॉकेट ने ही चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचाया, जिसके चलते ही आज पूरी दुनिया की निगाह भारत पर टिकी हुई है। डॉ. एस सोमनाथ ने पिछले साल जनवरी में इसरो के अध्यक्ष का पदभार संभाला और आज वे इस महत्वाकांक्षी मिशन के रियल हीरो कहलाए जा रहे हैं।

डॉ. एस सोमनाथ का करियर

इसरो चीफ बनने के पहले डॉ. एस सोमनाथ विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) और तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र के निदेशक के रूप में भी काम कर चुके हैं। इन दोनों केंद्रों को इसरो के लिए रॉकेट प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए जिम्मेदार प्राथमिक केंद्र माना जाता है। उनके नेतृत्व न सिर्फ चंद्रयान -3 बल्कि आदित्य-एल 1 और गगनयान भी संचालित होगा। बता दें कि आदित्य-एल 1, सूर्य का अध्ययन करने के लिए एक मिशन है जबकि गगनयान, भारत का पहला मानव मिशन है। पढ़ाई की बात की जाए तो डॉ. सोमनाथ ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बेंगलुरु से पढ़ाई की है।

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English summary
S. Somanath Profile: It is very important for every Indian to know about the scientists of ISRO who worked hard day and night and made their invaluable contribution for Chandrayaan-3. Today we will tell you about Dr. S. Somnath, President of the Indian Space Research Organization (ISRO), whose contribution was very special for this mission and he dedicated four years of his life to this mission.
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