मास्टर ऑफ फिलॉसफी इन बायोटेक्नोलॉजी 1 साल की अवधि का पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च स्तर का कोर्स है। एम.फिल इन बायोटेक्नोलॉजी मास्टर्स और डॉक्टरेट के बीच की एक इंटरमीडिएट डिग्री है। यह कोर्स मुख्य रूप से शिक्षकों, शोधकर्ताओं और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए बनाया गया है जो जैव प्रौद्योगिकी में उच्च अध्ययन करना चाहते हैं। इस कोर्स में छात्र आनुवंशिक समस्याओं को कम करने, जीवित जीवों को प्रभावित करने वाले टीकों का उत्पादन करने के लिए आनुवंशिकी में हेरफेर करने के तरीकों की खोज करता है।
चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको एम.फिल इन बायोटेक्नोलॉजी से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी से अवगत कराएंगे कि आखिर बायोटेक्नोलॉजी में एम.फिल करने के लिए एलिजिबिलिटी क्या होनी चाहिए। इसका एडमिशन प्रोसेस क्या है, इसके लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम कौन से हैं, इसे करने के बाद आपके पास जॉब प्रोफाइल क्या होंगी और उनकी सैलरी क्या होगी। भारत में बायोटेक्नोलॉजी में एम.फिल करने के लिए टॉप कॉलेज कौन से हैं और उनकी फीस क्या है।
• कोर्स का नाम- मास्टर ऑफ फिलॉसफी इन बायोटेक्नोलॉजी
• कोर्स का प्रकार- पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च
• कोर्स की अवधि- 1 साल
• एलिजिबिलिटी- मास्टर डिग्री
• एडमिशन प्रोसेस- एंट्रेंस एग्जाम
• कोर्स फीस- 3,000 से 2,00,000 तक
• अवरेज सैलरी- 2 से 20 लाख तक
• जॉब फील्ड- अनुसंधान और विकास, खाद्य उद्योग, फार्मास्युटिकल उद्योग, रसायन उद्योग, अनुसंधान प्रयोगशालाएं आदि।
• जॉब प्रोफाइल- जैव प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ, जैव प्रौद्योगिकी पेटेंट विश्लेषक, जैव प्रौद्योगिकी कार्यकारी, अनुसंधान सहयोगी, रखरखाव इंजीनियर आदि।
एम.फिल बायोटेक्नोलॉजी: एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
• इच्छुक उम्मीदवार के पास बायोटेक्नोलॉजी से संबंधित विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए।
• एम.फिल इन बायोटेक्नोलॉजी में एडमिशन लेने के लिए उम्मीदवार के पास मास्टर डिग्री में न्यूनतम 55% अंक होना आवश्यक है।
• आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 5% अंकों की अतिरिक्त छूट दी जाती है।
• इसके साथ ही, उम्मीदवार को एंट्रेंस एग्जाम में भी विश्वविद्यालय के मानकों तक स्कोर करना होता है, जो या तो विश्वविद्यालय द्वारा स्वयं या यूजीसी-नेट जैसी राष्ट्रीय परीक्षाओं द्वारा आयोजित की जाती हैं।
एम.फिल बायोटेक्नोलॉजी: एडमिशन प्रोसेस
किसी भी टॉप यूनिवर्सिटी में एम.फिल बायोटेक्नोलॉजी कोर्स में एडमिशन लेने के लिए, उम्मीदवारों को एंट्रेंस एग्जाम देने की आवश्यकता होती है। एंट्रेंस एग्जाम में पास होने के बाद पर्सनल इंट्रव्यू होता है और यदि उम्मीदवार उसमें अच्छा स्कोर करते हैं, तो उन्हें स्कोलरशिप भी मिल सकती है।
एम.फिल बायोटेक्नोलॉजी के लिए भारत के टॉप कॉलेजों द्वारा अपनाई जाने वाली एडमिशन प्रोसेस निम्नलिखित है
चरण 1: रजिस्ट्रेशन
- उम्मीदवार ऑफिशयल वेबसाइट पर जाएं।
- ऑफिशयल वेबसाइट पर जाने के बाद आवेदन फॉर्म भरें।
- आवेदन फॉर्म को भरने के बाद ठीक तरह से जांच लें यदि फॉर्म में गलती हुई तो वह रिजक्ट हो सकता है।
- मांगे गए दस्तावेज अपलोड करें।
- आवेदन पत्र सबमिट करें।
- क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन फॉर्म की फीस जमा करें।
चरण 2: एंट्रेंस एग्जाम
- यदि उम्मीदवार एम.फिल बायोटेक्नोलॉजी में एडमिशन लेने के लिए टॉप यूनिवर्सिटी का लक्ष्य रखते हैं, तो उनके लिए एंट्रेंस एग्जाम क्रेक करना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद एडमिट कार्ड जारी किए जाते हैं। जिसमें की एंट्रेंस एग्जाम से संबंधित सभी जानकारी दी जाती है जैसे कि एग्जाम कब और कहां होगा, आदि।
- बता दें कि एम.फिल बायोटेक्नोलॉजी के लिए एडमिशन प्रोसेस यूजीसी नेट, यूजीसी जेआरएफ, स्लेट, गेट आदि जैसे एंट्रेंस एग्जाम पर निर्भर करती है। योग्य उम्मीदवारों का चयन आगे इंट्रव्यू के आधार पर किया जाता है।
चरण 3: एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट
एंट्रेंस एग्जाम हो जाने के कुछ दिन बाद उसका रिजल्ट घोषित किया जाता है जिसके लिए, छात्रों को नियमित रूप से विश्वविद्यालय की वेबसाइटों और सोशल मीडिया हैंडल की जांच करके खुद को अपडेट रखना चाहिए।
चरण 4: इंट्रव्यू एंड एनरोलमेंट
- एंट्रेंस एग्जाम में पास होने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी द्वारा इंट्रव्यू में उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा - या तो ऑनलाइन (स्काइप, गूगल मीट, ज़ूम) या ऑफ़लाइन छात्रों को यूनिवर्सिटी परिसर में बुलाकर।
- इस दौरान, अन्य सभी एलिजिबिली क्राइटेरिया को क्रॉस चेक किया जाता है और यदि छात्र इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें एम.फिल बायोटेक्नोलॉजी का अध्ययन करने के लिए एडमिशन दिया जाता है।
एम.फिल बायोटेक्नोलॉजी: सिलेबस
सेमेस्टर I
- रिसर्च मेथेडलॉजी
- साइंटिफिक राइटिंग
- प्रोजेक्ट मैनेजमेंट इन बायोटेक्नोलॉजी
- बायो इंडस्ट्री इंटर्नल
- बायोप्रोसेस टेक्नोलॉजी
- एंजाइम टेक्नोलॉजी
- रेकॉम्बीनैंट डीएनए टेक्नोलॉजी
सेमेस्टर II
- डिसर्टेशन
- वाइवा-वोक
कॉलेज फक्लटी आमतौर पर छात्रों को उनके स्वतंत्र शोध कार्य में सहायता करते हैं, जबकि अधिक अनुभव प्राप्त करने के लिए छात्र सहायक के रूप में अपने प्रोफेसरों के अधीन काम करना चुन सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें इस बात की बेहतर समझ होगी कि मास्टर पूरी करने के बाद अगर वे प्रोफेसर बनना चाहते हैं तो उन्हें किस तरह का काम करना होगा।
एम.फिल बायोटेक्नोलॉजी: टॉप कॉलेज और उनकी फीस
- एपीजे सत्य विश्वविद्यालय, गुड़गांव- फीस 1,50,000
- असम विश्वविद्यालय- फीस 56,000
- भरत कॉलेज ऑफ साइंस एंड मैनेजमेंट, तंजावुर- फीस 16,900
- चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय, हरियाणा- फीस 31,280
- सीएमएस कॉलेज ऑफ साइंस एंड कॉमर्स, कोयंबटूर- फीस 5,255
- महिलाओं के लिए डीकेएम कॉलेज, वेल्लोर- फीस 2,02,000
- डॉ. बी.आर. अम्बेडकर विश्वविद्यालय, श्रीकाकुलम- फीस 16,500
- द्रविड़ विश्वविद्यालय, कुप्पम- फीस 12,000
- गुलबर्गा विश्वविद्यालय- फीस 3,100
- हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला- फीस 23,000
- हिंदुस्तान कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड साइंस, कोयंबटूर- फीस 29,000
- आईआईटीएम, उत्तर प्रदेश- फीस 35,800
- जैन विश्वविद्यालय, बैंगलोर- फीस 10,000
- लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, जालंधर- फीस 79,000
- महेंद्र आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज, नमक्कल- फीस 36,000
- एप्लाइड साइंस के एमएन संस्थान, राजस्थान- फीस 14,000
- पेरियार विश्वविद्यालय, सलेम- फीस 25,000
एम.फिल बायोटेक्नोलॉजी: जॉब प्रोफाइल और सैलरी
- बायोटेक्नोलॉजी एक्सपर्ट- सैलरी 6 लाख
- बायोटेक्नोलॉजी पेंटेंट एनालिस्ट- सैलरी 5 लाख
- बायोटेक्नोलॉजी एग्जीक्यूटीव- सैलरी 4 लाख
- रिसर्च असोसिएट- सैलरी 5 लाख
- मेंटेनेंस इंजीनियर- सैलरी 5.50 लाख
- प्रोफेसर- सैलरी 3.50 लाख