डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन सोशल साइंस 3 साल की अवधि का एक शोध आधारित डॉक्टरेट स्तर का कोर्स है। पीएचडी सोशल साइंस यानि कि सामाजिक विज्ञान कोर्स सामाजिक उत्थान, लोक कल्याण, महिला सशक्तिकरण, अधिकार आधारित सक्रियता और कई अन्य विषयों की एक विस्तृत विविधता से संबंधित है। यह समाज के विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं पर केंद्रित है। इस कोर्स में सामाजिक विज्ञान से संबंधित विषयों पर विभिन्न शोध-आधारित गतिविधियां शामिल हैं।
चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको पीएचडी इन सोशल साइंस से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी से अवगत कराएंगे कि आखिर सोशल साइंस में पीएचडी करने के लिए एलिजिबिलिटी क्या होनी चाहिए। इसका एडमिशन प्रोसेस क्या है, इसके लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम कौन से हैं, इसे करने के बाद आपके पास जॉब प्रोफाइल क्या होंगी और उनकी सैलरी क्या होगी। भारत में सोशल साइंस में पीएचडी करने के लिए टॉप कॉलेज कौन से हैं और उनकी फीस क्या है।
• कोर्स का नाम- डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन सोशल साइंस
• कोर्स का प्रकार- डॉक्टरेट डिग्री
• कोर्स की अवधि- 3 से 5 साल तक
• एलिजिबिलिटी- मास्टर डिग्री
• एडमिशन प्रोसेस- एंट्रेंस एग्जाम/ मेरिट बेस्ड
• कोर्स फीस- 10,000 से 4 लाख तक
• अवरेज सैलरी- 18,000 से 30,000 तक (प्रति माह)
• जॉब प्रोफाइल- एनजीओ कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता, बाल अधिकार कार्यकर्ता, सामाजिक शोधकर्ता, सिविल सेवक आदि।
• जॉब फिल्ड- शिक्षण, सिविल सेवा, सामाजिक सेवाएं, नीति समन्वय, लोक कल्याण गतिविधियां आदि।
पीएचडी इन सोशल साइंस: एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
• इच्छुक उम्मीदवार के पास सोशल साइंस से संबंधित विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन या एम.फिल की डिग्री होनी चाहिए।
• पीएचडी इन सोशल साइंस में एडमिशन लेने के लिए उम्मीदवार के पास मास्टर डिग्री में न्यूनतम 55% अंक होना आवश्यक है।
• आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 5% अंकों की अतिरिक्त छूट दी जाती है।
• इसके साथ ही, उम्मीदवार को एंट्रेंस एग्जाम में भी विश्वविद्यालय के मानकों तक स्कोर करना होता है, जो या तो विश्वविद्यालय द्वारा स्वयं या यूजीसी-नेट जैसी राष्ट्रीय परीक्षाओं द्वारा आयोजित की जाती हैं।
पीएचडी इन सोशल साइंस: एडमिशन प्रोसेस
किसी भी टॉप यूनिवर्सिटी में पीएचडी इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन कोर्स में एडमिशन लेने के लिए, उम्मीदवारों को एंट्रेंस एग्जाम देने की आवश्यकता होती है। एंट्रेंस एग्जाम में पास होने के बाद पर्सनल इंट्रव्यू होता है और यदि उम्मीदवार उसमें अच्छा स्कोर करते हैं, तो उन्हें स्कोलरशिप भी मिल सकती है।
पीएचडी इन सोशल साइंस के लिए भारत के टॉप कॉलेजों द्वारा अपनाई जाने वाली एडमिशन प्रोसेस निम्नलिखित है
चरण 1: रजिस्ट्रेशन
- उम्मीदवार ऑफिशयल वेबसाइट पर जाएं।
- ऑफिशयल वेबसाइट पर जाने के बाद आवेदन फॉर्म भरें।
- आवेदन फॉर्म को भरने के बाद ठीक तरह से जांच लें यदि फॉर्म में गलती हुई तो वह रिजक्ट हो सकता है।
- मांगे गए दस्तावेज अपलोड करें।
- आवेदन पत्र सबमिट करें।
- क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन फॉर्म की फीस जमा करें।
चरण 2: एंट्रेंस एग्जाम
- यदि उम्मीदवार पीएचडी इन सोशल साइंस में एडमिशन लेने के लिए टॉप यूनिवर्सिटी का लक्ष्य रखते हैं, तो उनके लिए एंट्रेंस एग्जाम क्रेक करना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद एडमिट कार्ड जारी किए जाते हैं। जिसमें की एंट्रेंस एग्जाम से संबंधित सभी जानकारी दी जाती है जैसे कि एग्जाम कब और कहां होगा, आदि।
- बता दें कि पीएचडी इन सोशल साइंस के लिए एडमिशन प्रोसेस यूजीसी नेट, यूजीसी सीएसआईआर नेट, डीटीयू पीएचडी एंट्रेंस टेस्ट, एलपीयूएनईएसटी, जीटीयू पीएचडी एंट्रेंस एग्जाम आदि जैसे एंट्रेंस एग्जाम पर निर्भर करती है। योग्य उम्मीदवारों का चयन आगे इंट्रव्यू के आधार पर किया जाता है।
चरण 3: एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट
एंट्रेंस एग्जाम हो जाने के कुछ दिन बाद उसका रिजल्ट घोषित किया जाता है जिसके लिए, छात्रों को नियमित रूप से विश्वविद्यालय की वेबसाइटों और सोशल मीडिया हैंडल की जांच करके खुद को अपडेट रखना चाहिए।
चरण 4: इंट्रव्यू एंड एनरोलमेंट
- एंट्रेंस एग्जाम में पास होने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी द्वारा इंट्रव्यू में उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा - या तो ऑनलाइन (स्काइप, गूगल मीट, ज़ूम) या ऑफ़लाइन छात्रों को यूनिवर्सिटी परिसर में बुलाकर।
- इस दौरान, अन्य सभी एलिजिबिली क्राइटेरिया को क्रॉस चेक किया जाता है और यदि छात्र इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें डॉक्टरेट स्तर पर सोशल साइंस का अध्ययन करने के लिए एडमिशन दिया जाता है।
पीएचडी इन सोशल साइंस: सिलेबस
फिलॉसफी ऑफ सोशल साइंस
- रिसर्च एंड फिल्डवर्क
- थीसिस/ रिपोर्ट प्रिपरेशन
- प्रेसेंटेशन
थ्योरी रिलेटेड टू सोसाइटी
- सोशियोलॉजिकल बेसिस ऑफ सोसाइटी
- थ्योरी ऑफ राइट्स
- वाइवा-वोक
कॉलेज फक्लटी आमतौर पर छात्रों को उनके स्वतंत्र शोध कार्य में सहायता करते हैं, जबकि अधिक अनुभव प्राप्त करने के लिए छात्र सहायक के रूप में अपने प्रोफेसरों के अधीन काम करना चुन सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें इस बात की बेहतर समझ होगी कि पीएचडी पूरी करने के बाद अगर वे प्रोफेसर बनना चाहते हैं तो उन्हें किस तरह का काम करना होगा।
पीएचडी इन सोशल साइंस: टॉप कॉलेज और उनकी फीस
- जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्याल, नई दिल्ली- फीस 1,381
- बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी- फीस 8,368
- सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय- फीस 20,000
- महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, केरल- फीस 28,600
- टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान, महाराष्ट्र- फीस 60,800
- गुजरात विश्वविद्यालय- फीस 18,000
- गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर- फीस 39,010
- राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय- फीस 24,055
- मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर- फीस 8,500
पीएचडी इन सोशल साइंस: जॉब प्रोफाइल और सैलरी
- सिविल सर्वेंट- सैलरी 8 लाख
- सोशल वर्कर- सैलरी 3 लाख
- पब्लिक राइट एक्टिविस्ट- सैलरी 4 लाख
- एनजीओ वर्कर- सैलरी 3 लाख
- रिसर्च- सैलरी 4 लाख
- प्रोफेसर- सैलरी 7 लाख