डेवलपमेंट स्टडीज में पीएचडी कैसे करें (Career in PHD Development Studies)

डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन डेवलपमेंट स्टडीज एक शोध आधारित डॉक्टरेट स्तर का कोर्स है। पीएचडी इन डेवलपमेंट स्टडीज 3 साल की अवधि का कोर्स है। वर्तमान वैश्विक और राष्ट्रीय प्रवृत्तियों, वर्तमान युग में बनी सामाजिक असमानताओं, आर्थिक ठहराव, शैक्षिक और प्रत्येक नागरिक के लिए रोजगार की अनुपलब्धता से छुटकारा पाने के इच्छुक छात्रों के लिए यह कोर्स डिजाइन किया गया है।

चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको पीएचडी इन डेवलपमेंट स्टडीज से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी से अवगत कराएंगे कि आखिर डेवलपमेंट स्टडीज में पीएचडी करने के लिए एलिजिबिलिटी क्या होनी चाहिए। इसका एडमिशन प्रोसेस क्या है, इसके लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम कौन से हैं, इसे करने के बाद आपके पास जॉब प्रोफाइल क्या होंगी और उनकी सैलरी क्या होगी। भारत में डेवलपमेंट स्टडीज में पीएचडी करने के लिए टॉप कॉलेज कौन से हैं और उनकी फीस क्या है।

डेवलपमेंट स्टडीज में पीएचडी कैसे करें

• कोर्स का नाम- डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन डेवलपमेंट स्टडीज
• कोर्स का प्रकार- डॉक्टरेट डिग्री
• कोर्स की अवधि- 3 साल
• एलिजिबिलिटी- मास्टर डिग्री
• एडमिशन प्रोसेस- एंट्रेंस एग्जाम
• कोर्स फीस- 14,000 से 30,000 तक
• जॉब प्रोफाइल- प्रबंधक परियोजना योजनाकार / डेवलपर, प्रोफेसर, शोधकर्ता, अंतर्राष्ट्रीय संबंध अधिकारी, विदेश सेवा एजेंट, सामुदायिक विकास कार्यकर्ता, समाज सेवक, शांति अधिवक्ता, मानवाधिकार कार्यकर्ता, विदेशी राजनयिक, व्यापार सलाहकार, इकोटूरिज्म एजेंट, अनुदान संचय, आप्रवासन अधिकारी, संचार विशेषज्ञ, अंतर्राष्ट्रीय युवा कार्यकर्ता आदि।

पीएचडी इन डेवलपमेंट स्टडीज: एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
• इच्छुक उम्मीदवार के पास डेवलपमेंट स्टडीज से संबंधित विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन या एम.फिल की डिग्री होनी चाहिए।
• पीएचडी इन डेवलपमेंट स्टडीज में एडमिशन लेने के लिए उम्मीदवार के पास मास्टर डिग्री में न्यूनतम 55% अंक होना आवश्यक है।
• आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 5% अंकों की अतिरिक्त छूट दी जाती है।
• इसके साथ ही, उम्मीदवार को एंट्रेंस एग्जाम में भी विश्वविद्यालय के मानकों तक स्कोर करना होता है, जो या तो विश्वविद्यालय द्वारा स्वयं या यूजीसी-नेट जैसी राष्ट्रीय परीक्षाओं द्वारा आयोजित की जाती हैं।

पीएचडी इन डेवलपमेंट स्टडीज: एडमिशन प्रोसेस
किसी भी टॉप यूनिवर्सिटी में पीएचडी इन डेवलपमेंट स्टडीज कोर्स में एडमिशन लेने के लिए, उम्मीदवारों को एंट्रेंस एग्जाम देने की आवश्यकता होती है। एंट्रेंस एग्जाम में पास होने के बाद पर्सनल इंट्रव्यू होता है और यदि उम्मीदवार उसमें अच्छा स्कोर करते हैं, तो उन्हें स्कोलरशिप भी मिल सकती है।

पीएचडी इन डेवलपमेंट स्टडीज के लिए भारत के टॉप कॉलेजों द्वारा अपनाई जाने वाली एडमिशन प्रोसेस निम्नलिखित है

चरण 1: रजिस्ट्रेशन

  • उम्मीदवार ऑफिशयल वेबसाइट पर जाएं।
  • ऑफिशयल वेबसाइट पर जाने के बाद आवेदन फॉर्म भरें।
  • आवेदन फॉर्म को भरने के बाद ठीक तरह से जांच लें यदि फॉर्म में गलती हुई तो वह रिजक्ट हो सकता है।
  • मांगे गए दस्तावेज अपलोड करें।
  • आवेदन पत्र सबमिट करें।
  • क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन फॉर्म की फीस जमा करें।

चरण 2: एंट्रेंस एग्जाम

  • यदि उम्मीदवार पीएचडी इन डेवलपमेंट स्टडीज में एडमिशन लेने के लिए टॉप यूनिवर्सिटी का लक्ष्य रखते हैं, तो उनके लिए एंट्रेंस एग्जाम क्रेक करना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद एडमिट कार्ड जारी किए जाते हैं। जिसमें की एंट्रेंस एग्जाम से संबंधित सभी जानकारी दी जाती है जैसे कि एग्जाम कब और कहां होगा, आदि।
  • बता दें कि पीएचडी इन डेवलपमेंट स्टडीज के लिए एडमिशन प्रोसेस सीएसआईआर नेट, यूजीसी नेट, जेआरएफ- गेट, बिट्स पिलानी पीएचडी प्रवेश परीक्षा, जेएनयू पीएचडी प्रवेश परीक्षा जैसे एंट्रेंस एग्जाम पर निर्भर करती है। योग्य उम्मीदवारों का चयन आगे इंट्रव्यू के आधार पर किया जाता है।

चरण 3: एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट
एंट्रेंस एग्जाम हो जाने के कुछ दिन बाद उसका रिजल्ट घोषित किया जाता है जिसके लिए, छात्रों को नियमित रूप से विश्वविद्यालय की वेबसाइटों और सोशल मीडिया हैंडल की जांच करके खुद को अपडेट रखना चाहिए।

चरण 4: इंट्रव्यू एंड एनरोलमेंट

  • एंट्रेंस एग्जाम में पास होने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी द्वारा इंट्रव्यू में उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा - या तो ऑनलाइन (स्काइप, गूगल मीट, ज़ूम) या ऑफ़लाइन छात्रों को यूनिवर्सिटी परिसर में बुलाकर।
  • इस दौरान, अन्य सभी एलिजिबिली क्राइटेरिया को क्रॉस चेक किया जाता है और यदि छात्र इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें डॉक्टरेट स्तर पर डेवलपमेंट स्टडीज का अध्ययन करने के लिए एडमिशन दिया जाता है।

पीएचडी इन डेवलपमेंट स्टडीज: सिलेबस

फर्स्ट ईयर

  • फिलॉसफी ऑफ रिसर्च, द ऑरिजन
  • विकास, इसकी अवधारणाएं, सिद्धांत और इतिहास
  • समकालीन भारतीय अर्थव्यवस्था
  • सामाजिक अनुसंधान के तरीके
  • विकास का अर्थशास्त्र
  • लोकतंत्र, राज्य और नागरिक समाज
  • सतत विकास और जलवायु परिवर्तन

सेकेंड ईयर

  • लिंग, आजीविका और विकास
  • आर्थिक जीवन का समाजशास्त्र
  • विकास अनुसंधान के लिए डेटाबेस
  • सार्वजनिक नीति, इसके सिद्धांत और प्रक्रियाएं
  • विकास और अपराध
  • विकास और सामाजिक क्षेत्र
  • भारत में सामाजिक बहिष्कार

थर्ड ईयर

  • सामाजिक आंदोलन और परिवर्तन
  • मानव विकास की असमानता, गरीबी और वित्त पोषण
  • अंतरिक्ष की राजनीतिक अर्थव्यवस्था
  • विकास के प्रकार: सम और असमान
  • सतत विकास और जलवायु परिवर्तन
  • औद्योगीकरण, वैश्वीकरण और श्रम
  • सामाजिक बहिष्कार और सामाजिक न्याय

कॉलेज फक्लटी आमतौर पर छात्रों को उनके स्वतंत्र शोध कार्य में सहायता करते हैं, जबकि अधिक अनुभव प्राप्त करने के लिए छात्र सहायक के रूप में अपने प्रोफेसरों के अधीन काम करना चुन सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें इस बात की बेहतर समझ होगी कि पीएचडी पूरी करने के बाद अगर वे प्रोफेसर बनना चाहते हैं तो उन्हें किस तरह का काम करना होगा।

पीएचडी इन डेवलपमेंट स्टडीज: टॉप कॉलेज और उनकी फीस

  • प्रेसीडेंसी कॉलेज, चेन्नई- फीस 1500
  • हिंदू कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली- फीस 16,590
  • सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली- फीस 35,000
  • मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज (एमसीसी), चेन्नई- फीस 25,919
  • मिरांडा हाउस दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली- फीस 14,600
  • जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली
  • उत्कल विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर- फीस 9,500
  • मैसूर विश्वविद्यालय- फीस 11,000
  • महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, कोट्टयम- फीस 28,600
  • इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान- फीस 32,000

पीएचडी इन डेवलपमेंट स्टडीज: जॉब प्रोफाइल और सैलरी

  • प्रोफेसर- सैलरी 5 लाख
  • सोशल सर्वेंट/ वर्कर- सैलरी 3 लाख
  • ब्रांड मैनेजर- सैलरी 10 लाख
  • पॉलिसी एनालिस्ट- सैलरी 7 लाख
  • फॉरेन सर्विस ऑफिसर- सैलरी 5 लाख
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English summary
Doctor of Philosophy in Development Studies is a research based doctoral level course. PhD in Development Studies is a course of 3 years duration. The course has been designed for the students who want to get rid of the current global and national trends, social inequalities created in the present era, economic stagnation, non-availability of educational and employment for every citizen.
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