What is Chandrayaan: चंद्रयान भारत का एक अंतरिक्ष मिशन है, जिसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा का सर्वेक्षण और अध्ययन करना है। यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा संचालित किया जाता है। इसके तीन अलग-अलग मिशन रहे हैं - चंद्रयान-1, चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3। इसे मून-ट्रैवेलर (Moon Traveller) या मून व्हीकल (Moon Vehicle) भी कहा जाता है। यह चंद्रमा से संबंधित चीजों के अध्ययन के लिए लॉन्च किया गया था, जिसके पहले सीरीज को चंद्रयान-1 (Chandrayaan-1) का नाम दिया गया था, जिसे अक्टूबर 2008 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था, जिसका 312 दिन बाद अगस्त 2009 में संचार बंद हो गया था।
यह भारत की पहली मानवरहित श्रृंखला थी, जिसमें एक चंद्र ऑर्बिटर (Lunar Orbiter) और एक इम्पैक्टर (Impactor) शामिल था। चंद्रयान-1 मिशन सफलतापूर्वक पूरा किया गया था। लेकिन फिर 10 साल बाद 2019 में चंद्रयान-2 मिशन का प्रयास किया गया, जिसमें सफलता तो नहीं मिली लेकिन काफी अधिक जानकारी मिली। इस मिशन में लांदर विक्रम को चंद्रमा तक पहुंचाने का प्रयास किया था, लेकिन डाटा में असामान्य तापमान और गतिविधियां इसके विफल होने का मुख्य कारण बनी। हाल ही में, चंद्रयान-3 को सरगर्मियां तेज हो गई हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य है- चंद्रमा की गणना, उसकी तापमान और अत्यंत रेखाओं का अध्ययन करना।
चंद्रयान-1, चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 में अंतर (Difference Between Chandrayaan 1, 2 And 3)
जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि यह चंद्रयान मिशन के तीन अलग-अलग पार्ट है- चंद्रयान-1, चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3..। चंद्रयान-1 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के निकटतम मार्गदर्शक सत्ता के लिए तकनीक तैयार करना था जबकि चंद्रयान-2 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा पर चांद सामरिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और तकनीकी अवधारणा का अध्ययन और अनुसंधान करना था। वहीं, चंद्रयान-3 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह की जांच के लिए बनाया गया है।
इसके अलावा सफल होने की बात की जाए तो चंद्रयान-1 भारत का पहला अंतरिक्ष मिशन था, जो विफल रहा। जबकि चंद्रयान-2 भी असफल रहा लेकिन चंद्रयान-3 के बारे में कहा जा रहा है, यह मिशन भारत का सबसे सफल मिशन बनेगा। वहीं, चंद्रयान मिशन के संघर्ष के विषय में बात की जाए तो चंद्रयान-1 लगभग एक साल (313 दिन) तक संघर्ष करता रहा जबकि चंद्रयान-2 ने करीब डेढ़ महीने (47 दिन) तक संघर्ष किया लेकिन चंद्रयान-3 अगले 14 जुलाई को लॉन्च किया जाएगा।
- चंद्रयान 1 का वजन 1,380 किलो का था और चंद्रयान 2 का वजन 3,850 किलो का था तो वहीं चंद्रयान 3 का वजन 3,900 किलोग्राम का है। जो पहले दोनों चंद्रयान की तुलना में सबसे अधिक है।
- चंद्रयान 1 चंद्रमा पर लैंड नहीं हुआ था। चंद्रयान 1 ने चंद्रमा के 3400 से अधिक चक्कर लगाए थे और 312 दिन के ऑपरेशन को अंजाम दिया था। वहीं चंद्रयान 2 ने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी। अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथा ऐसा देश बना जिसने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की।
- चंद्रयान 1 को पीएसएलवी सीII के माध्यम से लॉन्च किया गया था और चंद्रयान 2 को जीएसएलवी एमके-III के माध्यम से लॉन्च किया गया था। वहीं चंद्रयान 3 को फैट बॉय एलवीएम-3 से लॉन्च किया जाएगा।
- चंद्रयान 1 से चंद्रमा पर पानी है या नहीं इसकी जानकारी प्राप्त करने के लिए भेजा गया था। चंद्रयान 1 के बाद चंद्रयान 2 को हीलियम 3 की मौजूदगी पता लगाने के लिए भेजा गया था।
- चंद्रयान 1 में कंपोनेंट में ऑर्बिटर, लैंडर, प्रज्ञान रोवर था और चंद्रयान 2 के मुख्य कंपोनेंट ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर था वहीं चंद्रयान 3 में कंपोनेंट में प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर है।
चंद्रयान-1 के बारे में... (Chandrayaan 1)
- यह 22 अक्टूबर 2008 को लॉन्च किया गया था, जो 313 दिन तक चंद्रमा पर रहा था।
- एक साल तक चलने के बाद ऑर्बिटर में कई तरह की तकनीकी समस्याएं आ गई थी।
- यह चंद्रमा के सतह पर पानी की उपस्थिति की जानकारी प्राप्त करने के लिए भेजा गया था।
- इसके बाद सतह पर पानी की उपस्थिति और उपसतह ध्रुवीय जल-बर्फ जमाव के संकेत पर स्पष्ट जानकारी मिली थी।
- इसके अलावा चंद्र सतह का रासायनिक और खनिज मानचित्र तैयार करना था।
- चंद्रयान-1 ने चंद्रमा सतह का चित्रण किया और कई नदियों, क्रैटर्स और पर्वतों का पता लगाया।
चंद्रयान-2 के बारे में... (Chandrayaan 2)
- चंद्रयान-2 को 15 जुलाई 2019 में लॉन्च किया गया था, जो श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से शुरू हुआ था।
- इसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर स्थायी रोवर प्रदान करना था।
- चंद्रयान-2 ने लैंडर विक्रम को चंद्रमा तक पहुंचाने का प्रयास किया, लेकिन डाटा में असामान्य तापमान के कारण मिशन विफल हो गया।
- यह चंद्रमा की सतह से लगभग 2.1 किलोमीटर की दूरी से चूक गया था। लेकिन इसने कई सारी तस्वीरें भेजी थी।
- इसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के पोल क्षेत्र की जांच, चंद्रमा के जलवायु संबंधी मापदंडों की अध्ययन, संग्रहीत प्रकाश, ध्वज गहनता से संबंधित जानकारी जुटाना था।
चंद्रयान-3 के बारे में... (Chandrayaan 3)
- चंद्रयान-3 भारतीय अंतरिक्ष उपग्रह है, जो चंद्रयान मिशन की तीसरा भाग है।
- यह भी चंद्रमा की सतह की जांच के लिए बनाया गया है।
- इस उपग्रह में तकनीकी और अंतरिक्ष स्थान विज्ञान के विभिन्न पहलुओं को समाहित किया गया है।
- चंद्रयान-3 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की धरती पर जाकर उच्चतम और बेहतरीन रचनाओं की पता लगाना है।
- चंद्रयान-3 को 22 जुलाई 2019 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा लॉन्च किया जाना था, लेकिन कुछ तकनीकी कारणों के चलते यह मिशन अपने संघर्ष में फेल हो गया।
- अब चंद्रयान-3 14 जुलाई 2022 को लॉन्च किया जाएगा।