मैनेजमेंट में एम.फिल कैसे करें (Career in M.Phil. Management)

मास्टर ऑफ फिलॉसफी इन मैनेजमेंट 1 से 2 साल तक की अवधि का पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च स्तर का कोर्स है। एम.फिल इन मैनेजमेंट मास्टर्स और डॉक्टरेट के बीच की एक इंटरमीडिएट डिग्री है। यह कोर्स मुख्य रूप से शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, चिकित्सकों और को कॉर्पोरेट के लिए समस्या समाधान और परामर्श के लिए अनुसंधान डेटा की योजना बनाने, डिजाइन करने, संलग्न करने और व्याख्या करने के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल और क्षमता प्रदान करता है।

चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको एम.फिल इन मैनेजमेंट से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी से अवगत कराएंगे कि आखिर मैनेजमेंट में एम.फिल करने के लिए एलिजिबिलिटी क्या होनी चाहिए। इसका एडमिशन प्रोसेस क्या है, इसके लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम कौन से हैं, इसे करने के बाद आपके पास जॉब प्रोफाइल क्या होंगी और उनकी सैलरी क्या होगी। भारत में मैनेजमेंट में एम.फिल करने के लिए टॉप कॉलेज कौन से हैं और उनकी फीस क्या है।

मैनेजमेंट में एम.फिल कैसे करें

• कोर्स का नाम- मास्टर ऑफ फिलॉसफी इन मैनेजमेंट
• कोर्स का प्रकार- पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च
• कोर्स की अवधि- 1 से 2 साल तक
• एलिजिबिलिटी- मास्टर डिग्री
• एडमिशन प्रोसेस- एंट्रेंस एग्जाम
• कोर्स फीस- 20,000 से 2,00,000 तक
• अवरेज सैलरी- 2 से 25 लाख तक
• जॉब फील्ड- शैक्षिक उद्योग, कानून फर्म, प्रकाशन गृह, अनुसंधान और विकास संस्थान, मानव सेवा उद्योग आदि।
• जॉब प्रोफाइल- अर्थशास्त्री, प्रबंधन सलाहकार, शोधकर्ता, मानव संसाधन प्रबंधक, अकादमिक प्रोफेसर आदि।

एम.फिल मैनेजमेंट: एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
• इच्छुक उम्मीदवार के पास मैनेजमेंट से संबंधित विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए।
• एम.फिल इन मैनेजमेंट में एडमिशन लेने के लिए उम्मीदवार के पास मास्टर डिग्री में न्यूनतम 55% अंक होना आवश्यक है।
• आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 5% अंकों की अतिरिक्त छूट दी जाती है।
• इसके साथ ही, उम्मीदवार को एंट्रेंस एग्जाम में भी विश्वविद्यालय के मानकों तक स्कोर करना होता है, जो या तो विश्वविद्यालय द्वारा स्वयं या यूजीसी-नेट जैसी राष्ट्रीय परीक्षाओं द्वारा आयोजित की जाती हैं।

एम.फिल मैनेजमेंट: एडमिशन प्रोसेस
किसी भी टॉप यूनिवर्सिटी में एम.फिल मैनेजमेंट कोर्स में एडमिशन लेने के लिए, उम्मीदवारों को एंट्रेंस एग्जाम देने की आवश्यकता होती है। एंट्रेंस एग्जाम में पास होने के बाद पर्सनल इंट्रव्यू होता है और यदि उम्मीदवार उसमें अच्छा स्कोर करते हैं, तो उन्हें स्कोलरशिप भी मिल सकती है।

एम.फिल मैनेजमेंट के लिए भारत के टॉप कॉलेजों द्वारा अपनाई जाने वाली एडमिशन प्रोसेस निम्नलिखित है

चरण 1: रजिस्ट्रेशन

  • उम्मीदवार ऑफिशयल वेबसाइट पर जाएं।
  • ऑफिशयल वेबसाइट पर जाने के बाद आवेदन फॉर्म भरें।
  • आवेदन फॉर्म को भरने के बाद ठीक तरह से जांच लें यदि फॉर्म में गलती हुई तो वह रिजक्ट हो सकता है।
  • मांगे गए दस्तावेज अपलोड करें।
  • आवेदन पत्र सबमिट करें।
  • क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन फॉर्म की फीस जमा करें।

चरण 2: एंट्रेंस एग्जाम

  • यदि उम्मीदवार एम.फिल मैनेजमेंट में एडमिशन लेने के लिए टॉप यूनिवर्सिटी का लक्ष्य रखते हैं, तो उनके लिए एंट्रेंस एग्जाम क्रेक करना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद एडमिट कार्ड जारी किए जाते हैं। जिसमें की एंट्रेंस एग्जाम से संबंधित सभी जानकारी दी जाती है जैसे कि एग्जाम कब और कहां होगा, आदि।
  • बता दें कि एम.फिल मैनेजमेंट के लिए एडमिशन प्रोसेस केट, एक्सएटी, एसएनएपी, सीएमएटी आदि जैसे एंट्रेंस एग्जाम पर निर्भर करती है। योग्य उम्मीदवारों का चयन आगे इंट्रव्यू के आधार पर किया जाता है।

चरण 3: एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट
एंट्रेंस एग्जाम हो जाने के कुछ दिन बाद उसका रिजल्ट घोषित किया जाता है जिसके लिए, छात्रों को नियमित रूप से विश्वविद्यालय की वेबसाइटों और सोशल मीडिया हैंडल की जांच करके खुद को अपडेट रखना चाहिए।

चरण 4: इंट्रव्यू एंड एनरोलमेंट

  • एंट्रेंस एग्जाम में पास होने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी द्वारा इंट्रव्यू में उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा - या तो ऑनलाइन (स्काइप, गूगल मीट, ज़ूम) या ऑफ़लाइन छात्रों को यूनिवर्सिटी परिसर में बुलाकर।
  • इस दौरान, अन्य सभी एलिजिबिली क्राइटेरिया को क्रॉस चेक किया जाता है और यदि छात्र इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें एम.फिल मैनेजमेंट का अध्ययन करने के लिए एडमिशन दिया जाता है।

एम.फिल मैनेजमेंट: सिलेबस
सेमेस्टर I

  • रिसर्च मेथेडलॉजी
  • इलेक्टिव
  • बिजनेस एंड कंप्यूटर एप्लीकेशन (बीसीए)

सेमेस्टर II

  • डिसर्टेशन
  • वाइवा-वोक

कॉलेज फक्लटी आमतौर पर छात्रों को उनके स्वतंत्र शोध कार्य में सहायता करते हैं, जबकि अधिक अनुभव प्राप्त करने के लिए छात्र सहायक के रूप में अपने प्रोफेसरों के अधीन काम करना चुन सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें इस बात की बेहतर समझ होगी कि मास्टर पूरी करने के बाद अगर वे प्रोफेसर बनना चाहते हैं तो उन्हें किस तरह का काम करना होगा।

एम.फिल मैनेजमेंट: टॉप कॉलेज और उनकी फीस

  • जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली, दिल्ली एनसीआर
  • गोवा विश्वविद्यालय, गोवा- फीस 17,900
  • बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
  • क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बैंगलोर, कर्नाटक- फीस 70,000
  • हिमालयन विश्वविद्यालय, ईटानगर, अरुणाचल प्रदेश- फीस 81,000
  • महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी, बिहार- फीस 35,218
  • मदर टेरेसा महिला विश्वविद्यालय, डिंडीगुल, तमिलनाडु- फीस 7,500
  • अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा, मध्य प्रदेश- फीस 30,000
  • एनआईआईएलएम विश्वविद्यालय, कैथल, हरियाणा- फीस 60,000
  • शोभित विश्वविद्यालय, मेरठ, उत्तर प्रदेश- फीस 66,200

एम.फिल मैनेजमेंट: जॉब प्रोफाइल और सैलरी

  • रिसर्चर- सैलरी 6.7 लाख
  • ह्यूमन रिसोर्स मैनेजर- सैलरी 7.12 लाख
  • फाइनेंस एडवाइजर- सैलरी 3.74 लाख
  • मैनेजमेंट कंस्लटेंट- सैलरी 11.34 लाख
  • एकेडमिक प्रोफेसर- सैलरी 3.89 लाख

फार्मास्यूटिक्स में एम.फिल कैसे करें (Career in M.Phil. Pharmaceuticals)

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English summary
Master of Philosophy in Management is a post graduate research level course of 1 to 2 years duration. The course is primarily designed to provide researchers, academicians, practitioners and corporate with the knowledge, skills and competence needed to plan, design, engage and interpret research data for problem solving and consultancy.
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