मास्टर ऑफ फिलॉसफी इन बायोइंफोर्मेटिक्स 2 साल की अवधि का पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च स्तर का कोर्स है। इस कोर्स का मुख्य उद्देश्य शैक्षणिक और औद्योगिक दोनों उद्देश्यों के लिए जैव सूचना विज्ञान शोधकर्ताओं के उच्च अंत पेशेवरों का निर्माण करना और जैव चिकित्सा उद्योगों, दवा कंपनियों और खंड से संबंधित अन्य क्षेत्रों की मांगों को पूरा करना है।
चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको एम.फिल इन बायोइंफोर्मेटिक्स से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी से अवगत कराएंगे कि आखिर बायोइंफोर्मेटिक्स में एम.फिल करने के लिए एलिजिबिलिटी क्या होनी चाहिए। इसका एडमिशन प्रोसेस क्या है, इसके लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम कौन से हैं, इसे करने के बाद आपके पास जॉब प्रोफाइल क्या होंगी और उनकी सैलरी क्या होगी। भारत में बायोइंफोर्मेटिक्स में एम.फिल करने के लिए टॉप कॉलेज कौन से हैं और उनकी फीस क्या है।
• कोर्स का नाम- मास्टर ऑफ फिलॉसफी इन बायोइंफोर्मेटिक्स
• कोर्स का प्रकार- पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च
• कोर्स की अवधि- 2 साल
• एलिजिबिलिटी- मास्टर डिग्री
• एडमिशन प्रोसेस- एंट्रेंस एग्जाम
• कोर्स फीस- 20,000 से 8 लाख तक
• अवरेज सैलरी- 2 से 8 लाख तक
• जॉब फील्ड- सरकारी/प्राइवेट फार्मास्युटिकल कंपनियों के क्षेत्र, अनुसंधान संस्थान, शैक्षिक संस्थान, बायोमेडिकल उत्पाद, विनिर्माण उद्योग आदि।
एम.फिल बायोइंफोर्मेटिक्स: एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
• इच्छुक उम्मीदवार के पास बायोइंफोर्मेटिक्स से संबंधित विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए।
• एम.फिल इन बायोइंफोर्मेटिक्स में एडमिशन लेने के लिए उम्मीदवार के पास मास्टर डिग्री में न्यूनतम 55% अंक होना आवश्यक है।
• आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 5% अंकों की अतिरिक्त छूट दी जाती है।
• इसके साथ ही, उम्मीदवार को एंट्रेंस एग्जाम में भी विश्वविद्यालय के मानकों तक स्कोर करना होता है, जो या तो विश्वविद्यालय द्वारा स्वयं या यूजीसी-नेट जैसी राष्ट्रीय परीक्षाओं द्वारा आयोजित की जाती हैं।
एम.फिल बायोइंफोर्मेटिक्स: एडमिशन प्रोसेस
किसी भी टॉप यूनिवर्सिटी में एम.फिल बायोइंफोर्मेटिक्स कोर्स में एडमिशन लेने के लिए, उम्मीदवारों को एंट्रेंस एग्जाम देने की आवश्यकता होती है। एंट्रेंस एग्जाम में पास होने के बाद पर्सनल इंट्रव्यू होता है और यदि उम्मीदवार उसमें अच्छा स्कोर करते हैं, तो उन्हें स्कोलरशिप भी मिल सकती है।
एम.फिल बायोइंफोर्मेटिक्स के लिए भारत के टॉप कॉलेजों द्वारा अपनाई जाने वाली एडमिशन प्रोसेस निम्नलिखित है
चरण 1: रजिस्ट्रेशन
- उम्मीदवार ऑफिशयल वेबसाइट पर जाएं।
- ऑफिशयल वेबसाइट पर जाने के बाद आवेदन फॉर्म भरें।
- आवेदन फॉर्म को भरने के बाद ठीक तरह से जांच लें यदि फॉर्म में गलती हुई तो वह रिजक्ट हो सकता है।
- मांगे गए दस्तावेज अपलोड करें।
- आवेदन पत्र सबमिट करें।
- क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन फॉर्म की फीस जमा करें।
चरण 2: एंट्रेंस एग्जाम
- यदि उम्मीदवार एम.फिल बायोइंफोर्मेटिक्स में एडमिशन लेने के लिए टॉप यूनिवर्सिटी का लक्ष्य रखते हैं, तो उनके लिए एंट्रेंस एग्जाम क्रेक करना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद एडमिट कार्ड जारी किए जाते हैं। जिसमें की एंट्रेंस एग्जाम से संबंधित सभी जानकारी दी जाती है जैसे कि एग्जाम कब और कहां होगा, आदि।
- बता दें कि एम.फिल बायोइंफोर्मेटिक्स के लिए एडमिशन प्रोसेस एम.फिल. प्रवेश परीक्षा, पीजी प्रवेश परीक्षा, एमसीसी प्रवेश परीक्षा, एम.फिल प्रवेश परीक्षा, गेट (इंजीनियरिंग के लिए स्नातक योग्यता परीक्षा) आदि एंट्रेंस एग्जाम पर निर्भर करती है। योग्य उम्मीदवारों का चयन आगे इंट्रव्यू के आधार पर किया जाता है।
चरण 3: एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट
एंट्रेंस एग्जाम हो जाने के कुछ दिन बाद उसका रिजल्ट घोषित किया जाता है जिसके लिए, छात्रों को नियमित रूप से विश्वविद्यालय की वेबसाइटों और सोशल मीडिया हैंडल की जांच करके खुद को अपडेट रखना चाहिए।
चरण 4: इंट्रव्यू एंड एनरोलमेंट
- एंट्रेंस एग्जाम में पास होने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी द्वारा इंट्रव्यू में उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा - या तो ऑनलाइन (स्काइप, गूगल मीट, ज़ूम) या ऑफ़लाइन छात्रों को यूनिवर्सिटी परिसर में बुलाकर।
- इस दौरान, अन्य सभी एलिजिबिली क्राइटेरिया को क्रॉस चेक किया जाता है और यदि छात्र इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें एम.फिल बायोइंफोर्मेटिक्स का अध्ययन करने के लिए एडमिशन दिया जाता है।
एम.फिल बायोइंफोर्मेटिक्स: सिलेबस
- सेमेस्टर -1 सैम्पलिंग तकनीक, डेटा अनुसंधान का संग्रह, कार्यप्रणाली, सिद्धांत, डेटा संग्रह के तरीके, संगोष्ठी 1।
- सेमेस्टर - 2 पैरामीट्रिक और गैर-पैरामीट्रिक परीक्षण सांख्यिकी में अनुसंधान, अनुसंधान रिपोर्ट, अनुसंधान पद्धति, तकनीक, संगोष्ठी 2।
- सेमेस्टर 3 जैविक, डेटाबेस संरचना, भविष्यवाणी, आणविक, डॉकिंग परिचय माइक्रो एरे, परियोजना कार्य।
- सेमेस्टर 4 स्ट्रक्चरल बायोइनफॉरमैटिक्स, प्रोटीन स्टेबिलिटी एंड फोल्डिंग डेटा माइनिंग, स्ट्रक्चरल बायोइनफॉरमैटिक्स, निबंध।
कॉलेज फक्लटी आमतौर पर छात्रों को उनके स्वतंत्र शोध कार्य में सहायता करते हैं, जबकि अधिक अनुभव प्राप्त करने के लिए छात्र सहायक के रूप में अपने प्रोफेसरों के अधीन काम करना चुन सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें इस बात की बेहतर समझ होगी कि मास्टर पूरी करने के बाद अगर वे प्रोफेसर बनना चाहते हैं तो उन्हें किस तरह का काम करना होगा।
एम.फिल बायोइंफोर्मेटिक्स: टॉप कॉलेज और उनकी फीस
- प्रेसीडेंसी कॉलेज- फीस 2,210
- गीताम विज्ञान विश्वविद्यालय- फीस 58,600
- भारतीय जैव सूचना विज्ञान संस्थान- फीस 40,000
- जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू)- फीस 20,000
- स्कूल ऑफ लाइफ साइंस- फीस 22,000
- बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस- फीस 45,000
- बनारस हिंदू विश्वविद्यालय- फीस 20,000
- छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय- फीस 53,000
एम.फिल बायोइंफोर्मेटिक्स: जॉब प्रोफाइल और सैलरी
- बायोइंफोर्मेटिक्स साइंटिस्ट- सैलरी 4 लाख
- प्रोफेसर- सैलरी 3 लाख
- जूनियर रिसर्च असोसिएट- सैलरी 4.5 लाख
- डेटाबेस इंजीनियर- सैलरी 5 लाख
- बायोइंफॉर्मेटिक्स सॉफ्टवेयर इंजीनियर- सैलरी 5 लाख
बिजनेस मैनेजमेंट में एम.फिल कैसे करें (Career in M.Phil. Business Management)