माइक्रोबायोलॉजी में एम.फिल. कैसे करें (Career in M.Phil Microbiology)

मास्टर ऑफ फिलॉसफी इन माइक्रोबायोलॉजी 1 साल की अवधि का पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च स्तर का कोर्स है। एम. फिल. माइक्रोबायोलॉजी में एक शोध डिग्री प्रोग्राम है जो छात्रों को बैक्टीरियल पॉलीसेकेराइड, रोगजनकों के लगाव और बायोफिल्म निर्माण के विषयों में एक विशिष्ट शोध परियोजना का अध्ययन करने में सक्षम बनाता है। बता दें कि एम.फिल इन माइक्रोबायोलॉजी मास्टर्स और डॉक्टरेट के बीच की एक इंटरमीडिएट डिग्री है।

चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको एम.फिल इन माइक्रोबायोलॉजी से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी से अवगत कराएंगे कि आखिर माइक्रोबायोलॉजी में एम.फिल करने के लिए एलिजिबिलिटी क्या होनी चाहिए। इसका एडमिशन प्रोसेस क्या है, इसके लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम कौन से हैं, इसे करने के बाद आपके पास जॉब प्रोफाइल क्या होंगी और उनकी सैलरी क्या होगी। भारत में माइक्रोबायोलॉजी में एम.फिल करने के लिए टॉप कॉलेज कौन से हैं और उनकी फीस क्या है।

माइक्रोबायोलॉजी में एम.फिल. कैसे करें

• कोर्स का नाम- मास्टर ऑफ फिलॉसफी इन माइक्रोबायोलॉजी
• कोर्स का प्रकार- पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च
• कोर्स की अवधि- 1 साल
• एलिजिबिलिटी- मास्टर डिग्री
• एडमिशन प्रोसेस- एंट्रेंस एग्जाम
• कोर्स फीस- 9,000 से 13,000 तक (प्रति माह)
• अवरेज सैलरी- 2 से 12 लाख तक
• जॉब प्रोफाइल- क्वालिटी कंट्रोल- माइक्रोबायोलॉजी, क्लिनिकल रिसर्च, असिस्टेंट प्रोफेसर, डेमोंस्ट्रेटर, माइक्रोबायोलॉजिस्ट आदि।

एम.फिल माइक्रोबायोलॉजी: एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
• इच्छुक उम्मीदवार के पास माइक्रोबायोलॉजी से संबंधित विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए।
• एम.फिल इन माइक्रोबायोलॉजी में एडमिशन लेने के लिए उम्मीदवार के पास मास्टर डिग्री में न्यूनतम 55% अंक होना आवश्यक है।
• आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 5% अंकों की अतिरिक्त छूट दी जाती है।
• इसके साथ ही, उम्मीदवार को एंट्रेंस एग्जाम में भी विश्वविद्यालय के मानकों तक स्कोर करना होता है, जो या तो विश्वविद्यालय द्वारा स्वयं या यूजीसी-नेट जैसी राष्ट्रीय परीक्षाओं द्वारा आयोजित की जाती हैं।

एम.फिल माइक्रोबायोलॉजी: एडमिशन प्रोसेस
किसी भी टॉप यूनिवर्सिटी में एम.फिल माइक्रोबायोलॉजी कोर्स में एडमिशन लेने के लिए, उम्मीदवारों को एंट्रेंस एग्जाम देने की आवश्यकता होती है। एंट्रेंस एग्जाम में पास होने के बाद पर्सनल इंट्रव्यू होता है और यदि उम्मीदवार उसमें अच्छा स्कोर करते हैं, तो उन्हें स्कोलरशिप भी मिल सकती है।

एम.फिल माइक्रोबायोलॉजी के लिए भारत के टॉप कॉलेजों द्वारा अपनाई जाने वाली एडमिशन प्रोसेस निम्नलिखित है

चरण 1: रजिस्ट्रेशन

  • उम्मीदवार ऑफिशयल वेबसाइट पर जाएं।
  • ऑफिशयल वेबसाइट पर जाने के बाद आवेदन फॉर्म भरें।
  • आवेदन फॉर्म को भरने के बाद ठीक तरह से जांच लें यदि फॉर्म में गलती हुई तो वह रिजक्ट हो सकता है।
  • मांगे गए दस्तावेज अपलोड करें।
  • आवेदन पत्र सबमिट करें।
  • क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन फॉर्म की फीस जमा करें।

चरण 2: एंट्रेंस एग्जाम

  • यदि उम्मीदवार एम.फिल माइक्रोबायोलॉजी में एडमिशन लेने के लिए टॉप यूनिवर्सिटी का लक्ष्य रखते हैं, तो उनके लिए एंट्रेंस एग्जाम क्रेक करना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद एडमिट कार्ड जारी किए जाते हैं। जिसमें की एंट्रेंस एग्जाम से संबंधित सभी जानकारी दी जाती है जैसे कि एग्जाम कब और कहां होगा, आदि।
  • बता दें कि एम.फिल माइक्रोबायोलॉजी के लिए एडमिशन प्रोसेस यूजीसी नेट, यूजीसी जेआरएफ, स्लेट, गेट आदि जैसे एंट्रेंस एग्जाम पर निर्भर करती है। योग्य उम्मीदवारों का चयन आगे इंट्रव्यू के आधार पर किया जाता है।

चरण 3: एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट
एंट्रेंस एग्जाम हो जाने के कुछ दिन बाद उसका रिजल्ट घोषित किया जाता है जिसके लिए, छात्रों को नियमित रूप से विश्वविद्यालय की वेबसाइटों और सोशल मीडिया हैंडल की जांच करके खुद को अपडेट रखना चाहिए।

चरण 4: इंट्रव्यू एंड एनरोलमेंट

  • एंट्रेंस एग्जाम में पास होने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी द्वारा इंट्रव्यू में उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा - या तो ऑनलाइन (स्काइप, गूगल मीट, ज़ूम) या ऑफ़लाइन छात्रों को यूनिवर्सिटी परिसर में बुलाकर।
  • इस दौरान, अन्य सभी एलिजिबिली क्राइटेरिया को क्रॉस चेक किया जाता है और यदि छात्र इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें एम.फिल माइक्रोबायोलॉजी का अध्ययन करने के लिए एडमिशन दिया जाता है।

एम.फिल माइक्रोबायोलॉजी: सिलेबस

  • रिसर्च मेथेडलॉजी
  • प्रोजेक्ट मैनेजमेंट इन माइक्रोबायोलॉजी
  • माइक्रो इंडस्ट्री इंटर्नल
  • माइक्रोप्रोसेस टेक्नोलॉजी
  • डिसर्टेशन
  • वाइवा-वोक

कॉलेज फक्लटी आमतौर पर छात्रों को उनके स्वतंत्र शोध कार्य में सहायता करते हैं, जबकि अधिक अनुभव प्राप्त करने के लिए छात्र सहायक के रूप में अपने प्रोफेसरों के अधीन काम करना चुन सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें इस बात की बेहतर समझ होगी कि मास्टर पूरी करने के बाद अगर वे प्रोफेसर बनना चाहते हैं तो उन्हें किस तरह का काम करना होगा।

एम.फिल माइक्रोबायोलॉजी: टॉप कॉलेज

  • भारतीदासन विश्वविद्यालय, तमिलनाडु
  • तिरुवल्लुवर विश्वविद्यालय, तमिलनाडु
  • मद्रास विश्वविद्यालय, तमिलनाडु
  • गांधी प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संस्थान, आंध्र प्रदेश
  • पेरियार विश्वविद्यालय, तमिलनाडु
  • संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय, महाराष्ट्र
  • अन्नामलाई विश्वविद्यालय, तमिलनाडु
  • लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, पंजाब
  • मदर टेरेसा महिला विश्वविद्यालय, तमिलनाडु

एम.फिल माइक्रोबायोलॉजी: जॉब प्रोफाइल और सैलरी

  • क्वालिटी कंट्रोल- माइक्रोबायोलॉजी- सैलरी 6 लाख
  • क्लिनिकल रिसर्चर- सैलरी 5 लाख
  • असिस्टेंट प्रोफेसर- सैलरी 4 लाख
  • डेमोनस्ट्रेटर- सैलरी 5 लाख
  • माइक्रोबायोलॉजिस्ट- सैलरी 5.50 लाख

बायोटेक्नोलॉजी में एम.फिल कैसे करें (Career in M.Phil Biotechnology)

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English summary
Master of Philosophy in Microbiology is a post graduate research level course of 1 year duration. M. Phil. in Microbiology is a research degree program that enables students to study a specific research project in the topics of bacterial polysaccharides, attachment of pathogens, and biofilm formation. M.Phil in Microbiology is an intermediate degree between Masters and Doctorate.
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