डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन डिजास्टर मैनेजमेंट 3 से 5 साल तक की अवधि का फुल टाइम कोर्स है। पीएचडी डिजास्टर मैनेजमेंट मूल रूप से एक डॉक्टरेट लेवल की डिग्री है जिसमें की छात्र आपदाओं के बारे में गहन दृष्टिकोण प्राप्त करते हैं। उन्हें इस बात का ज्ञान प्रदान किया जाता है कि हताहत के समय वित्तीय, भौतिक और मानव संसाधनों जैसे संसाधनों का उपयोग कैसे किया जाए।
चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको पीएचडी इन डिजास्टर मैनेजमेंट से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी से अवगत कराएंगे कि आखिर डिजास्टर मैनेजमेंट में पीएचडी करने के लिए एलिजिबिलिटी क्या होनी चाहिए। इसका एडमिशन प्रोसेस क्या है, इसके लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम कौन से हैं, इसे करने के बाद आपके पास जॉब प्रोफाइल क्या होंगी और उनकी सैलरी क्या होगी। भारत में डिजास्टर मैनेजमेंट में पीएचडी करने के लिए टॉप कॉलेज कौन से हैं और उनकी फीस क्या है।
• कोर्स का नाम- डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन डिजास्टर मैनेजमेंट
• कोर्स का प्रकार- डॉक्टरेट डिग्री
• कोर्स की अवधि- 3 से 5 साल तक
• एलिजिबिलिटी- मास्टर डिग्री
• एडमिशन प्रोसेस- एंट्रेंस एग्जाम या मेरिट बेस्ड
• कोर्स फीस- 50,000 से 2.5 लाख तक
• अवरेज सैलरी- 2.5 से 12 लाख तक
• जॉब प्रोफाइल- डिजास्टर ऑफिस, एनवायरमेंटल स्पेशलिस्ट, रिहैबिलिटेशन एक्सपर्ट, होमलैंड सिक्यॉरिटी एनालिस्ट आदि।
पीएचडी इन डिजास्टर मैनेजमेंट: एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
• इच्छुक उम्मीदवार के पास डिजास्टर मैनेजमेंट से संबंधित विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन या एम.फिल की डिग्री होनी चाहिए।
• पीएचडी इन डिजास्टर मैनेजमेंट में एडमिशन लेने के लिए उम्मीदवार के पास मास्टर डिग्री में न्यूनतम 55% अंक होना आवश्यक है।
• आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 5% अंक की छूट मिलती है।
• इसके साथ ही, उम्मीदवार को एंट्रेंस एग्जाम में भी विश्वविद्यालय के मानकों तक स्कोर करना होता है, जो या तो विश्वविद्यालय द्वारा स्वयं या यूजीसी-नेट जैसी राष्ट्रीय परीक्षाओं द्वारा आयोजित की जाती हैं।
पीएचडी इन डिजास्टर मैनेजमेंट: एडमिशन प्रोसेस
किसी भी टॉप यूनिवर्सिटी में पीएचडी डिजास्टर मैनेजमेंट कोर्स में एडमिशन लेने के लिए, उम्मीदवारों को एंट्रेंस एग्जाम देने की आवश्यकता होती है। एंट्रेंस एग्जाम में पास होने के बाद पर्सनल इंट्रव्यू होता है और यदि उम्मीदवार उसमें अच्छा स्कोर करते हैं, तो उन्हें स्कोलरशिप भी मिल सकती है।
पीएचडी इन डिजास्टर मैनेजमेंट के लिए भारत के टॉप कॉलेजों द्वारा अपनाई जाने वाली एडमिशन प्रोसेस निम्नलिखित है
चरण 1: रजिस्ट्रेशन
- उम्मीदवार ऑफिशयल वेबसाइट पर जाएं।
- ऑफिशयल वेबसाइट पर जाने के बाद आवेदन फॉर्म भरें।
- आवेदन फॉर्म को भरने के बाद ठीक तरह से जांच लें यदि फॉर्म में गलती हुई तो वह रिजक्ट हो सकता है।
- मांगे गए दस्तावेज अपलोड करें।
- आवेदन पत्र सबमिट करें।
- क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन फॉर्म की फीस जमा करें।
चरण 2: एंट्रेंस एग्जाम
- यदि उम्मीदवार पीएचडी डिजास्टर मैनेजमेंट में एडमिशन लेने के लिए टॉप यूनिवर्सिटी का लक्ष्य रखते हैं, तो उनके लिए एंट्रेंस एग्जाम क्रेक करना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद एडमिट कार्ड जारी किए जाते हैं। जिसमें की एंट्रेंस एग्जाम से संबंधित सभी जानकारी दी जाती है जैसे कि एग्जाम कब और कहां होगा, आदि।
- बता दें कि पीएचडी इन डिजास्टर मैनेजमेंट के लिए एडमिशन प्रोसेस निम्नलिखित एंट्रेंस एग्जाम पर निर्भर करती है। योग्य उम्मीदवारों का चयन आगे इंट्रव्यू के आधार पर किया जाता है।
एंट्रेंस एग्जाम की सूची निम्नलिखित है
- नेट - राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा
- जेएनयू पीएच.डी. प्रवेश परीक्षा - जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय पीएच.डी. प्रवेश परीक्षा
- डीईटी - डॉक्टरेट प्रवेश परीक्षा
- सेट - राज्य प्रवेश परीक्षा
- एसएलईटी - राज्य स्तरीय प्रवेश परीक्षा
- पीईटी - पीएच.डी. प्रवेश परीक्षा
चरण 3: एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट
एंट्रेंस एग्जाम हो जाने के कुछ दिन बाद उसका रिजल्ट घोषित किया जाता है जिसके लिए, छात्रों को नियमित रूप से विश्वविद्यालय की वेबसाइटों और सोशल मीडिया हैंडल की जांच करके खुद को अपडेट रखना चाहिए।
चरण 4: इंट्रव्यू एंड एनरोलमेंट
- एंट्रेंस एग्जाम में पास होने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी द्वारा इंट्रव्यू में उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा - या तो ऑनलाइन (स्काइप, गूगल मीट, ज़ूम) या ऑफ़लाइन छात्रों को यूनिवर्सिटी परिसर में बुलाकर।
- इस दौरान, अन्य सभी एलिजिबिली क्राइटेरिया को क्रॉस चेक किया जाता है, और यदि छात्र इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें डॉक्टरेट स्तर पर डिजास्टर मैनेजमेंट का अध्ययन करने के लिए एडमिशन दिया जाता है।
पीएचडी इन डिजास्टर मैनेजमेंट: सिलेबस
- रिसर्च मैथेडलॉजी
- जियोलॉजी, हाइड्रोलॉजी, जियोमॉरफोलॉजी
- स्पेशल पेपर
- फ्लुवियल जियोमॉर्फोलॉजी
- लैंडफॉर्म इवोल्यूशन एंड एनवायरनमेंट
- पर्यावरण भू-आकृति विज्ञान और खतरे
- प्रेसेंटेशन ऑन ए रिसर्च प्रोबल्म एंड लिटरेचर रिव्यू
कॉलेज फक्लटी आमतौर पर छात्रों को उनके स्वतंत्र शोध कार्य में सहायता करते हैं, जबकि अधिक अनुभव प्राप्त करने के लिए छात्र सहायक के रूप में अपने प्रोफेसरों के अधीन काम करना चुन सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें इस बात की बेहतर समझ होगी कि पीएचडी पूरी करने के बाद अगर वे प्रोफेसर बनना चाहते हैं तो उन्हें किस तरह का काम करना होगा।
पीएचडी इन डिजास्टर मैनेजमेंट: टॉप कॉलेज और उनकी फीस
- त्रिपुरा विश्वविद्यालय
- सविता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड टेक्निकल साइंसेज, चेन्नई- फीस 45,500
- जमशेदजी टाटा स्कूल ऑफ डिजास्टर स्टडीज, मुंबई- फीस 2,95,500
- एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट, नोएडा
- भारतीय अनुसंधान अध्ययन संस्थान, नई दिल्ली
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) दिल्ली
पीएचडी इन डिजास्टर मैनेजमेंट: जॉब प्रोफाइल और सैलरी
- होमलैंड सिक्योरिटी एनालिस्ट- सैलरी 4,00,000 से 6,00,000
- डिजास्टर ऑफिसर- सैलरी 5,07,000 से 7,00,000 तक
- सर्विस रिस्पोंस मैनेजर- सैलरी 12,00,000 से 15,00,000 तक
- एनवायरमेंटल स्पेशलिस्ट- सैलरी 8,95,000 से 12,00,000
- सोशल वर्कर- सैलरी 2,50,000 से 6,00,000 तक