विश्व दलहन दिवस 10 फरवरी को क्यों मनाया जाता है

हर साल विश्व दलहन दिवस यानी दालों का दिन 10 फरवरी को मनाया जाता है। इस दिवस की शुरुआत वैश्विक स्तर पर दालों के महत्व और उसकी माध्यम से प्राप्त होने वाले पोषिक तत्वों को ध्यान में रखते हुए की गई थी। दालों का प्रयोग न केवल पोषण प्राप्त करने के लिए किया जाता है बल्कि इसके माध्यम से भूख मरी और गरीबी को मिटाने में भी सहायता मिल रही है। इस दिवस की शुरुआत वर्ष 2018 में की गई थी। इस साल यानी 2023 में विश्व अपना 5वां विश्व दलहन दिवस मना रहा है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों में दालों द्वारा प्राप्त होने वाले पोषक तत्वों को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाना है। साथ ही साथ आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा सतत विकास के 2030 के एजेंडा को प्राप्त करने के लिए ये एक प्रभावी रणनीति भी है। जो वैश्विक शांति को मजबूत करने में और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने में सहायता प्रदान करता है।

जब पूरा विश्व कोरोना वायरस की महामारी से बचने का प्रयास कर रहा था तब बड़े से बड़े देशों को खाद्य संकट से जुझते हुए देखा गया है। खाद्य संकट को खत्म करने और आगे इस स्थिति से बचने के लिए भी इस दिवस को मनाने का फैसला लिया गया है। भारतीय स्तर पर बात करें तो भारत में दालों को अपना अलग महत्व है। भारत में ऐसा कोई घर नहीं होगा जहां दालों को प्रयोग नहीं किया जाता है। प्रतिदिन हर घर में दाल बनाई जाती है और उसका सेवन किया जाता है। दालों में बहुत से पोषक तत्व होते हैं इस बारे में भारतीय लोग बहुत अच्छे से जानते हैं और इसका सेवन किसी न किसी तरह से प्रतिदिन करते हैं।

विश्व दलहन दिवस 10 फरवरी को क्यों मनाया जाता है

विविधिताओं से भरे इस देश में एक प्रकार की दाल नहीं है ढ़ेरों प्रकार की दालों से अनेक प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं तो इनसे मन ऊब जाए ये होना थोड़ा मुश्किल है। भारत विश्व में सबसे अधिक दालों का उत्पादन करने वाला देश माना जाता है। इससे संबंधित अधिक जानकारी आपको लेख में नीचे प्राप्त होगी। फिलहाल आपको इस दिवस के इतिहास और महत्व के बारे में जानना आवश्यक। ताकि आप जान सकें कि विश्व दलहन दिवस क्यों मनाया जाता है।

विश्वि दलहन दिवस का इतिहास

जैसा कि आपको ऊपर बताया गया कि दालों को कई तरह के पोषक तत्व होते हैं। इन्हिं तत्वों को इनके महत्व को समझते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 20 दिसंबर 2013 के एक संकल्प A/RES/68/231 के माध्यम से वर्ष 2016 को दलहन के लिए अंतराष्ट्रीय वर्ष के लिए घोषित किया गया। आपको बता दें कि अक्सर लोगों को लगता है कि विश्व दलहन दिवस मनाने की घोषणा वर्ष 2013 में की गई थी लेकिन ऐसा नहीं है वर्ष 2013 में संकल्प के माध्यम से केवल 2016 को अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के रूप में घोषित किया गया था और उस उस साल एक समारोह का आयोजन किया गया जिसने कई लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया और लोगों में दालों के पोषण को लेकर जागरूकता को बढ़ाया। सही मायनों में इस किवस को मनाने की घोषणा वर्ष 2019 में की गई थी।

दलहन के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष (2016) की सफलता को ध्यान में रखते हुए और सतत विकास के 2030 के एजेंडा को हासिल करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दलहन दिवस का प्रस्ताव रखा गया। ये प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में बुर्किना फासो, एक लैंडलॉक पश्चिम अफ्रीकी राष्ट्र द्वारा रखा गया। सफलता और दालों के महत्व को समझते हुए 20 दिसंबर 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा संकल्प ए/आरईएस/73/251
के माध्यम से 10 फरवरी को विश्व दलहन दिवस के रूप में घोषित किया गया। उसके बाद वर्ष 2019 में विश्व ने अपना पहला विश्व दलहन दिवस मनाया।

विश्व दलहन दिवस 2023 की थीम

वर्ष 2016 में जब दलहन के लिए अंतर्राष्ट्रीय वर्ष मनाया गया था, तब इसके लिए एक थीम का चुनाव किया गया था और तभी से इस दिवस को एक नई थीम के साथ मनाया जा रहा है। वर्ष 2023 में विश्व दलहन दिवस मनाने के लिए "सतत भविष्य के लिए दाले" थीम का चुनाव किया गया है। इस थीम को चुनने का मुख्य उद्देश्य लोगों के लिए आजीविका के समान अवसर पैदान करना है। जिसमें दालों की खेती के लिए ग्रामीण महिलाओं और युवाओं को समान रोजगार के अवसर प्रदान करना हा।

वर्ष 2016 में दलहन दिवस के लिए "सतत भविष्य के लिए पौष्टिक बीज"। जब पहले विश्व दलहन दिवस को मनाया गया (2019) तब और वर्ष 2021 तक इसी थीम का प्रयोग किया गया। लेकिन वर्ष 2022 में एक नई थीम से साथ इस दिवस को मनाया गया। वर्ष 2022 में विश्व दलहन दिवस को मनाने के लिए "स्थायी कृषि खाद्य प्रणालियों को प्राप्त करने में युवाओं को सशक्त बनाने के लिए दालें" थीम को चुना गया था। तभी से हर साल एक नई थीम का चुनाव किया जा रहा है।

विश्व दलहन दिवस का महत्व

दालों को शरीर को पोषण देने और उसके विकास के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। किसी भी आहार की तुलना में सबसे अधिक पोषक तत्व दालों में पाए जाते हैं, जिस कारण कहा जाता है कि हर व्यक्ति को प्रतिदिन दाल का सेवन करना चाहिए। क्योंकिए ये एक ऐसा खाद्य जिसमें एक साथ कई तहर के पोषक तत्व होते हैं। इसके महत्व को समझते हुए ही इस दिवस को मनाने का फैसला लिया गया है और हर साल इस दिवस के माध्यम से दालों के महत्व को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने का कार्य किया जाता है।

भारत में दालों का महत्व

भारत में दालों को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। भारत के हर घर में दालों को सबसे पौष्टिक आहार के रूप में देखा जाता है और प्रतिदिन इसका सेवन किया जाता है। भारत में करीब 11 प्रकार की दालें पाई जाती है, जिसमें क्रमशः मूंग दाल, मसूर दा, तूर दाल या अरहर, राजमा, उड़द दाल, चना दाल, हरी मटर, सफेद मटर, मोठ दाल और चवली दाल, काले चने शामिल हैं।

भारत को सबसे अधिक दालों का उत्पादन करने वाला देश माना जाता है। भारत में आज भी 60 से 70 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर करते हैं और क्योंकि भारत में दाल का सेवन हर घर में किया जाता है उसके अनुसार ही यहां दाल का उत्पादन भी सबसे अधिक किया जाता है। भारत में विश्व में पैदा होने वाली दालों का करीब 24 प्रतिशत उत्पादन किया जाता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार बात करें तो 2022 में भारत में दाल की उत्पादकता 240 टन के आस-पास थी। जो कि वर्ष 2019 और 2020 से कई अधिक थी। वर्ष 2019 ओर 20 में दालों की उत्पादन दर 23.15 मिलियन दर्ज की गई थी। इससे जानकारी मिलती है कि दिन प्रति दिन भारत दालों की उत्पादकता में अधिक बढ़ता जा रहा है।

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English summary
Every year World Pulses Day i.e. Pulses Day is celebrated on 10 February. This day was started keeping in mind the importance of pulses at the global level and the nutritional elements obtained through it. Pulses are not only used to obtain nutrition, but through this it is also helping in eradicating hunger and poverty. This day was started in the year 2018. This year i.e. in 2023, the world is celebrating its 5th World Pulses Day.
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