Jyoti Basu Birth Anniversary: ज्योति बसु भारतीय राजनीति के एक महान और प्रतिष्ठित नेता थे, जिन्होंने पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक अमिट छाप छोड़ी। उनका पूरा नाम ज्योतिरिंद्र बसु था और उनका जन्म 8 जुलाई 1914 को कोलकाता में हुआ था। वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के प्रमुख नेता थे और 23 सालों तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
ज्योति बसु का जन्म एक समृद्ध और शिक्षित परिवार में हुआ था। उनके पिता, निशिकांत बसु, एक डॉक्टर थे और उनकी माता, हेमलता बसु, एक गृहिणी थीं। बसु ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता के सेंट जेवियर स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज, कोलकाता से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। बसु ने इंग्लैंड के लंदन विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई करने के लिए दाखिला लिया, जहां वे कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित हुए।
राजनीति में प्रवेश
ज्योति बसु ने अपनी राजनीतिक यात्रा 1940 के दशक में शुरू की। वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के सदस्य बने और जल्दी ही एक प्रमुख नेता के रूप में उभरे। 1946 में, वे बंगाल विधान परिषद के सदस्य चुने गए और 1952 में पहली बार पश्चिम बंगाल विधान सभा के लिए चुने गए।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का गठन
1964 में, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में विभाजन हुआ और ज्योति बसु ने CPI(M) (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी)) का गठन किया। बसु CPI(M) के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और पार्टी के पहले पोलित ब्यूरो के सदस्य भी बने।
मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल
1977 में, CPI(M) के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की और ज्योति बसु मुख्यमंत्री बने। इसके बाद, उन्होंने लगातार पांच बार (1977-2000) पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा की, जो भारतीय राजनीति में एक रिकॉर्ड है।
महत्वपूर्ण उपलब्धियां
- भूमि सुधार: ज्योति बसु की सबसे बड़ी उपलब्धि भूमि सुधार थी। उन्होंने 'ऑपरेशन बर्गा' शुरू किया, जो बंटाईदारों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक प्रमुख कदम था। इसके तहत, बंटाईदारों को कानूनी सुरक्षा और भूमि का मालिकाना हक प्रदान किया गया।
- पंचायती राज: बसु ने पंचायत प्रणाली को सशक्त बनाया, जिससे स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा मिला। यह प्रणाली ग्रामीण क्षेत्रों में विकास और प्रशासन की दृष्टि से महत्वपूर्ण साबित हुई।
- शिक्षा और स्वास्थ्य: बसु के कार्यकाल में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ। उन्होंने सरकारी स्कूलों और अस्पतालों की संख्या बढ़ाई और इन्हें बेहतर बनाने के लिए कई योजनाएं लागू कीं।
- औद्योगिकीकरण: बसु ने पश्चिम बंगाल में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा दिया। हालांकि, उन्हें कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने राज्य में निवेश को आकर्षित करने के लिए कई प्रयास किए।
व्यक्तिगत जीवन और मानवीय पक्ष
ज्योति बसु का व्यक्तिगत जीवन सादगी और समर्पण का प्रतीक था। उनका विवाह कमला बसु से हुआ था और उनके एक पुत्र, चंदन बसु, हैं। बसु का जीवन और उनका राजनीतिक करियर सादगी, ईमानदारी और समर्पण का उदाहरण है।
मृत्यु और विरासत
ज्योति बसु ने 2000 में स्वास्थ्य कारणों से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। 17 जनवरी 2010 को, 95 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उनके निधन के बाद, देश भर में शोक की लहर दौड़ गई और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
ज्योति बसु भारतीय राजनीति के एक महान नेता थे, जिन्होंने अपने पूरे जीवन में समाजवादी और साम्यवादी विचारधारा को आगे बढ़ाया। उन्होंने पश्चिम बंगाल की राजनीति और समाज में जो योगदान दिया, वह अमूल्य है। उनकी नेतृत्व क्षमता, समर्पण और सादगी ने उन्हें जनता के बीच बेहद लोकप्रिय बना दिया। ज्योति बसु की कहानी न केवल पश्चिम बंगाल के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए प्रेरणास्रोत है। उनका जीवन और उनकी उपलब्धियाँ भारतीय राजनीति के इतिहास में हमेशा याद रखी जाएंगी।