मास्टर ऑफ फिलॉसफी इन सोशियोलॉजी 2 साल की अवधि का पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च स्तर का कोर्स है। एम.फिल. इन सोशियोलॉजी यानि कि समाजशास्त्र मानव समाज में एक शोध पाठ्यक्रम है। यह कोर्स छात्रों को मानव समाज के अध्ययन में अनुसंधान करने के लिए एक मंच प्रदान करता है; इसका विकास, कार्यप्रणाली और संरचना। एक विषय के रूप में समाजशास्त्र में मनुष्य और उनके समाज से संबंधित कई विविध विषय शामिल हैं और अन्य विषय जैसे अपराध, धर्म, परिवार, राज्य, जाति का विभाजन, सामाजिक वर्ग, संस्कृति, सामाजिक स्थिरता, आमूल-चूल परिवर्तन आदि शामिल हैं।
चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको एम.फिल इन सोशियोलॉजी से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी से अवगत कराएंगे कि आखिर सोशियोलॉजी में एम.फिल करने के लिए एलिजिबिलिटी क्या होनी चाहिए। इसका एडमिशन प्रोसेस क्या है, इसके लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम कौन से हैं, इसे करने के बाद आपके पास जॉब प्रोफाइल क्या होंगी और उनकी सैलरी क्या होगी। भारत में सोशियोलॉजी में एम.फिल करने के लिए टॉप कॉलेज कौन से हैं और उनकी फीस क्या है।
• कोर्स का नाम- मास्टर ऑफ फिलॉसफी इन सोशियोलॉजी
• कोर्स का प्रकार- पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च
• कोर्स की अवधि- 2 साल
• एलिजिबिलिटी- मास्टर डिग्री
• एडमिशन प्रोसेस- एंट्रेंस एग्जाम
• कोर्स फीस- 20,000 से 80,000 तक
• अवरेज सैलरी- 7 से 10 लाख तक
• जॉब प्रोफाइल- स्कूल टीचर, प्रोफेसर, रिसर्च असिस्टेंट, सोशल वर्कर, एडिटर, पीआर मैनेजर आदि।
एम.फिल सोशियोलॉजी: एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
• इच्छुक उम्मीदवार के पास सोशियोलॉजी से संबंधित विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए।
• एम.फिल इन सोशियोलॉजी में एडमिशन लेने के लिए उम्मीदवार के पास मास्टर डिग्री में न्यूनतम 55% अंक होना आवश्यक है।
• आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 5% अंकों की अतिरिक्त छूट दी जाती है।
• इसके साथ ही, उम्मीदवार को एंट्रेंस एग्जाम में भी विश्वविद्यालय के मानकों तक स्कोर करना होता है, जो या तो विश्वविद्यालय द्वारा स्वयं या यूजीसी-नेट जैसी राष्ट्रीय परीक्षाओं द्वारा आयोजित की जाती हैं।
एम.फिल सोशियोलॉजी: एडमिशन प्रोसेस
किसी भी टॉप यूनिवर्सिटी में एम.फिल सोशियोलॉजी कोर्स में एडमिशन लेने के लिए, उम्मीदवारों को एंट्रेंस एग्जाम देने की आवश्यकता होती है। एंट्रेंस एग्जाम में पास होने के बाद पर्सनल इंट्रव्यू होता है और यदि उम्मीदवार उसमें अच्छा स्कोर करते हैं, तो उन्हें स्कोलरशिप भी मिल सकती है।
एम.फिल सोशियोलॉजी के लिए भारत के टॉप कॉलेजों द्वारा अपनाई जाने वाली एडमिशन प्रोसेस निम्नलिखित है
चरण 1: रजिस्ट्रेशन
- उम्मीदवार ऑफिशयल वेबसाइट पर जाएं।
- ऑफिशयल वेबसाइट पर जाने के बाद आवेदन फॉर्म भरें।
- आवेदन फॉर्म को भरने के बाद ठीक तरह से जांच लें यदि फॉर्म में गलती हुई तो वह रिजक्ट हो सकता है।
- मांगे गए दस्तावेज अपलोड करें।
- आवेदन पत्र सबमिट करें।
- क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन फॉर्म की फीस जमा करें।
चरण 2: एंट्रेंस एग्जाम
- यदि उम्मीदवार एम.फिल सोशियोलॉजी में एडमिशन लेने के लिए टॉप यूनिवर्सिटी का लक्ष्य रखते हैं, तो उनके लिए एंट्रेंस एग्जाम क्रेक करना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद एडमिट कार्ड जारी किए जाते हैं। जिसमें की एंट्रेंस एग्जाम से संबंधित सभी जानकारी दी जाती है जैसे कि एग्जाम कब और कहां होगा, आदि।
- बता दें कि एम.फिल सोशियोलॉजी के लिए एडमिशन प्रोसेस बीयू एप्टीट्यूड टेस्ट, जेएनयूईई आदि जैसे एंट्रेंस एग्जाम पर निर्भर करती है। योग्य उम्मीदवारों का चयन आगे इंट्रव्यू के आधार पर किया जाता है।
चरण 3: एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट
एंट्रेंस एग्जाम हो जाने के कुछ दिन बाद उसका रिजल्ट घोषित किया जाता है जिसके लिए, छात्रों को नियमित रूप से विश्वविद्यालय की वेबसाइटों और सोशल मीडिया हैंडल की जांच करके खुद को अपडेट रखना चाहिए।
चरण 4: इंट्रव्यू एंड एनरोलमेंट
- एंट्रेंस एग्जाम में पास होने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी द्वारा इंट्रव्यू में उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा - या तो ऑनलाइन (स्काइप, गूगल मीट, ज़ूम) या ऑफ़लाइन छात्रों को यूनिवर्सिटी परिसर में बुलाकर।
- इस दौरान, अन्य सभी एलिजिबिली क्राइटेरिया को क्रॉस चेक किया जाता है और यदि छात्र इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें एम.फिल सोशियोलॉजी का अध्ययन करने के लिए एडमिशन दिया जाता है।
एम.फिल सोशियोलॉजी: सिलेबस
- नृवंशविज्ञान पर विचार
- दार्शनिक नृविज्ञान
- लोकतंत्र, समानता और सामाजिक न्याय का सिद्धांत
- रोजमर्रा की जिंदगी और उसके क्षितिज
- मर्दानगी का सिद्धांत
- नागरिक युद्ध का समाजशास्त्र
- कृषि संरचना
- भारतीय समाज में महिलाएं
- समकालीन वर्ग विश्लेषण
- संरचनावाद और उत्तर-संरचनावाद
- जाति का पुरातत्व
- स्वास्थ्य और बीमारी का समाजशास्त्र
- प्रकृति, समाज, पर्यावरण
- राज्य का अध्ययन
- अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन, लिंग और पहचान
- कला, आधुनिकतावाद, और जनता
कॉलेज फक्लटी आमतौर पर छात्रों को उनके स्वतंत्र शोध कार्य में सहायता करते हैं, जबकि अधिक अनुभव प्राप्त करने के लिए छात्र सहायक के रूप में अपने प्रोफेसरों के अधीन काम करना चुन सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें इस बात की बेहतर समझ होगी कि मास्टर पूरी करने के बाद अगर वे प्रोफेसर बनना चाहते हैं तो उन्हें किस तरह का काम करना होगा।
एम.फिल सोशियोलॉजी: टॉप कॉलेज और उनकी फीस
- वनस्थली विद्यापीठ, जयपुर- फीस 44,000
- जयपुर राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, जयपुर- फीस 51,300
- बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल- फीस 21,500
- गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद- फीस 8,700
- महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी- फीस 18,900
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान- [आईआईटी] हैदराबाद- फीस 30,000
- असम विश्वविद्यालय, सिलचर- फीस 19,000
- गुलबर्गा विश्वविद्यालय, गुलबर्गा फीस 4,000
- सौराष्ट्र विश्वविद्यालय, राजकोट- फीस 55,700
- राजीव गांधी विश्वविद्यालय, ईटानगर- फीस 10,500
- जोधपुर राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, जोधपुर- फीस 1,00,000
- मोनाड विश्वविद्यालय, जयपुर- फीस 24,500