10 lines essay on Dhirubhai Ambani in Hindi: शायद ही दुनियाभर में कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जिसने कभी अंबानी का नाम न सुना हो। अंबानी को अंबानी नाम की पहचान स्वर्गीय धूरूभाई अंबानी ने दिलायी। एक सफल व्यवसायी या यूं कहें कि पूरे एशिया में सबसे बड़े बिजनेस टाइकुन के नाम से धीरूभाई अंबानी को पहचान हासिल हुई। आज भी धीरूभाई अंबानी केवल भारत के ही नहीं बल्कि विश्व भर के प्रत्येक व्यवसायी के प्रेरणास्रोत हैं।
आज 6 जुलाई को भारत के महान उद्योगपति, धीरूभाई अंबानी की पुण्यतिथि है। धीरूभाई अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापना की थी। बता दें रिलायंस आज देश की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। उनकी पुण्यतिथि पर, हम उनकी उपलब्धियों को याद करते हैं और उनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं।
धीरूभाई अंबानी आज भी भारत के व्यापार जगत में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और दूरदर्शिता से कोई भी व्यक्ति सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है। आइए केवल 10 लाइनों में जानते हैं कैसा रहा धीरूभाई अंबानी का जीवन? साथ ही जानेंगे अंबानी ने कहां तप पढ़ाई की और उन्होंने रिलायंस की स्थापना कैसे की?
धीरूभाई अंबानी पर 10 लाइनों में निबंध कैसे लिखें?
1. गुजरात के एक छोटे से गांव चोरवाड़ में जब धीरूभाई का जन्म हुआ तो किसे पता था कि वे भारत के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक बनेंगे। धीरूभाई का जन्म 28 दिसंबर 1932 में हुआ।
2. धीरूभाई अंबानी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम हीराचंद गोरधनभाई अंबानी और उनकी मां का नाम जमनाबेन अंबानी था। अंबानी एक गांव के स्कूल शिक्षक और उनकी पत्नी की पांच संतानों में से तीसरे थे और वे एक साधारण परिवार में पले-बढ़े थे।
3. छोटी उम्र से ही धीरूभाई ने उद्यमशीलता की भावना और व्यवसाय की गहरी समझ दिखाई। उनकी औपचारिक शिक्षा सीमित थी, लेकिन उनके अनुभव और स्वाभाविक कौशल ने उनके भविष्य के प्रयासों की नींव रखी।
4. 16 साल की उम्र में धीरूभाई अपने भाई के साथ अदन (अब यमन) चले गए, जहां उनके भाई पहले से ही काम कर रहे थे। उन्होंने शुरुआत में ए. बेसे एंड कंपनी नामक एक व्यापारिक फर्म में डिस्पैच क्लर्क के रूप में काम किया। अदन में अपने समय के दौरान धीरूभाई ने व्यापार, शिपिंग और अंतरराष्ट्रीय व्यापार की पेचीदगियों को सीखा। जिसके बाद उनके साम्राज्य के निर्माण के दृष्टिकोण को प्रभावित किया।
5. उन्होंने अपने व्यवसायिक यात्रा की शुरुआत वर्ष 1958 में यमन में की। अंबानी बाद में भारत लौटे और रिलायंस ट्रेडिंग कंपनी की स्थापना की। जहां टेक्सटाइल, पेट्रोकेमिकल्स, ऊर्जा, दूरसंचार, खुदरा क्षेत्रों में विस्तार किया।
6. 1958 में धीरूभाई अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने के सपने के साथ भारत लौट आए। उन्होंने मुंबई में रिलायंस कमर्शियल कॉर्पोरेशन की स्थापना की। इसमें शुरू में पॉलिएस्टर आयात और मसालों के निर्यात पर ध्यान केंद्रित किया गया। खुदरा विक्रेताओं और ग्राहकों को प्रोत्साहन देने जैसे व्यवसाय के प्रति उनके अभिनव दृष्टिकोण ने उन्हें जल्दी ही अपने प्रतिद्वंद्वियों से अलग कर दिया।
7. 1966 में, उन्होंने गुजरात के नरोदा में एक कपड़ा मिल की स्थापना की। इसने रिलायंस इंडस्ट्रीज की शुरुआत की। उनके बड़े भाई के नाम पर "विमल" ब्रांड, गुणवत्तापूर्ण कपड़ों का पर्याय बन गया। इसने भारतीय कपड़ा उद्योग में क्रांति ला दी।
8. धीरूभाई के नेतृत्व में, रिलायंस ने पेट्रोकेमिकल्स, रिफाइनिंग, दूरसंचार और खुदरा सहित विभिन्न क्षेत्रों में विविधता लाई। बाजार के रुझानों को पहले से ही भांप लेने और उसके अनुसार खुद को ढालने की उनकी क्षमता ने कंपनी के तेजी से विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
9. उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक 1977 में शेयर बाजार में रिलायंस का प्रवेश था। आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) एक बड़ी सफलता थी और इसने कंपनी के स्वामित्व को लोकतांत्रिक बना दिया। इससे आम भारतीयों को इसके विकास में निवेश करने की अनुमति मिली।
10. धीरूभाई अंबानी के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि ये रही कि वे भारके सबसे अमीर व्यक्ति बनें और देश के औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने लाखों लोगों को प्रेरित किया कि वे सपने देखने और उन्हें पूरा करने का साहस रखें।
11. धीरूभाई अंबानी जानने वाले कहते हैं कि अंबानी में जोखिम लेने की क्षमता जबरदस्त थी। वे जोखिम लेने से नहीं डरते थे और उन्होंने भारत में कई नए उद्योगों की स्थापना की।
12. साथ ही साथ उनकी नेतृत्व कौशल क्षमता अद्वितीय थी। वे एक ऐसे प्रेरणादायक नेता थे, जिन्होंने अपनी टीम को सफलता के शिखर तक पहुंचाया। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
13. 1966 में, उन्होंने रिलायंस की स्थापना की और पॉलिएस्टर का व्यापार शुरू किया। उनकी नेतृत्व क्षमता और दृष्टिकोण ने रिलायंस को तेजी से विस्तार किया।
14. धीरूभाई का मानना था कि "सपने देखो, और उन्हें साकार करने का साहस रखो।" उन्हें 2002 में टाइम मैगजीन द्वारा एशिया के शीर्ष 50 सबसे शक्तिशाली लोगों में शामिल किया गया।
15. उनकी उद्यमशीलता ने भारत के व्यापारिक क्षेत्र में क्रांति ला दी। धीरूभाई अंबानी का निधन 6 जुलाई 2002 को हुआ, लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है।