फार्मास्यूटिक्स में एम.फिल कैसे करें (Career in M.Phil. Pharmaceuticals)

मास्टर ऑफ फिलॉसफी इन फार्मास्यूटिक्स 2 साल की अवधि का पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च स्तर का कोर्स है। एम.फिल इन फार्मास्यूटिक्स दवाओं के डिजाइन, क्रिया, वितरण और स्वभाव से संबंधित अध्ययन के अंतःविषय क्षेत्रों का एक कोर्स है। इसमें फार्माकोलॉजी, फार्माकोकाइनेटिक्स, फार्माकोजेनोमिक्स, फार्मास्युटिकल टॉक्सिकोलॉजी आदि जैसे विभिन्न क्षेत्र शामिल हैं। फार्मास्युटिकल साइंस में एम.फिल और फार्मेसी में एम.फिल एक ही तरह के कोर्स हैं।

चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको एम.फिल इन फार्मास्यूटिक्स से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी से अवगत कराएंगे कि आखिर फार्मास्यूटिक्स में एम.फिल करने के लिए एलिजिबिलिटी क्या होनी चाहिए। इसका एडमिशन प्रोसेस क्या है, इसके लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम कौन से हैं, इसे करने के बाद आपके पास जॉब प्रोफाइल क्या होंगी और उनकी सैलरी क्या होगी। भारत में फार्मास्यूटिक्स में एम.फिल करने के लिए टॉप कॉलेज कौन से हैं और उनकी फीस क्या है।

फार्मास्यूटिक्स में एम.फिल कैसे करें

• कोर्स का नाम- मास्टर ऑफ फिलॉसफी इन फार्मास्यूटिक्स
• कोर्स का प्रकार- पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च
• कोर्स की अवधि- 2 साल
• एलिजिबिलिटी- मास्टर डिग्री
• एडमिशन प्रोसेस- एंट्रेंस एग्जाम
• जॉब फील्ड- चिकित्सा बिक्री पेटेंट, नियामक मामलों के कार्यालय, फोरेंसिक आदि।
• जॉब प्रोफाइल- एनालिटिकल केमिस्ट, क्लिनिकल फार्मासिस्ट, प्रोफेसर, रिसर्च असिस्टेंट आदि।

एम.फिल फार्मास्यूटिक्स: एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
• इच्छुक उम्मीदवार के पास फार्मास्यूटिक्स से संबंधित विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए।
• एम.फिल इन फार्मास्यूटिक्स में एडमिशन लेने के लिए उम्मीदवार के पास मास्टर डिग्री में न्यूनतम 55% अंक होना आवश्यक है।
• आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 5% अंकों की अतिरिक्त छूट दी जाती है।
• इसके साथ ही, उम्मीदवार को एंट्रेंस एग्जाम में भी विश्वविद्यालय के मानकों तक स्कोर करना होता है, जो या तो विश्वविद्यालय द्वारा स्वयं या यूजीसी-नेट जैसी राष्ट्रीय परीक्षाओं द्वारा आयोजित की जाती हैं।

एम.फिल फार्मास्यूटिक्स: एडमिशन प्रोसेस
किसी भी टॉप यूनिवर्सिटी में एम.फिल फार्मास्यूटिक्स कोर्स में एडमिशन लेने के लिए, उम्मीदवारों को एंट्रेंस एग्जाम देने की आवश्यकता होती है। एंट्रेंस एग्जाम में पास होने के बाद पर्सनल इंट्रव्यू होता है और यदि उम्मीदवार उसमें अच्छा स्कोर करते हैं, तो उन्हें स्कोलरशिप भी मिल सकती है।

एम.फिल फार्मास्यूटिक्स के लिए भारत के टॉप कॉलेजों द्वारा अपनाई जाने वाली एडमिशन प्रोसेस निम्नलिखित है

चरण 1: रजिस्ट्रेशन

  • उम्मीदवार ऑफिशयल वेबसाइट पर जाएं।
  • ऑफिशयल वेबसाइट पर जाने के बाद आवेदन फॉर्म भरें।
  • आवेदन फॉर्म को भरने के बाद ठीक तरह से जांच लें यदि फॉर्म में गलती हुई तो वह रिजक्ट हो सकता है।
  • मांगे गए दस्तावेज अपलोड करें।
  • आवेदन पत्र सबमिट करें।
  • क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन फॉर्म की फीस जमा करें।

चरण 2: एंट्रेंस एग्जाम

  • यदि उम्मीदवार एम.फिल फार्मास्यूटिक्स में एडमिशन लेने के लिए टॉप यूनिवर्सिटी का लक्ष्य रखते हैं, तो उनके लिए एंट्रेंस एग्जाम क्रेक करना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद एडमिट कार्ड जारी किए जाते हैं। जिसमें की एंट्रेंस एग्जाम से संबंधित सभी जानकारी दी जाती है जैसे कि एग्जाम कब और कहां होगा, आदि।
  • बता दें कि एम.फिल फार्मास्यूटिक्स के लिए एडमिशन प्रोसेस नेट, सेट जैसे एंट्रेंस एग्जाम पर निर्भर करती है। योग्य उम्मीदवारों का चयन आगे इंट्रव्यू के आधार पर किया जाता है।

चरण 3: एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट
एंट्रेंस एग्जाम हो जाने के कुछ दिन बाद उसका रिजल्ट घोषित किया जाता है जिसके लिए, छात्रों को नियमित रूप से विश्वविद्यालय की वेबसाइटों और सोशल मीडिया हैंडल की जांच करके खुद को अपडेट रखना चाहिए।

चरण 4: इंट्रव्यू एंड एनरोलमेंट

  • एंट्रेंस एग्जाम में पास होने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी द्वारा इंट्रव्यू में उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा - या तो ऑनलाइन (स्काइप, गूगल मीट, ज़ूम) या ऑफ़लाइन छात्रों को यूनिवर्सिटी परिसर में बुलाकर।
  • इस दौरान, अन्य सभी एलिजिबिली क्राइटेरिया को क्रॉस चेक किया जाता है और यदि छात्र इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें एम.फिल फार्मास्यूटिक्स का अध्ययन करने के लिए एडमिशन दिया जाता है।

एम.फिल फार्मास्यूटिक्स: सिलेबस

  • एडवांस्ड फार्मास्यूटिक्स
  • बायोफार्मास्यूटिक्स
  • फार्मास्यूटिक्स माइक्रोबायोलॉजी
  • फॉरम्यूलेशन एंड प्रोडक्ट डेवलेपमेंट
  • क्लिनिकल फार्मासी
  • बायोस्टेटेटिक्स
  • रिसर्च थिसिस

कॉलेज फक्लटी आमतौर पर छात्रों को उनके स्वतंत्र शोध कार्य में सहायता करते हैं, जबकि अधिक अनुभव प्राप्त करने के लिए छात्र सहायक के रूप में अपने प्रोफेसरों के अधीन काम करना चुन सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें इस बात की बेहतर समझ होगी कि मास्टर पूरी करने के बाद अगर वे प्रोफेसर बनना चाहते हैं तो उन्हें किस तरह का काम करना होगा।

एम.फिल फार्मास्यूटिक्स: टॉप कॉलेज और उनकी फीस

  • गीताम विश्वविद्यालय, विशाखापत्तनम- फीस 48,500
  • यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल साइंस, चंडीगढ़- फीस 35,000
  • रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई- फीस 25,000
  • मणिपाल कॉलेज ऑफ फार्मास्युटिकल साइंस- फीस 316,000
  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, वाराणसी- फीस 25,000
  • बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान, रांची- फीस 92,000
  • पीएसजी कॉलेज ऑफ फार्मेसी- फीस 22,000

एम.फिल फार्मास्यूटिक्स: जॉब प्रोफाइल और सैलरी

  • एनालिटिकल केमिस्ट- सैलरी 3 लाख
  • क्लिनिकल फार्मासिस्ट- सैलरी 3 लाख
  • प्रोफेसर- सैलरी 5.50 लाख
  • रिसर्च असिस्टेंट- सैलरी 3 लाख

कॉमर्स में एम.फिल कैसे करें (Career in M.Phil. Commerce)

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English summary
Master of Philosophy in Pharmaceuticals is a post graduate research level course of 2 years duration. M.Phil in Pharmaceuticals is a course in interdisciplinary areas of study related to the design, action, distribution and disposition of drugs. It includes various fields such as pharmacology, pharmacokinetics, pharmacogenomics, pharmaceutical toxicology, etc.
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