Bhagat Singh Jayanti 2024 Essay in Hindi: शहीद भगत सिंह का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नायक भगत सिंह को शहीद-ए-आजम के नाम से भी जाना जाता है। उनका जीवन युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। देश के प्रति प्राण न्योछावर करने वाले शहीद भगत सिंह का देश प्रेम अतुल्यनीय है।
देश की आजादी के लिए भगत सिंह ने अपनी देशभक्ति का परिचय देते हुए भगत सिंह ने अंग्रेजी शासन को कई बार चुनौतियां दी और अंततः देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। शहीद भगत सिंह एक राष्ट्रवादी और क्रांतिकारी युवा थे। उन्होंने अपने क्रांतिकारी आंदोलन से अंग्रेजों की नींव को हिला कर रख दिया था।
28 सितंबर को हम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नायक शहीद भगत सिंह की जन्म जयंती मना रहे हैं। भगत सिंह का जीवन युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। शहीद सरदार भगत सिंह जयंती के अवसर पर स्कूलों, कॉलेजों एवं संस्थानों में निबंध लेख प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। यहां हमने बच्चों की सहायता के लिए 100, 250 और 500 शब्दों में भगत सिंह पर निबंध के कुछ प्रारूप प्रस्तुत किए हैं।
शहीद भगत सिंह पर निबंध कैसे लिखें | Bhagat Singh Essay in Hindi
इस लेख में मातृभूमि के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले भारत के महान स्वतंत्रता सैनानी सरदार भगत सिंह पर निबंध प्रारूप प्रस्तुत किये जा रहे हैं। स्कूल के बच्चों के लिए शहीद भगत सिंह पर 100, 250, 500 शब्दों में आसान निबंध प्रारूप नीचे दिये गये हैं-
100 शब्दों में शहीद भगत सिंह पर निबंध
शहीद भगत सिंह भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी थे। भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को हुआ था। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ साहसिक लड़ाई लड़ी और अपने जीवन को देश की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया। भगत सिंह का मानना था कि सशस्त्र क्रांति ही अंग्रेजों से मुक्ति का एकमात्र तरीका है। लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह ने 17 दिसंबर, 1928 को ब्रिटिश पुलिस के अफ़सर जॉन सॉन्डर्स को गोली मारी थी।
उन्होंने असेंबली में बम फेंककर अंग्रेजों का ध्यान आकर्षित किया। भगत सिंह को ब्रिटिश सरकार ने ब्रिटेन के ख़िलाफ़ साज़िश रचने के आरोप में फ़ांसी सुनाई थी। भगत सिंह के साथ-साथ उनके दो साथियों सुखदेव और राजगुरु को भी फ़ांसी दे दी गई थी। भगत सिंह ने देश के लिए हंसते-हंसते फांसी का फंदा स्वीकार किया और 23 मार्च 1931 को शहीद हो गए।
250 शब्दों में शहीद भगत सिंह पर निबंध
शहीद भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे वीर और निडर स्वतंत्रता सेनानी थे। सरदार भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पश्चिमी पंजाब के बंग गांव (अब के पाकिस्तान) में एक साधारण सिख परिवार हुआ था। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था। बचपन से ही भगत सिंह में देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी थी। जलियांवाला बाग हत्याकांड ने उन्हें गहरे रूप से प्रभावित किया और उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने और उनके अत्याचारों से देश को आजाद कराने का प्रण लिया।
कॉलेज के दिनों में ही भगत सिंह ने भारत की आजादी की ओर पहला कदम लिया और नौजवान भारत सभा की स्थापना की। बाद में भगत सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर 'हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन' की स्थापना की और सशस्त्र क्रांति का मार्ग अपनाया। लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए उन्होंने ब्रिटिश पुलिस के अफ़सर जॉन सॉन्डर्स को गोली मारी। यह घटना 17 दिसंबर, 1928 को हुई थी। इसके बाद उन्होंने असेंबली में बम फेंका, ताकि अंग्रेजों को यह संदेश दिया जा सके कि भारतीयों का संघर्ष अभी जारी है।
भगत सिंह का मानना था कि विचारों की क्रांति सबसे शक्तिशाली होती है। फांसी के वक्त भी वह निडर और मुस्कुराते हुए रहें। 23 मार्च 1931 को उन्हें राजगुरु और सुखदेव के साथ फांसी दी गई। भगत सिंह का बलिदान आज भी हमें देशभक्ति और साहस की सीख देता है।
500 शब्दों में शहीद भगत सिंह पर निबंध
शहीद भगत सिंह का नाम भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है। भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पश्चिमी पंजाब (अब के पाकिस्तान) के एक देशभक्त और साधारण से सिख परिवार में हुआ था। बचपन से ही भगत सिंह में देशभक्ति की भावना थी। उनके परिवार के सदस्य भी स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय थे। इससे भगत सिंह को प्रेरणा मिली और उन्होंने भी देश को आजादी दिलाने के लिए क्रांति का मार्ग अपनाया।
सन् 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के समय भगत सिंह की उम्र महज 12 वर्ष थी। इस नरसंहार से भगत सिंह के भीतर अंग्रेजों के प्रति आक्रोश बढ़ गया। उन्होंने अंग्रेजी शासन के खिलाफ सशस्त्र क्रांति का मार्ग अपनाने का निर्णय लिया। वह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) से जुड़ गए और अपने साथियों के साथ क्रांतिकारी गतिविधियों को अंजाम दिया।
1928 में लाला लाजपत राय की पुलिस पिटाई से मौत हो गई थी। इस घटना से भगत से बेहद आहत हुए। इसका बदला लेने के लिए भगत सिंह, राजगुरु और चंद्रशेखर आजाद ने 17 दिसंबर 1928 में लाहौर में ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सांडर्स को गोली मार दी। यह घटना अंग्रेजों के लिए एक खुली चेतावनी थी कि भारतीय क्रांतिकारी अब शांत नहीं बैठेंगे और अपनी आजादा के लिए हर संभव कार्य करेंगे।
1929 में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली की केंद्रीय असेंबली में बम फेंका। इसका उद्देश्य अंग्रेजों को यह बताना था कि भारतीय अब और दमन बर्दाश्त नहीं करेंगे। इस बम फेंकने के बाद दोनों ने खुद को गिरफ्तार करा लिया और न्यायालय में अपने विचार प्रस्तुत किए। भगत सिंह का मानना था कि "क्रांति" केवल हिंसा से नहीं, बल्कि विचारों से आती है।
भगत सिंह और उनके साथियों राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई। उनकी फांसी के बाद पूरे देश में आक्रोश की लहर दौड़ गई। वह देश के युवाओं के लिए आदर्श बन गए। भगत सिंह का बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अमर है और वह आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। भगत सिंह ने देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। लेकिन उनके विचार और देशभक्ति आज भी हमारे दिलों में जिंदा हैं।