डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन केमिकल इंजीनियरिंग 3 से 5 साल तक की अवधि का कोर्स है। पीएचडी केमिकल इंजीनियरिंग एक शोध-आधारित डॉक्टरेट लेवल का डिग्री कोर्स है। बता दें कि यह कोर्स छात्रों को इंजीनियरिंग फिल्ड में केमेस्ट्री के प्रिंसिप्ल एप्लाई करने के लिए प्लेटफॉर्म प्रदान करता है। केमिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी मूल रूप से भोजन, कपड़े, कॉस्मेटिक उत्पादों, डिटर्जेंट, कागज, पेंट और कई अन्य सहित दैनिक जीवन की वस्तुओं के काम करने के पीछे के विज्ञान पर केंद्रित है।
चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको पीएचडी इन केमिकल इंजीनियरिंग से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी से अवगत कराएंगे कि आखिर केमिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी करने के लिए एलिजिबिलिटी क्या होनी चाहिए। इसका एडमिशन प्रोसेस क्या है, इसके लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम कौन से हैं, इसे करने के बाद आपके पास जॉब प्रोफाइल क्या होंगी और उनकी सैलरी क्या होगी। भारत में केमिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी करने के लिए टॉप कॉलेज कौन से हैं और उनकी फीस क्या है।
• कोर्स का नाम- डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन केमिकल इंजीनियरिंग
• कोर्स का प्रकार- डॉक्टरेट डिग्री
• कोर्स की अवधि- 3 से 5 साल तक
• एलिजिबिलिटी- मास्टर डिग्री
• एडमिशन प्रोसेस- एंट्रेंस एग्जाम/ मेरिट बेस्ड
• कोर्स फीस- 50 हजार से 4 लाख तक
• अवरेज सैलरी- 7 से 20 लाख तक
• जॉब प्रोफाइल- एनालिटिकल केमिस्ट, एनर्जी मैनेजर, मैन्युफैक्चरिंग इंजीनियर, माइनिंग इंजीनियर, प्रोडक्शन मैनेजर, क्वालिटी मैनेजर आदि।
• जॉब फिल्ड- विनिर्माण उद्योग, नैनो प्रौद्योगिकी, वैकल्पिक ऊर्जा और जैव प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य देखभाल, खाद्य विनिर्माण आदि।
पीएचडी इन केमिकल इंजीनियरिंग: एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
• इच्छुक उम्मीदवार के पास केमिकल इंजीनियरिंग से संबंधित विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन या एम.फिल की डिग्री होनी चाहिए।
• पीएचडी इन केमिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने के लिए उम्मीदवार के पास मास्टर डिग्री में न्यूनतम 55% अंक होना आवश्यक है।
• आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 5% अंकों की अतिरिक्त छूट दी जाती है।
• इसके साथ ही, उम्मीदवार को एंट्रेंस एग्जाम में भी विश्वविद्यालय के मानकों तक स्कोर करना होता है, जो या तो विश्वविद्यालय द्वारा स्वयं या यूजीसी-नेट जैसी राष्ट्रीय परीक्षाओं द्वारा आयोजित की जाती हैं।
पीएचडी इन केमिकल इंजीनियरिंग: एडमिशन प्रोसेस
किसी भी टॉप यूनिवर्सिटी में पीएचडी केमिकल इंजीनियरिंग कोर्स में एडमिशन लेने के लिए, उम्मीदवारों को एंट्रेंस एग्जाम देने की आवश्यकता होती है। एंट्रेंस एग्जाम में पास होने के बाद पर्सनल इंट्रव्यू होता है और यदि उम्मीदवार उसमें अच्छा स्कोर करते हैं, तो उन्हें स्कोलरशिप भी मिल सकती है।
पीएचडी इन केमिकल इंजीनियरिंग के लिए भारत के टॉप कॉलेजों द्वारा अपनाई जाने वाली एडमिशन प्रोसेस निम्नलिखित है
चरण 1: रजिस्ट्रेशन
- उम्मीदवार ऑफिशयल वेबसाइट पर जाएं।
- ऑफिशयल वेबसाइट पर जाने के बाद आवेदन फॉर्म भरें।
- आवेदन फॉर्म को भरने के बाद ठीक तरह से जांच लें यदि फॉर्म में गलती हुई तो वह रिजक्ट हो सकता है।
- मांगे गए दस्तावेज अपलोड करें।
- आवेदन पत्र सबमिट करें।
- क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन फॉर्म की फीस जमा करें।
चरण 2: एंट्रेंस एग्जाम
- यदि उम्मीदवार पीएचडी केमिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने के लिए टॉप यूनिवर्सिटी का लक्ष्य रखते हैं, तो उनके लिए एंट्रेंस एग्जाम क्रेक करना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद एडमिट कार्ड जारी किए जाते हैं। जिसमें की एंट्रेंस एग्जाम से संबंधित सभी जानकारी दी जाती है जैसे कि एग्जाम कब और कहां होगा, आदि।
- बता दें कि पीएचडी इन केमिकल इंजीनियरिंग के लिए एडमिशन प्रोसेस यूजीसी नेट, सीएसआईआर यूजीसी नेट, गेट आदि जैसे एंट्रेंस एग्जाम पर निर्भर करती है। योग्य उम्मीदवारों का चयन आगे इंट्रव्यू के आधार पर किया जाता है।
चरण 3: एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट
एंट्रेंस एग्जाम हो जाने के कुछ दिन बाद उसका रिजल्ट घोषित किया जाता है जिसके लिए, छात्रों को नियमित रूप से विश्वविद्यालय की वेबसाइटों और सोशल मीडिया हैंडल की जांच करके खुद को अपडेट रखना चाहिए।
चरण 4: इंट्रव्यू एंड एनरोलमेंट
- एंट्रेंस एग्जाम में पास होने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी द्वारा इंट्रव्यू में उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा - या तो ऑनलाइन (स्काइप, गूगल मीट, ज़ूम) या ऑफ़लाइन छात्रों को यूनिवर्सिटी परिसर में बुलाकर।
- इस दौरान, अन्य सभी एलिजिबिली क्राइटेरिया को क्रॉस चेक किया जाता है और यदि छात्र इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें डॉक्टरेट स्तर पर केमिकल इंजीनियरिंग का अध्ययन करने के लिए एडमिशन दिया जाता है।
पीएचडी इन केमिकल इंजीनियरिंग: सिलेबस
1. एनर्जी एंड एनवायरमेंट
2. मेटिरियल इंजीनियरिंग
3. रिएक्शन इंजीनियरिंग
4. ट्रांसपोर्ट फिनोमिना एंड कॉम्प्लेक्स फ्लूड्स
5. बायो केमिकल इंजीनियरिंग
कॉलेज फक्लटी आमतौर पर छात्रों को उनके स्वतंत्र शोध कार्य में सहायता करते हैं, जबकि अधिक अनुभव प्राप्त करने के लिए छात्र सहायक के रूप में अपने प्रोफेसरों के अधीन काम करना चुन सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें इस बात की बेहतर समझ होगी कि पीएचडी पूरी करने के बाद अगर वे प्रोफेसर बनना चाहते हैं तो उन्हें किस तरह का काम करना होगा।
पीएचडी इन केमिकल इंजीनियरिंग: टॉप कॉलेज और उनकी फीस
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, नई दिल्ली- फीस 42,900
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई- फीस 73,000
- बिरला प्रौद्योगिकी और विज्ञान संस्थान, पिलानी- फीस 1,10,125
- एनआईटी, दुर्गापुर- फीस 64,100
- सरदार वल्लभ भाई राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, सूरत- फीस 40,000
- मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भोपाल- फीस 38,600
- एनआईटी, अगरतला- फीस 28,200
- अन्नामलाई विश्वविद्यालय, चिदंबरम- फीस 38,410
- भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलौर- फीस 35,200
- मुकेश पटेल स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एंड इंजीनियरिंग, मुंबई- फीस 91,500
पीएचडी इन केमिकल इंजीनियरिंग: जॉब प्रोफाइल और सैलरी
- एनालिटिक्ल केमिस्ट- सैलरी 8.48 लाख
- एनर्जी मेनेजर- सैलरी 10.24 लाख
- मेन्यूफेक्चरिंग इंजीनियर- सैलरी 10 लाख
- प्रोडक्शन मैनेजर- सैलरी 12.57 लाख
- प्रोडक्ट डेवलेपमेंट साइंटिस्ट- सैलरी 10.25 लाख