Ganesh Chaturthi 2024 Essay in Hindi:भारत में हर शुभ कार्य की शुरुआत भगवान गणेश कू पूजा अर्चना से शुरू होती है। गणेश चतुर्थी भारत का एक प्रमुख और लोकप्रिय त्योहार है। इसे भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यूं तो भगवान गणेश को कई नामों से जाना जाता है। लेकिन भगवान गणेश "विघ्नहर्ता" अर्थात सभी बाधाओं को दूर करने वाले और "बुद्धि के देवता" के रूप अधिक लोकप्रिय हैं।
गणेश चतुर्थी का त्योहार पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। गणेशोत्सव विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, बिहार, झारखंड, तमिलनाडु समेत अन्य कई राज्यों में मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान गणेश की मूर्तियों की स्थापना करते हैं और दस दिनों तक पूजा-अर्चना करते हैं। बच्चों के लिए यह त्योहार विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह उन्हें भगवान गणेश की कहानियों, उनके गुणों और धार्मिक महत्व के बारे में सीखने का अवसर प्रदान करता है।
इस अवसर पर स्कूलों में विभिन्न खेल प्रतियोगिताएं, सांस्कृतिक कार्यक्रम, निबंध लेखन और भाषण लप्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। यदि आप भी स्कूल में गणेश चतुर्थी पर निबंध लेखन प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हैं तो इस लेख से संदर्भ ले सकते हैं। यहां हमने स्कूली बच्चों की सहायता के लिए 100, 200 और 300 शब्दों में गणेश चतुर्थी पर निबंध लेखन के कुछ प्रारूप प्रस्तुत किए हैं। इस लेख में यहां तीन अलग-अलग निबंध प्रारूप प्रस्तुत किए जा रहे हैं जो स्कूली छात्रों को गणेश चतुर्थी के महत्व को समझाने में मदद करेंगे।
गणेश चतुर्थी पर 100, 250, 500 शब्दों में आसान निबंध प्रारूप नीचे दिये गये हैं-
निबंध 1: गणेश चतुर्थी का त्योहार (100 शब्दों में)
गणेश चतुर्थी एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है। गणेश चतुर्थी का त्योहार भगवान गणेश के जन्मदिन पर मनाया जाता है। भगवान गणेश को बुद्धि और समृद्धि का देवता माना जाता है। इस दिन लोग गणेश जी की मूर्तियों को अपने घरों में लाते हैं और उनकी पूजा करते हैं। लोग प्रसाद चढ़ाते हैं और गणेश जी का पसंदीदा व्यंजन मोदक बनाते हैं। कथाओं में कहा गया है कि भगवान गणेश को मोदक बेहद पसंद है। गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी त्योहार दस दिनों तक मनाया जाता है। दस दिनों तक पूजा-अर्चना के बाद अंत में गणेश जी की मूर्ति को विसर्जित कर दिया जाता है। इस त्योहार से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने के लिए भगवान गणेश का आशीर्वाद लेना चाहिये।
निबंध 2: गणेश चतुर्थी का महत्व (250 शब्दों में)
भारत में त्योहारों का माहौल पूरे वर्ष रहता है। त्योहारों का सीजन गणेश चतुर्थी के साथ शुरू होता है। गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। यह हर साल भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि को पड़ता है। भगवान गणेश को शुभारंभ का प्रतीक माना जाता है और हर शुभ कार्य से पहले उनकी पूजा की जाती है। इस दिन लोग अपने घरों और पंडालों में गणेश जी की मूर्ति की स्थापना करते हैं और दस दिनों तक पूजा करते हैं।
गणेश चतुर्थी का मुख्य उद्देश्य लोगों को एकता, श्रद्धा और भक्ति का संदेश देना है। गणेश जी की पूजा के समय लोग विभिन्न प्रकार के पकवान और विशेष रूप से मोदक बनाते हैं। मोदक को भगवान गणेश का पसंदीदा भोजन माना जाता है। इस त्योहार के दौरान स्कूलों, कॉलेजों और संस्थानों अनेक सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
गणेश चतुर्थी का विसर्जन समारोह भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान भक्तगण गणेश जी की मूर्ति को नदी या समुद्र में विसर्जित करते हैं। इस त्योहार से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जीवन में आने वाली हर मुश्किल को धैर्य और समझदारी से सुलझाना चाहिए, जैसे कि भगवान गणेश करते हैं।
निबंध 3: गणेश चतुर्थी का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व (500 शब्दों में)
भारत में गणेश चतुर्थी एक प्रमुख और धार्मिक त्योहार है। भगवान गणेश के जन्मदिवस के रूप में गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है। भगवान गणेश, शिव और पार्वती के पुत्र हैं। भगवान गणेश को कई नामों से जाना जाता है, इनमें विघ्नहर्ता, विनायक, बुद्धि के देवता प्रमुख हैं। विघ्नहर्ता का अर्थ है कि वे सभी बाधाओं को दूर करते हैं। इस कारण से गणेश चतुर्थी को शुभता और समृद्धि का त्योहार माना जाता है।
गणेश चतुर्थी की शुरुआत घरों और सार्वजनिक स्थानों पर गणेश जी की मूर्ति की स्थापना से होती है। लोग भगवान गणेश की आराधना करते हैं और उन्हें विभिन्न प्रकार के प्रसाद चढ़ाते हैं। कथाओं के अनुसार भगवान गणेश को मोदक बेहद पसंद है। मोदक एक प्रकार का लड्डू और फल प्रमुख होते हैं। यह पूजा दस दिनों तक चलती है और हर दिन लोग आरती करते हैं और भक्ति गीत गाते हैं। इस पर्व के अंतिम दिन को "अनंत चतुर्दशी" कहा जाता है, जिस दिन गणेश जी की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है।
गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाने का सिलसिला मराठा शासक शिवाजी महाराज के काल में शुरू हुआ। 19वीं शताब्दी में, बाल गंगाधर तिलक ने इस त्योहार को सार्वजनिक रूप से मनाने की परंपरा शुरू की। ताकि लोगों के बीच एकता और देशभक्ति का भाव जागृत हो। इस त्योहार ने समाज के विभिन्न वर्गों को एक साथ लाने और सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर चर्चा करने का एक मंच प्रदान किया।
धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो गणेश चतुर्थी हमें भगवान गणेश की शिक्षाओं का पालन करने की प्रेरणा देती है। वे हमें सिखाते हैं कि हमें अपने जीवन में हर चुनौती का सामना धैर्य और समझदारी से करना चाहिये। गणेश जी की पूजा से हमें यह विश्वास मिलता है कि कोई भी बाधा इतनी बड़ी नहीं होती, जिसे हम अपने आत्मविश्वास और ईश्वर की कृपा से पार न कर सकें।