आज भी भारत की लगभग 60 से 70 प्रतिशत की आबादी कृषि पर निर्भर करती है। कृषि के लिए सबसे महत्वपूर्ण साधान है मिट्टी और जल। इनके बिना किसी भी प्रकार की फसर को तैयार नहीं किया जा सकता है। लगातार प्रोयग में आते रहने के के कारण एक समय पर मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है और पानी की कमी से भी फसलों का अच्छा उत्पादन नहीं किया जा सकता है। कृषि के लिए ये दोनों की आवश्यक है। इसी के महत्व को समझने और इनके प्रबंध और सुरक्षा के लिए कई छात्र सॉइल और वॉटर कंजर्वेशन इंजीनियरिंग करते हैं। इस कोर्स को कक्षा 12वीं के बाद किया जा सकता है।
आपको बता दें की इस विषय में वाटर कंजर्वेशन और सॉइल से जुड़े सभी पहलुओं के बारे में छात्रों को सिखाया जा सकता है ताकि वह इसे ध्यान में रखते हुए उपकरोणों का निर्णाण करें और इस क्षेत्र के विकार के लिए कार्य करें। क्योंकि भारत का अधिकतर भाग कृषि क्षेत्र में कार्य करता है, इस क्षेत्र में छात्रों के लिए रोजगार के अवसर भी अधिक है। इतना ही नहीं है हाल ही घटनओं का ध्यान में रखते हुए विश्व का हर देश इस समय में कृषि कार्य में लगा है ताकि माहामारी के समय उत्तपन्न ही खाद्य संकट की स्थिति से निपटा जा सके।
सॉइल और वॉटर कंजर्वेशन यानी मृदा और जल संरक्षण इंजीनियरिंग के माध्यम से भूमि की उत्पादन समक्षता को बनाए रखने और उसे अधिक बढ़ाने के लिए कार्य किया जाता है। आधुनिक तकनिकों का प्रोयग कर भूमि की उत्पादन क्षमता को सुरक्षित किया जा सकता है। आज कल कई ऐसे छात्र है जो सॉइल और वॉटर कंजर्वेशन इंजीनिरिंग की पढ़ाई कर एग्रिकल्चर क्षेत्र में बिजनेस या स्टार्टअप स्थापित कर रहे हैं। आप भी ऐसा कर सकते हैं और न केवर अपने करियर की अच्छी शुरुआत कर सकते हैं बल्कि आप रोजगार के अवसर के साथ कृषि क्षेत्र में अच्छा योगदान भी दे सकते हैं। ये कोर्स एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग से सीधे संबंध रखता है। क्योंकि दोनों का कार्य एक जैसा ही है बस फर्क इतना है कि ये उसका एक स्पेशलाइजड कोर्स है। आइए आपको इस कोर्स के बारे में निम्नलिखित जानकारी दें और बताएं कैसे आप इसमें अपना करियर बना सकते हैं।
बीटेक इन सॉइल एंड वॉटर कंजर्वेशन
सॉइल एंड वॉटर कंजर्वेशन में बीटेक डिग्री 4 साल की अविध की है जिसे कक्षा 12वीं के बाद किया जा सकता है। कोर्स करने के लिए छात्रों को कृषि के क्षेत्र में दिलचस्पी होनी चाहिए साथ ही उन्हें ये भी समझना चाहिए कि इस क्षेत्र का क्या महत्व है और इसे किस प्रकार और विकसित किया जाना चाहिए। कोर्स करने के बाद छात्र अपना स्टार्टअप भी शुरू कर सकते हैं और चाहें तो सरकारी विभागों में कार्य कर सकते हैं। उन्हें कृषि और किसान मंत्रालय, जल संसाधन, नदी विकास मंत्रालय और आईसीएआर जैसे विभागों में कार्य करने का अवसर प्राप्त हो सकता है।
सॉइल एंड वॉटर कंजर्वेशन कोर्स में छात्रों को जलवायु, जल प्रबंधन प्रणाली, डाटा एनीलिसिस, मिट्टी के नुकसान कि स्थिति को समझना, सूखा के लक्षण, नमी, मिट्टी और जल संरक्षण और प्रबंधन के बारे में जानकारी विस्तार में दी जाती है। ताकि एक पेशेवर के तौर पर आप कृषि क्षेत्र में सुधार कर सकें और इसके विकास में अपना योगदान दे सकें।
बीटेक इन सॉइल एंड वॉटर कंजर्वेशन कोर्स की योग्यता
सॉइल एंड वॉटर कंजर्वेशन बीटेक करने के लिए छात्रों को साइंस स्ट्रीम में कक्षा 12वीं किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से पास करना अनिवार्य है। जो छात्र इस साल बोर्ड की परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं वह भी कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं। छात्रों को कक्षा 12वीं में कम से कम 50 से 60 अंकों की आवश्यकता है। कई बार आयोजित होने वाली संस्थान, राज्य और राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं की अंक योग्यता अलग होती है। उदाहरण के लिए जेईई को ही ले सकते हैं। हाल ही में एनटीए ने अंक योग्यता में बदलाव किए है जिसके अनुसार अब कक्षा 12वीं में छात्रों के 75 प्रतिशत अंक होने आवश्यक है। इसी प्रकार आपको बता दें की जो छात्र आरक्षित श्रेणी से आते हैं उन्हें सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार 5 प्रतिशत अंकों की छुट प्राप्त है।
कोर्स में प्रवेश प्रवेश परीक्षा और उसके बाद होने वाली काउंसलिंग प्रक्रिया के बाद प्राप्त होता है। इसलिए छात्रों को कहा जाता है कि शांत माइंड से परीक्षा दें ताकि वह परीक्षा में अच्छा स्कोर प्राप्त कर अपने सपने को पूरा कर सकें।
बीटेक सॉइल एंड वॉटर कंजर्वेशन टॉर प्रवेश परीक्षा
भारत में संस्थान, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई तरह की परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है जिसके अनुसार छात्रों को प्रवेश प्राप्त होता है। इसमें सबसे प्रमुख प्रवेश परीक्षा जेईई मेंस और जेईई एडवांस की होती है। इसके अलावा अन्य प्रवेश परीक्षा की सूची नीचे दी गई है।
- डब्ल्यूजेईई
- एसआरएमजेईई
- केईएएम
- वीआईटीईईई
बीटेक सॉइल एंड वॉटर कंजर्वेशन में प्रवेश के लिए आवश्यक दस्तावेज
- कक्षा 10वीं और 12वीं की मार्कशीट
- स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट
- प्रोविशनल सर्टिफिकेट (कक्षा 12वीं के बाद प्रदान किया जाता है)
- कैरेक्टर सर्टिफिकेट
- माइग्रेशन सर्टिफिकेट
- आवास प्रमाण पत्र
- जाति प्रमाण पत्र (यदि है तो)
- विकलांगता का प्रमाण पत्र (यदि है तो)
बीटेक सॉइल एंड वॉटर कंजर्वेशन के बाद रोजगार के क्षेत्र
• कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
• जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय
• आईसीएआर - भारतीय मृदा जल संरक्षण संस्थान (आईआईएसडब्ल्यूसी)
• भारतीय जल प्रबंधन संस्थान
• मेघालय स्टेट वाटरशेड एंड वेस्टलैंड डेवलपमेंट एजेंसी
बीटेक सॉइल एंड वॉटर कंजर्वेशन के बाद नौकरी
कोर्स पूरा कर छात्रों के पास कई रोजगार अवसर होते हैं। जिस पर कार्य कर वह सालाना 2 से 7 लाख रुपये तक कमा लेते हैं। यदि आप सरकारी विभाग में नौकरी प्राप्त करते हैं ये और फायदेमंद होगा। पदों और सैलरी की जानकारी इस प्रकार है -
एग्रीकल्चर ऑफिसर - 2.5 से 4 लाख
क्वालिटी एश्योरेंस ऑफिस - 2. 5 से 3.5 लाख
फॉर्म मैनेजर - 3.5 से 4 लाख
रिसर्च इंजीनियर - 6 लाख से 7 लाख
प्रोसेस मैनेजर - 3 से 6 लाख के आसा पास
परचेज मैनेजर -4 से 5 लाख रुपये
इसके अलावा छात्र अपना खुद का स्टार्टअप भी चला सकते हैं। स्टार्टअप करने की इच्छा रखने वाले छात्रों के लिए कृषि स्टार्टअप टिप्स शुरु करन की टिप्स नीचे दी गई है।
बीटेक सॉइल एंड वॉटर कंजर्वेशन के लिए आवश्यक स्किल्स
1. टीम वर्क
2. एनालिटिकल स्किल्स
3. डिसीजन मेकिंग
4. प्रोबलम सॉल्विंग स्किल्स
5. राइटिंग स्किल
6. गुड कम्युनिकेशन स्किल
बीटेक सॉइल एंड वॉटर कंजर्वेशन के लिए टॉप कॉलेज
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, दिल्ली - 5,000 रुपये
केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल - उपलब्ध नहीं है
कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग लुधियाना, पंजाब - 41,000 रुपये
कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी जूनागढ़, गुजरात - 22,000 रुपये
महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ कृषि महाविद्यालय, पुणे - 37,500 रुपये
अंबिल धर्मलिंगम कृषि महाविद्यालय, त्रिची - 22,854 रुपये
इलाहाबाद कृषि संस्थान, इलाहाबाद - 1,52,000 रुपये
अन्ना विश्वविद्यालय, जैव प्रौद्योगिकी केंद्र - 1,45,000 रुपये
बीटेक सॉइल एंड वॉटर कंजर्वेशन कोर्स सिलेबस
जैसा की आपको बताया गया है कि बीटेक सॉइल एंड वॉटर कंजर्वेशन कोर्स की अवधि 4 साल की है। जिसे सेमेस्टर सिस्टम के माध्यम से बांटा गया है। इस कोर्स में कुल 8 सेमेस्टर है और प्रत्येक सेमेस्टर 6 माह का है। जिसके अंत में सेमेस्टर परीक्षा का आयोजन किया जाता है। कोर्स के महत्व के अनुसार ही कोर् का सिलेबस भी बड़ा है। छात्रों की सहायता के लिए सिलेबस कुछ इस प्रकार है -
सेमेस्टर 1
प्रोफेशनल कम्युनिकेशन एंड टेक्निकल राइटिंग, इंजीनियरिंग ड्रॉइंग, प्रिंसिपल ऑफ एग्रीकल्चर, एलिमेंट्री मैथमेटिक्स , कंप्यूटर एंड लैंग्वेज, मोरल एंड वैल्यू एजुकेशन , बेसिक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, बेसिक इलेक्ट्रॉनिक
सेमेस्टर 2
प्रिंसिपल ऑफ सॉइल साइंस, इंजीनियरिंग मैकेनिक्स, इंजीनियरिंग मैथमेटिक्स, हॉर्टिकल्चर फील्ड क्रॉप्स , वर्कशॉप प्रैक्टिस एंड टेक्नोलॉजी, सीएडी और सीआईएम मशीन ड्राइंग एंड, कंप्यूटर ग्राफिक , इंजीनियरिंग थर्मोडायनेमिक्स, इंजीनियरिंग केमिस्ट्री
सेमेस्टर 4
फ्रॉम इंप्लीमेंट, इंट्रोडक्टरी बायोटेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रिकल मशीन, इंजीनियरिंग मैथमेटिक्स - 2, डाटाबेस मैनेजमेंट एंड इंटरनेट एप्लीकेशन, सर्वेइंग एंड लेवलिंग, स्ट्रैंथ आफ मैटेरियल्स, एक्सटेंशन एजुकेशन, स्टैटिसटिकल मैथर्ड
सेमेस्टर 4
फ्लूड मैकेनिक, इंजीनियरिंग हाइड्रोलॉजी, सॉइल मैकेनिक्स, सॉइल फिजिक्स, एनवायरमेंटल स्टडीज 1, फॉर्म मशीनरी, यूनिट ऑपरेशन इन फूड इंजीनियरिंग, हीट एंड मैस ट्रांसफर, थ्योरी ऑफ मकैनिक्स
सेमेस्टर 5
रेफ्रिजरेशन एंड एयर कंडीशनिंग, मशीन डिजाइन, बिल्ड ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस ऑफ ट्रैक्टर एंड फार्म मशीनरी, वॉल एंड पंप, ट्रेनिंग 1, बिल्डिंग मैटेरियल्स एंड स्ट्रक्चरल डिजाइन, एग्रीबिजनेस मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग प्रॉपर्टीज ऑफ बायोलॉजिकल मटिरियल्स, एनवायरमेंटल स्टडीज,
सेमेस्टर 6
इंस्ट्रूमेंटेशन एंड कंट्रोल इंजीनियरिंग, पोस्ट हार्वेस्ट एंड स्टोरेज इंजीनियरिंग, सॉइल एंड वॉटर कंजर्वेशन इंजीनियरिंग, इरीगेशन इंजीनियरिंग, ऑपरेशन रिसर्च, ट्रैक्टर एंड पावर यूनिट, क्रॉप प्रोसेस इंजीनियरिंग
सेमेस्टर 7
रिन्यूएबल एनर्जी, ड्रेनेज इंजीनियरिंग, एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट ऑन एग्रो इंडस्ट्रीज, सॉइल एंड वॉटर कन्वर्सेशन स्ट्रक्चर, एजुकेशनल टूर और फील्ड विजिट, फॉर्म मशीन डिजाइन और टेस्टिंग, डेयरी एंड फूड इंजीनियरिंग,, हाइड्रॉलिक एंड डिजाइन ऑफ इरीगेशन सिस्टम, सेमिनार वन, ट्रेनिंग, प्रोटेक्ट
सेमेस्टर 8
इलेक्टिव 1 - सॉइल एंड वॉटर इंजीनियरिंग, इलेक्टिव 2 - फार्म मशीन और पावर, इलेक्टिव 3 - एग्रीकल्चर प्रोसेस और फूड प्रोसेसिंग एंड इंजीनियरिंग, सेमिनार 2, प्रोजेक्ट रिपोर्ट