ISRO Upcoming Mission: चंद्रयान 3 के चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंड होने के बाद अब भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी - इसरो (ISRO) अपने आगामी प्लान की तैयारी में लग गए है। मून मिशन सफल होने के बाद वैज्ञानिक अपने सौर मिशन के लिए तैयारी में लग चुके हैं। चंद्रयान 3 और सौर यान के अवाला भी इसरो कई मिशन की तैयारी में लगा हुआ है।
आगामी मिशन की अपनी लंबी सूची के साथ इसरो अंतरिक्ष में नई उपलब्धियां प्राप्त करने की दिशा में काम कर रहा है। जैसे चंद्रयान 3 के दक्षिणी धुव्र में उतरने से भारत विश्व का पहला देश बना है, जिसने चंद्रमा के डार्क साइड पर कदम रखा है, उसी प्रकार इसरो और नई उपलब्धियों को अपने नाम करने लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।
विश्व स्तर पर अपनी क्षमता को साबित करने वाला इसरो आने वाले समय में नासा के साथ भी मिलकर काम करने वाला है, जिसकी जानकारी हम आपको इस लेख में देंगे। 23 अगस्त को चंद्रयान 3 की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इसरो चीफ एस. सोमनाथ द्वारा सितंबर में आदित्य-एल 1 मिशन लॉन्च करेगा। आइए आपको आने वाले सभी मिशन और उनमें होने वाले खर्चों के बारे में बताएं।
आदित्य एल 1 (सौर मिशन)
चंद्रयान 3 के बाद अब इसरो सितंबर में सूर्य मिशन लॉन्च आदित्य एल-1 को लॉन्च करने की तैयारी में जुटा हुआ है। ये भारत का पहला स्पेस मिशन है, जिसके माध्यम से सूर्य के रहस्यों का अध्ययन किया जाएगा। इस अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी की प्रणाली के लैंग्रेंज बिंदु पर रखा जाएगा। ये बिंदु पृथ्वी से 1.5 मिलियन दूर है। दरअसल आदित्य एल 1 के लिए लैंग्रेज बिंदु को इसलिए चुना गया है, क्योंकि ये ग्रहण से बाधित हुए बिना अपनी निरीक्षण जारी रख सकता है। इस मिशन की लागत 378 करोड़ रुपये है।
नासा-इसरो एसएआर (निसार) उपग्रह
इसरो अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ मिलकर एक मिशन को अंजाम तक पहुंचाने की तैयारी भी शुरू कर दी है। बता दें कि ये मिशन पृथ्वी अवलोकन (Earth Observation) के लिए उपग्रह स्थापित करेगा। इस मिशन को लेकर दोनों ही अंतरिक्ष एजेंसियों ने समझौता कर लिया है। नासा द्वारा इस मिशन से संबंधित जानकारी देते हुए बताया कि नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार- पृथ्वी की भूमि और बर्फ की सतह की गतिविधियों को सूक्ष्मता से ट्रैक कर सकता है। इसके साथ ये मिशन जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, ग्लेशियरों के पिघलने, ज्वालामुखी और भूकंप की गहरी समझ प्राप्त कर सकता है। नासा और इसरो दोनों ने ही मिशन से संबंधित जानकारी आधिकारिक वेबसाइट पर भी जारी की गई है।
ये मिशन 2024 में लॉन्च किया जाएगा। मिशन में संयुक्त रूप से कुल 12,296 करोड़ रुपये की लागत आएगी। नासा और इसरो के बीच ये समझौता 2014 में हुआ था और तभी से इस मिशन पर लगातार काम किया जा रहा है।
XPoSat - एक्स-रे स्रोतों का अध्ययन करने का मिशन
इसरो का अगला मिशन 2024 में XPoSat है। ये भारत का पहला समर्पित पोलारिमेट्री मिशन है। जिसके माध्यम से उज्जवल खगोलीय एक्स-रे स्रोतों की विभिन्न गतिशीलता का अध्ययन करना है। इस मिशन के माध्यम से ब्लैक होल, न्यूट्रॉन तारे, सक्रिय गैलेक्टिक नाभिक, पल्सव पवन निहारिका आदि तंत्र जटिल भौतिक प्रक्रियाओं से उत्पन्न होता है और इसे समझना चुनौतीपूर्ण है। इस अंतरिक्ष यान पृथ्वी की निचली कक्षा में दो वैज्ञानिक पेलोड लेकर जाएगा
गगनयान मिशन - पहली मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान
इसरो के आगामी मिशन में मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन भी शामिल किया गया है। इस मिशन पर इसरो का काम हो रहा है। पहले इस मिशन की निर्धारित तिथि 2020 थी, लेकिन कोरोना के कारण कई मिशनों में देरी हो गई है। जिसमें से एक मिशन है गगनयान। इस मिशन पर 3 दिनों के लिए 2 सदस्यों के लिए चालक दल को 400 किमी की कक्षा में लॉन्च करके और भारतीय समुद्री जल में उतरे जाएगा। इसके बाद पृथ्वी पर वापस आकर मानव उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करने की परिकल्पना की गई है। गगनयान मिशन के लिए 9,023 करोड़ की लागत लगेगी।
मंगलयान 2
मंगलयान के सफल होने अब इसरो मंगलयान 2 को लॉन्च करने के लिए तैयार है। मंगलयान के साथ संपर्क टूटने के बाद मंगलयान 2 लॉन्च करने का प्लान बनाया गया है। इसे 2024 में लॉन्च किया जाएगा।
स्पैडेक्स मिशन
स्पैडेक्स मिशन जुड़वां अंतरिक्ष यान का मिशन है, जिसकी लागत 124 करोड़ रुपये की है। ये मिशन मानव अंतरिक्ष उड़ान, अंतरिक्ष उपग्रह सर्विसिंग और अन्य में अनुप्रयोगों के दायरे के साथ कक्षीय मिलन, डॉकिंग, गठन उड़ान और अन्य निकटता संचालन से संबंधित परिपक्व प्रौद्योगिकियों के लिए विकसित किया जा रहा है। ये मिशन 2024 के तीसरे क्वार्टर महीने में लॉन्च किया जाएगा।