डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग 2 से 5 साल तक की अवधि का कोर्स है। पीएचडी मैकेनिकल इंजीनियरिंग एक तकनीकी पाठ्यक्रम है जिसके लिए छात्रों को थर्मोडायनामिक्स, यांत्रिकी और वैज्ञानिक कंप्यूटिंग जैसे विषयों का मजबूत ज्ञान होना आवश्यक है। इस कोर्स के दौरान, छात्रों को मैकेनिकल इंजीनियरिंग स्किल्स, तकनीकी ड्राइंग और कंप्यूटिंग स्किल्स के बारे में पता चलेगा।
चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको पीएचडी इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी से अवगत कराएंगे कि आखिर मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी करने के लिए एलिजिबिलिटी क्या होनी चाहिए। इसका एडमिशन प्रोसेस क्या है, इसके लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम कौन से हैं, इसे करने के बाद आपके पास जॉब प्रोफाइल क्या होंगी और उनकी सैलरी क्या होगी। भारत में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी करने के लिए टॉप कॉलेज कौन से हैं और उनकी फीस क्या है।
• कोर्स का नाम- डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग
• कोर्स का प्रकार- डॉक्टरेट डिग्री
• कोर्स की अवधि- 2 से 5 साल तक
• एलिजिबिलिटी- मास्टर डिग्री
• एडमिशन प्रोसेस- एंट्रेंस एग्जाम/ मेरिट बेस्ड
• कोर्स फीस- 96 हजार से 3.16 लाख तक
• अवरेज सैलरी- 3 से 10 लाख तक
• जॉब प्रोफाइल- लेक्चरर, जूनियर इंजीनियर, असिस्टेंट इंजीनियर, एग्जीक्यूटीव इंजीनियर, रिसर्चर आदि।
• जॉब फिल्ड- पॉवर प्लांट, मेन्युफेक्चरिंग एरिया, केमिकल प्लांट, स्टील प्लांट, एजुकेशनल इंस्टीट्यूट आदि।
पीएचडी इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग: एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
• इच्छुक उम्मीदवार के पास मैकेनिकल इंजीनियरिंग से संबंधित विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन या एम.फिल की डिग्री होनी चाहिए।
• पीएचडी इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने के लिए उम्मीदवार के पास मास्टर डिग्री में न्यूनतम 55% अंक होना आवश्यक है।
• आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 5% अंकों की अतिरिक्त छूट दी जाती है।
• इसके साथ ही, उम्मीदवार को एंट्रेंस एग्जाम में भी विश्वविद्यालय के मानकों तक स्कोर करना होता है, जो या तो विश्वविद्यालय द्वारा स्वयं या यूजीसी-नेट जैसी राष्ट्रीय परीक्षाओं द्वारा आयोजित की जाती हैं।
पीएचडी इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग: एडमिशन प्रोसेस
किसी भी टॉप यूनिवर्सिटी में पीएचडी मैकेनिकल इंजीनियरिंग कोर्स में एडमिशन लेने के लिए, उम्मीदवारों को एंट्रेंस एग्जाम देने की आवश्यकता होती है। एंट्रेंस एग्जाम में पास होने के बाद पर्सनल इंट्रव्यू होता है और यदि उम्मीदवार उसमें अच्छा स्कोर करते हैं, तो उन्हें स्कोलरशिप भी मिल सकती है।
पीएचडी इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग के लिए भारत के टॉप कॉलेजों द्वारा अपनाई जाने वाली एडमिशन प्रोसेस निम्नलिखित है
चरण 1: रजिस्ट्रेशन
- उम्मीदवार ऑफिशयल वेबसाइट पर जाएं।
- ऑफिशयल वेबसाइट पर जाने के बाद आवेदन फॉर्म भरें।
- आवेदन फॉर्म को भरने के बाद ठीक तरह से जांच लें यदि फॉर्म में गलती हुई तो वह रिजक्ट हो सकता है।
- मांगे गए दस्तावेज अपलोड करें।
- आवेदन पत्र सबमिट करें।
- क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन फॉर्म की फीस जमा करें।
चरण 2: एंट्रेंस एग्जाम
- यदि उम्मीदवार पीएचडी मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने के लिए टॉप यूनिवर्सिटी का लक्ष्य रखते हैं, तो उनके लिए एंट्रेंस एग्जाम क्रेक करना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद एडमिट कार्ड जारी किए जाते हैं। जिसमें की एंट्रेंस एग्जाम से संबंधित सभी जानकारी दी जाती है जैसे कि एग्जाम कब और कहां होगा, आदि।
- बता दें कि पीएचडी इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग के लिए एडमिशन प्रोसेस यूजीसी नेट, सीएसआईआर यूजीसी नेट, गेट, जेएनयूईई, डीटीयू पीएचडी एंट्रेंस एग्जाम आदि जैसे एंट्रेंस एग्जाम पर निर्भर करती है। योग्य उम्मीदवारों का चयन आगे इंट्रव्यू के आधार पर किया जाता है।
चरण 3: एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट
एंट्रेंस एग्जाम हो जाने के कुछ दिन बाद उसका रिजल्ट घोषित किया जाता है जिसके लिए, छात्रों को नियमित रूप से विश्वविद्यालय की वेबसाइटों और सोशल मीडिया हैंडल की जांच करके खुद को अपडेट रखना चाहिए।
चरण 4: इंट्रव्यू एंड एनरोलमेंट
- एंट्रेंस एग्जाम में पास होने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी द्वारा इंट्रव्यू में उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा - या तो ऑनलाइन (स्काइप, गूगल मीट, ज़ूम) या ऑफ़लाइन छात्रों को यूनिवर्सिटी परिसर में बुलाकर।
- इस दौरान, अन्य सभी एलिजिबिली क्राइटेरिया को क्रॉस चेक किया जाता है और यदि छात्र इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें डॉक्टरेट स्तर पर मैकेनिकल इंजीनियरिंग का अध्ययन करने के लिए एडमिशन दिया जाता है।
पीएचडी इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग: सिलेबस
पार्ट 1
- रिसर्च मैथेडलॉजी
- सेमिनार
- मेथमेटिक्स फॉर इंजीनियरिंग रिसर्च
- ब्रांच फॉर स्पेसिफिक टॉपिक्स
पार्ट 2
- थिसिस
- सेमिनार
- रिसर्च वर्क 1
- रिसर्च वर्क 2
कॉलेज फक्लटी आमतौर पर छात्रों को उनके स्वतंत्र शोध कार्य में सहायता करते हैं, जबकि अधिक अनुभव प्राप्त करने के लिए छात्र सहायक के रूप में अपने प्रोफेसरों के अधीन काम करना चुन सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें इस बात की बेहतर समझ होगी कि पीएचडी पूरी करने के बाद अगर वे प्रोफेसर बनना चाहते हैं तो उन्हें किस तरह का काम करना होगा।
पीएचडी इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग: टॉप कॉलेज और उनकी फर्स्ट ईयर फीस
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास 19,670
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, नई दिल्ली 34,900
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे 73,000
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर 64,050
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गुवाहाटी 18,150
- एनआईटी त्रिची, तिरुचिरापल्ली 85,000
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, इंदौर 70,900
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, वाराणसी 46,815
- रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई 64,500
- बिरला प्रौद्योगिकी और विज्ञान संस्थान, पिलानी 1,10,125
पीएचडी इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग: जॉब प्रोफाइल और सैलरी
- जूनियर इंजीनियर- सैलरी 2 से 5 लाख तक
- एग्जीक्यूटिव इंजीनियर- सैलरी 15 से 17 लाख तक
- मेकेनिकल डिजाइन इंजीनियर- सैलरी 3 से 6 लाख तक
- रिसर्च साइंटिस्ट- सैलरी 5 से 8 लाख तक
- लेक्चरर- सैलरी 9 से 11 लाख तक