क्या आप भी गांधी जयंती पर भाषण प्रतियोगिता की तैयारी कर रहे हैं? यदि हां, तो आज के इस लेख में हम कक्षा 7वीं, 9वीं और 11वीं के छात्रों के लिए गांधी जयंती भाषण लेकर आएं हैं। जिससे की आप आसानी से भाषण प्रतियोगिता की तैयारी कर सकते हैं।
तो चलिए देखते हैं कक्षा 7वीं, 9वीं और 11वीं के छात्रों के लिए गांधी जयंती पर भाषण, जो कि आपको भाषण प्रतियोगिता में अव्वल आने में मदद करेंगे।
कक्षा 7वीं के छात्रों के लिए गांधी जयंती पर भाषण
सभी को मेरा प्रणाम!
आज हम यहां एक विशेष अवसर पर एकत्र हुए हैं, जिसे हम "गांधी जयंती" के रूप में मनाते हैं। हर साल 2 अक्टूबर को हम महात्मा गांधी जी की जयंती मनाते हैं, जो हमारे देश के राष्ट्रपिता हैं। यह दिन हमें उनकी सादगी, उनके विचारों और उनके अहिंसक आंदोलनों की याद दिलाता है।
महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। उन्हें 'बापू' के नाम से भी जाना जाता है। गांधी जी ने हमें सिखाया कि सच्चाई और अहिंसा ही जीवन का सबसे महत्वपूर्ण मार्ग हैं। उन्होंने देश को आज़ाद कराने के लिए अहिंसा का रास्ता अपनाया और देशवासियों को एकजुट किया। उनके नेतृत्व में कई आंदोलनों जैसे असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन ने अंग्रेजों के खिलाफ जनजागृति फैलाई।
गांधी जी का जीवन बहुत ही सादा था। वह हमेशा सादा वस्त्र पहनते थे और उन्होंने स्वदेशी वस्तुओं को महत्व दिया। उन्होंने स्वराज यानी आत्मनिर्भरता का सपना देखा और अपने जीवन के अंतिम समय तक इसके लिए कार्य करते रहे। उनके विचार और सिद्धांत न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में आज भी प्रासंगिक हैं। अहिंसा और सत्य की उनकी शिक्षा आज भी हमें प्रेरणा देती है।
गांधी जी ने हमें बताया कि यदि हम सत्य के मार्ग पर चलें और दूसरों के प्रति दया और करुणा रखें, तो हम समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। उन्होंने हमें यह भी सिखाया कि किसी भी प्रकार की हिंसा से समस्याओं का समाधान नहीं किया जा सकता, बल्कि अहिंसा और शांतिपूर्ण उपायों से हर समस्या का हल निकाला जा सकता है।
गांधी जयंती का यह दिन हमें उनके विचारों को आत्मसात करने का अवसर प्रदान करता है। हमें उनके सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए और देश को प्रगति के पथ पर ले जाने का संकल्प लेना चाहिए।
अंत में, मैं यही कहना चाहूंगा कि महात्मा गांधी जी का जीवन हमें प्रेरणा देता है कि हम सच्चाई और अहिंसा के मार्ग पर चलें और समाज में शांति और सद्भावना बनाए रखें।
धन्यवाद!
कक्षा 9वीं के छात्रों के लिए गांधी जयंती पर भाषण
सभी को मेरा नमस्कार!
आज हम यहां महात्मा गांधी की जयंती मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। गांधी जयंती, हर साल 2 अक्टूबर को पूरे देश में बड़े उत्साह और सम्मान के साथ मनाई जाती है। यह दिन हमें महात्मा गांधी के जीवन, उनके आदर्शों और उनके संघर्षों की याद दिलाता है, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, और उन्हें प्यार से 'बापू' कहकर भी संबोधित किया जाता है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी ने न केवल भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया, बल्कि पूरी दुनिया को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाया।
गांधी जी का मुख्य सिद्धांत सत्य और अहिंसा पर आधारित था। वे हमेशा सत्य बोलने और दूसरों के साथ हिंसा न करने की बात करते थे। उनका मानना था कि अगर हम सच्चाई और अहिंसा के रास्ते पर चलते हैं, तो हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। उन्होंने अपनी इस विचारधारा को न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में फैलाया। उनका यह सिद्धांत आज भी हमें सही मार्ग दिखाने का काम करता है।
गांधी जी के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण आंदोलनों का आयोजन हुआ, जिनमें असहयोग आंदोलन, दांडी मार्च और भारत छोड़ो आंदोलन प्रमुख हैं। इन आंदोलनों के माध्यम से उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से संघर्ष किया और अंततः भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता दिलाई।
गांधी जी की सबसे बड़ी ताकत थी उनकी सादगी। वे हमेशा साधारण वस्त्र पहनते थे और आत्मनिर्भरता पर जोर देते थे। उन्होंने हमें सिखाया कि किस प्रकार सादगी और स्वावलंबन के साथ भी जीवन जिया जा सकता है। गांधी जी का सपना था कि भारत एक ऐसा देश बने, जहां हर व्यक्ति को समान अधिकार मिले, कोई भेदभाव न हो और हर कोई खुशहाल हो।
आज, जब हम गांधी जी की जयंती मना रहे हैं, तो हमें यह सोचना चाहिए कि हम उनके सिद्धांतों को अपने जीवन में कितना अपनाते हैं। आज के दौर में जब दुनिया में हिंसा, घृणा और असत्य फैल रहा है, गांधी जी के विचार और भी अधिक प्रासंगिक हो गए हैं। हमें उनके दिखाए हुए रास्ते पर चलकर समाज और देश को एक बेहतर स्थान बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।
अंत में, मैं आप सभी से यह आग्रह करूंगा कि हम गांधी जी के विचारों को केवल इस दिन तक सीमित न रखें, बल्कि अपने दैनिक जीवन में भी उन्हें अपनाएं। सत्य, अहिंसा और सादगी को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं और समाज में शांति और सद्भाव का संदेश फैलाएं।
जय हिंद!
कक्षा 11वीं के छात्रों के लिए गांधी जयंती पर भाषण
प्रिय प्रधानाचार्य महोदय, आदरणीय शिक्षकगण, और मेरे प्यारे साथियों, आज हम यहां एक विशेष अवसर पर एकत्रित हुए हैं। 2 अक्टूबर का दिन हमारे देश के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है, क्योंकि इस दिन हम महात्मा गांधी जी का जन्मदिन मनाते हैं, जिन्हें हम बापू के नाम से भी जानते हैं। गांधी जी न केवल हमारे राष्ट्रपिता हैं, बल्कि उन्होंने अपने जीवन के माध्यम से हमें सत्य, अहिंसा और सादगी की शिक्षा दी।
गांधी जयंती का यह अवसर हमें उनके जीवन और आदर्शों को याद करने और उनके बताए मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। आज हम सभी के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम गांधी जी की विचारधारा को समझें और उसे अपने जीवन में अपनाएं।
महात्मा गांधी का जीवन परिचय
मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। गांधी जी का प्रारंभिक जीवन साधारण था, लेकिन उनकी माता ने उन्हें धार्मिक और नैतिक मूल्यों की गहरी समझ दी। यही धार्मिकता और नैतिकता उनके जीवन की आधारशिला बनी और आगे चलकर उनके संघर्ष का मूलभूत सिद्धांत बना।
गांधी जी ने इंग्लैंड से कानून की पढ़ाई की और वकील के रूप में काम करने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए। दक्षिण अफ्रीका में ही उन्हें रंगभेद और नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा, जिसने उनके जीवन की दिशा बदल दी। वहां उन्होंने पहली बार सत्याग्रह की शक्ति को पहचाना और अहिंसक आंदोलन के माध्यम से अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई।
गांधी जी का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
भारत वापस लौटने के बाद, गांधी जी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक सशक्त आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने देश को अहिंसा और सत्याग्रह के मार्ग पर चलकर आजादी दिलाने का सपना दिखाया। गांधी जी का मानना था कि हिंसा से कभी भी स्थायी शांति नहीं प्राप्त की जा सकती। उन्होंने नमक सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे कई अहिंसक आंदोलनों के माध्यम से ब्रिटिश सरकार को मजबूर किया कि वह भारत को स्वतंत्रता दे।
गांधी जी ने हमेशा गरीबों, किसानों और समाज के दबे-कुचले वर्गों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी। उनका उद्देश्य केवल ब्रिटिश शासन से मुक्ति नहीं था, बल्कि भारत को एक ऐसा समाज बनाना था जहां सभी लोग समान अधिकारों के साथ जी सकें। वे जातिवाद, छुआछूत और महिला असमानता के खिलाफ थे और उन्होंने इन बुराइयों को मिटाने के लिए अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा समर्पित किया।
सत्य और अहिंसा के सिद्धांत
गांधी जी का जीवन सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों पर आधारित था। सत्य उनके लिए केवल शब्द नहीं था, बल्कि जीवन जीने का तरीका था। उनका मानना था कि अगर हम सत्य के मार्ग पर चलेंगे, तो हमें कभी भय का सामना नहीं करना पड़ेगा। सत्य के साथ-साथ, अहिंसा का भी उनके जीवन में गहरा स्थान था। वे मानते थे कि बिना हिंसा के ही बड़े से बड़े परिवर्तन किए जा सकते हैं। उनके लिए अहिंसा का अर्थ केवल शारीरिक हिंसा से बचना नहीं था, बल्कि मानसिक और भावनात्मक हिंसा से भी दूर रहना था।
उनका मानना था कि हर समस्या का समाधान शांति और संवाद से किया जा सकता है। उनका जीवन इस बात का जीता-जागता उदाहरण था कि अहिंसा के मार्ग पर चलकर भी अन्याय और उत्पीड़न का मुकाबला किया जा सकता है।
गांधी जी के आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं
आज भले ही हम 21वीं सदी में जी रहे हों, लेकिन गांधी जी के आदर्श आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके समय में थे। जब हम देखते हैं कि दुनिया में हिंसा, आतंकवाद, और असमानता बढ़ रही है, तब हमें गांधी जी के अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों की और भी अधिक आवश्यकता महसूस होती है।
आज के समय में, जहां हर व्यक्ति स्वयं के लिए सोच रहा है और समाज में असहिष्णुता और मतभेद बढ़ रहे हैं, वहां गांधी जी का सहिष्णुता और सद्भावना का संदेश हमें एकजुट कर सकता है। अगर हम अपने जीवन में उनकी शिक्षाओं को अपनाएं, तो हम समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।
गांधी जी का सपना
गांधी जी का सपना था कि भारत एक ऐसा देश बने जहां हर व्यक्ति समानता और स्वतंत्रता के साथ जीवन जी सके। उनके लिए स्वतंत्रता का अर्थ केवल ब्रिटिश शासन से मुक्ति नहीं था, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से स्वतंत्र बनाना था। वे चाहते थे कि भारत एक ऐसा देश बने जहां कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए, जहां हर व्यक्ति को शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं मिलें और जहां कोई भी व्यक्ति जाति, धर्म, या लिंग के आधार पर भेदभाव का शिकार न हो।
हमें उनके इस सपने को साकार करने के लिए आज भी बहुत मेहनत करनी है। जब तक हम सभी उनके बताए मार्ग पर चलकर समाज में समानता, शांति और सद्भावना को बढ़ावा नहीं देंगे, तब तक उनका सपना पूरा नहीं हो सकेगा।
अंत में, हम सभी को गांधी जी के आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए। हमें सत्य, अहिंसा और सहिष्णुता के मार्ग पर चलना चाहिए और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास करना चाहिए। अगर हम ऐसा कर पाते हैं, तो यही हमारे लिए गांधी जयंती मनाने का सबसे अच्छा तरीका होगा।
गांधी जी का जीवन और उनके आदर्श हमें यह सिखाते हैं कि अगर हमारे इरादे मजबूत हों और हमारा मार्ग सही हो, तो हम किसी भी समस्या का सामना कर सकते हैं। आइए, इस गांधी जयंती पर हम सभी सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों को अपनाने का संकल्प लें और अपने देश और समाज को एक बेहतर स्थान बनाने में अपना योगदान दें।
धन्यवाद!