एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग में पीएचडी कैसे करें (Career in PHD Environmental Engineering)

डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग 2 साल की अवधि का डॉक्टरेट लेवल की फुल टाइम डिग्री कोर्स है। पीएचडी इन एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग कोर्स मुख्य रूप से मानव स्वास्थ्य की रक्षा के लिए पर्यावरण को बेहतर बनाने और संरक्षित करने, महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र को संरक्षित करने और जीवन की पर्यावरणीय गुणवत्ता में सुधार के लिए इंजीनियरिंग अवधारणाओं का उपयोग करने पर केंद्रित है।

चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको पीएचडी इन एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी से अवगत कराएंगे कि आखिर एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग में पीएचडी करने के लिए एलिजिबिलिटी क्या होनी चाहिए। इसका एडमिशन प्रोसेस क्या है, इसके लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम कौन से हैं, इसे करने के बाद आपके पास जॉब प्रोफाइल क्या होंगी और उनकी सैलरी क्या होगी। भारत में एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग में पीएचडी करने के लिए टॉप कॉलेज कौन से हैं और उनकी फीस क्या है।

एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग में पीएचडी कैसे करें

• कोर्स का नाम- डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग
• कोर्स का प्रकार- डॉक्टरेट डिग्री
• कोर्स की अवधि- 2 साल
• एलिजिबिलिटी- मास्टर डिग्री
• एडमिशन प्रोसेस- एंट्रेंस एग्जाम
• अवरेज सैलरी- 3 से 10 लाख तक
• जॉब प्रोफाइल- प्रोफेसर, परियोजना सहायक / सहयोगी, अनुसंधान सहायक, परियोजना समन्वयक, पर्यावरण विशेषज्ञ, तकनीकी परीक्षण इंजीनियर, स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रशासक, पर्यावरण अधिकारी, और पर्यावरण अभियंता, जैव अनुसंधान सहायक आदि।

पीएचडी इन एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग: एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
• इच्छुक उम्मीदवार के पास एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग से संबंधित विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन या एम.फिल की डिग्री होनी चाहिए।
• पीएचडी इन एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने के लिए उम्मीदवार के पास मास्टर डिग्री में न्यूनतम 60% अंक होना आवश्यक है।
• आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 5% अंकों की अतिरिक्त छूट दी जाती है।
• इसके साथ ही, उम्मीदवार को एंट्रेंस एग्जाम में भी विश्वविद्यालय के मानकों तक स्कोर करना होता है, जो या तो विश्वविद्यालय द्वारा स्वयं या यूजीसी-नेट जैसी राष्ट्रीय परीक्षाओं द्वारा आयोजित की जाती हैं।

पीएचडी इन एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग: एडमिशन प्रोसेस
किसी भी टॉप यूनिवर्सिटी में पीएचडी एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग कोर्स में एडमिशन लेने के लिए, उम्मीदवारों को एंट्रेंस एग्जाम देने की आवश्यकता होती है। एंट्रेंस एग्जाम में पास होने के बाद पर्सनल इंट्रव्यू होता है और यदि उम्मीदवार उसमें अच्छा स्कोर करते हैं, तो उन्हें स्कोलरशिप भी मिल सकती है।

पीएचडी इन एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग के लिए भारत के टॉप कॉलेजों द्वारा अपनाई जाने वाली एडमिशन प्रोसेस निम्नलिखित है

चरण 1: रजिस्ट्रेशन

  • उम्मीदवार ऑफिशयल वेबसाइट पर जाएं।
  • ऑफिशयल वेबसाइट पर जाने के बाद आवेदन फॉर्म भरें।
  • आवेदन फॉर्म को भरने के बाद ठीक तरह से जांच लें यदि फॉर्म में गलती हुई तो वह रिजक्ट हो सकता है।
  • मांगे गए दस्तावेज अपलोड करें।
  • आवेदन पत्र सबमिट करें।
  • क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन फॉर्म की फीस जमा करें।

चरण 2: एंट्रेंस एग्जाम

  • यदि उम्मीदवार पीएचडी एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने के लिए टॉप यूनिवर्सिटी का लक्ष्य रखते हैं, तो उनके लिए एंट्रेंस एग्जाम क्रेक करना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद एडमिट कार्ड जारी किए जाते हैं। जिसमें की एंट्रेंस एग्जाम से संबंधित सभी जानकारी दी जाती है जैसे कि एग्जाम कब और कहां होगा, आदि।
  • बता दें कि पीएचडी इन एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग के लिए एडमिशन प्रोसेस सीएसआईआर यूजीसी नेट, आईसीएमआर जेआरएफ, एनसीबीएस, और डीबीटी जेआरएफ आदि जैसे एंट्रेंस एग्जाम पर निर्भर करती है। योग्य उम्मीदवारों का चयन आगे इंट्रव्यू के आधार पर किया जाता है।

चरण 3: एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट
एंट्रेंस एग्जाम हो जाने के कुछ दिन बाद उसका रिजल्ट घोषित किया जाता है जिसके लिए, छात्रों को नियमित रूप से विश्वविद्यालय की वेबसाइटों और सोशल मीडिया हैंडल की जांच करके खुद को अपडेट रखना चाहिए।

चरण 4: इंट्रव्यू एंड एनरोलमेंट

  • एंट्रेंस एग्जाम में पास होने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी द्वारा इंट्रव्यू में उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा - या तो ऑनलाइन (स्काइप, गूगल मीट, ज़ूम) या ऑफ़लाइन छात्रों को यूनिवर्सिटी परिसर में बुलाकर।
  • इस दौरान, अन्य सभी एलिजिबिली क्राइटेरिया को क्रॉस चेक किया जाता है और यदि छात्र इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें डॉक्टरेट स्तर पर एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग का अध्ययन करने के लिए एडमिशन दिया जाता है।

पीएचडी इन एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग: सिलेबस
1 भूमि क्षरण
2 पर्यावरण योजना और नीति
3 खाद बनाना
4 अपशिष्ट लेखा परीक्षा, प्रबंधन, और अपशिष्ट न्यूनीकरण
5 अपशिष्ट जल उपचार
6 भूजल संसाधन प्रबंधन
7 हाइड्रोडायनामिक्स और स्टोकेस्टिक मॉडलिंग
8 जलमार्गों का यूट्रोफिकेशन
9 जल संरक्षण और पुनर्चक्रण
10 जीवन चक्र विश्लेषण
11 सीवरेज सिस्टम में जंग
12 जलवायु परिवर्तन
13 सस्टेनेबल सिस्टम्स
14 वायु प्रदूषण
15 परिवहन मॉडलिंग और सिमुलेशन
16 इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम
17 ट्रैफिक इंजीनियरिंग

कॉलेज फक्लटी आमतौर पर छात्रों को उनके स्वतंत्र शोध कार्य में सहायता करते हैं, जबकि अधिक अनुभव प्राप्त करने के लिए छात्र सहायक के रूप में अपने प्रोफेसरों के अधीन काम करना चुन सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें इस बात की बेहतर समझ होगी कि पीएचडी पूरी करने के बाद अगर वे प्रोफेसर बनना चाहते हैं तो उन्हें किस तरह का काम करना होगा।

पीएचडी इन एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग: टॉप कॉलेज और उनकी फीस

  • गुवाहाटी विश्वविद्यालय- फीस 42,270
  • दिल्ली विश्वविद्यालय- फीस 20,000
  • राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान- फीस 38,820
  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएसएम), धनबाद, झारखंड- फीस 12,099
  • पांडिचेरी विश्वविद्यालय- फीस 9,233
  • प्रौद्योगिकी के बिड़ला संस्थान - [बिट मेसरा], रांची- फीस 75,000
  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान - [आईआईटी], गुवाहाटी- फीस 18,150
  • चंडीगढ़ विश्वविद्यालय, चंडीगढ़- फीस 70,000
  • अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एमयू)- फीस 12,285
  • पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी, गुजरात- फीस 65,000
  • सुभारती प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग संस्थान - [साइट], मेरठ- फीस 1,65,000
  • यूनिवर्सिटी वोक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, अन्ना यूनिवर्सिटी, थूथुकुडी- फीस 35,250
  • शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुर (सुक)- फीस 16,398
  • केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई), रुड़की- फीस 17,000
  • संबलपुर विश्वविद्यालय, संबलपुर- फीस 42,500
  • आईआईटी बॉम्बे - भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान- फीस 24,000

पीएचडी इन एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग: जॉब प्रोफाइल और सैलरी

  • प्रोफेसर- सैलरी 5 से 6 लाख
  • टेक्नीकल टेस्ट इंजीनियर- सैलरी 3 से 4 लाख
  • एनवायरमेंटल स्पेशलिस्ट- सैलरी 3.6 लाख
  • हेल्थ एंड सेफ्टी एडमिनिस्ट्रेटर- सैलरी 3 लाख
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English summary
Doctor of Philosophy in Environmental Engineering is a doctoral level full time degree course of 2 years duration. The PhD in Environmental Engineering course primarily focuses on using engineering concepts to improve and protect the environment to protect human health, preserve critical ecosystems, and improve environmental quality of life.
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