राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस 10 फरवरी को क्यों मनाया जाता है

प्रतिवर्ष 10 फरवरी को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया जाता है। इस दिवस की शुरुआत वर्ष 2015 में की गई थी। ये एक ऐसा दिवस है जिसे एक दिन में लागू किया गया सार्वजनिक कार्यक्रम था। राष्ट्रीय कृमि दिवस के माध्यम से 1 से 19 वर्ष की आयु के बच्चों में हो रही मृदा-संचारित हेल्मिन्थ्स जैसा बिमारी की रोकथाम के लिए और उसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए इस दिवस को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा की गई पहल है। इसके माध्यम से करोड़ो लोगो में हो रही मृदा-संचारित हेल्मिन्थ्स नामक परेशानी से बचाव करना है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार दुनिया भर लगभग 24 प्रतिशत आबादी मृदा संचारित हेल्मिंथ कीडे़ से संक्रमित है। यदि भारत की बात करें तो यहां लगभग 241 मिलियन बच्चों की आंतों में परजीवी कीडे़ होने का खतरा रहता है। अत्यधिक ये 1 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों में देखी जाने वाली परेशानियों में से एक है।

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस 10 फरवरी को क्यों मनाया जाता है

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का इतिहास

इस दविस की शुरुआत स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2015 में की गई थी। जिसमें 1 से 19 वर्ष की आयु के बच्चों को कृमिनाशक दवा प्रादन कर देश को कृमि मुक्त बनना था। बच्चों की आंतों में परजीवी होने के कारण वह उनके खराब शारीरिक और मानसिक विकास, एनीमिया और कुपोषण की स्थिति को पैदा करते हैं जो उन्हें लंबे समय की परेशानियों से ग्रसित कर सकता है। जिसकी रोकथाम और निपटारन को ध्यान में रखते हुए इस दिवस को मनाये जाने का फैसाला लिया गया। 2015 से इस दिवस को हर साल 10 फरवरी के दिन मनाया जाता है। इस दिवस पर आंगनवाड़ी और स्कूलों में छात्रों को दवा दी जाती है। भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इस दिवस को मनाया जाता है और इसका मॉप-अप 15 फरवरी को किया जाता है।

इसके अलावा कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा 10 अगस्त को द्वि-वार्षिक दौर आयोजित किया जाता है। जैसे कि त्रिपुरा राज्य में भारत सरकार और डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के अनुसार दोनों दौर का आयोजन किया जाता है, ताकि इस दिवस को लेकर लोगों में जागरूकता बनी रहे है और सभी अपने दर पर इसकी रोकथाम के लिए कार्य कर सकें। भारत को कृमि मुक्त बनाने के लिए और इस दिवस को मनाने के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज कल्याण और सामाजिक शिक्षा विभाग द्वारा कार्यक्रम का कार्यन्वयन किया जाता है, जिसमें अन्य हितधारकों में पंचायती राज, जनजातीय कल्याण, ग्रामीण विकास, शहरी विकास और पेयजल और स्वच्छता विभाग शामिल हैं।

मृदा-संचारित कृमि क्या है?

मृदा-संचारित कृमि या शॉर्ट में कहे तो एसटीएच एक तरह का कीड़ा या कृमि होता है जो मल या दूषित मिट्टी से माध्यम से पोषित होता है। इन्हें राउंडवॉर्म, व्हिपवर्म और हुकवर्म भी कहा जाता है। जिसके कारण बच्चों में एनिमिया और कुपोषण जैसी स्थितियों उत्पन्न होती है। ये किड़ा मुख्य तौर पर बच्चों की आंतों में निवास करता है।

मृदा-संचारित कृमि कैसे प्रसारित होता है?

बच्चों और वयस्कों में परजीवी किड़ा अपने जीवन और भोजना के लिए आंतों में रहता और प्रतिदिन हजारों अंडे देता है। ये अंडे खुले में शौच करने वाले संक्रमित व्यक्ति के मल से पारित होते हैं, जिससे यह मिट्टी में मिल जाते हैं और ऊगने वाली सब्जियों के माध्यम से आपके घर तक पहुंचते हैं और आपको संक्रमित कर सकते हैं। इतना ही नहीं यदि आप कहिं का दूषित पानी भी पीते हैं जो इससे संक्रमित हो सकते हैं।

इसी तरह की कई बिमारियों को ध्यान में रखते हुए और लोगों को उससे बचाने के लिए भारत सरकार द्वारा सवच्छता अभियान और खुले में शौच को प्रतिबंधित करने और हर घर शौच का अभियान शुरू किया जहां सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्रों पर सबसे अधिक ध्यान दिया गया।

एसटीएच के लक्षण

मृदा-संचारित कृमि के निम्नलिखित लक्षण होते हैं, जो इस प्रकार है -
1. पेट में दर्द
2. दस्त
3. उल्टी
4. थकान
5. गैस
6. अस्पष्टीकृत वजन घटना

एसटीएच संक्रमण को कैसे रोके
- स्वस्छ शौचालय का प्रयोग
- खुले में शौच न करें
- खाना खाने या शौचालय के प्रयोग के बाद हाथों को अच्छी तरह से साबून से धोना है
- चप्पल जुते पहने
- फलों और सब्जियों को साफ पानी से अच्छी तरह से धोएं
- अच्छे से पका हुआ खाना ही खाएं।

भारत में कितने बच्चें है इससे संक्रमित

भारत में करीब 241 बच्चों की आंतों में परजीवी होने का खतरा बना रहता है। इसमें मुख्य तौर पर 1 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों में सबसे अधिक पाया जाता है। यदि बात करें विश्व स्तर की तो आपको बता दें कि विश्व भर में कृमि मुक्ति के लिए कार्य किया जाता है और विश्व स्तर पर लगभग 836 मिलियन से अधिक बच्चों में परजीवी का खतरा बना रहता है। भारत में केवल दो राज्य ऐसे हैं जहा पर एसटीएच संक्रमण का खतरा 20 प्रतिशत के आस-पास है और वो दो राज्य है राजस्थान और मध्य प्रदेश।

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English summary
National Deworming Day is celebrated every year on 10 February. This day was started in the year 2015. This is a day that was a public program implemented in a day. Through National Worm Day, this day is celebrated to raise awareness and prevention of diseases like soil-transmitted helminths in children aged 1 to 19 years.
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