Navratri 2024: कौन हैं माता चंद्रघंटा? जानिए नवरात्रि का तीसरे दिन चंद्रघंटा माता की पूजा क्यों की जाती है?

Shardiya Navratri 2024 Day 3: नवरात्रि का त्योहार शुरू हो चुका है। पूरे देश में नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना की जाती है। इन नौ दिनों में हर दिन मां दुर्गा के एक विशेष अवतार की पूजा की जाती है। मां दुर्गा का हर स्वरूप हमें जीवन में महत्वपूर्ण पाठ सिखाते हैं।

नवरात्रि के दूसरे दिन छात्रों को क्यों करनी चाहिए मां चंद्रघंटा की पूजा? जानिए मंत्र और रंग

नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की जाती है। माता चंद्रघंटा अपने दिव्य सौंदर्य और असीम शक्ति के लिए पूजी जाती हैं। उनकी पूजा एवं अराधना से साहस की अनुभूति होती है। खास तौर पर छात्रों के लिए माता चंद्रघंटा की पूजा अर्चना बहुत ही लाभकारी मानी जाती है क्योंकि यह आत्मविश्वास और शांति का आशीर्वाद देती हैं।

मां चंद्रघंटा की कृपा से जीवन में भय और संकोच दूर होता है। नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा माता की अराधना से जीवन में विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करने की क्षमता और हिम्मत भी मिलती है। इस लेख में हम जानेंगे कि मां चंद्रघंटा कौन हैं, उनकी पूजा का महत्व क्या है और छात्रों को क्यों उनकी उपासना करनी चाहिये।

इस वर्ष नवरात्रि के त्यौहार को और अधिक खास बनाने के लिए करियर इंडिया हिंदी द्वारा अपने पाठकों को पढ़ाई के साथ ही साथ हिंदू धर्म से जुड़ी कुछ पौराणिक कहानियां भी बताई जा रही है। इस सीरिज में हम नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ रूपों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। ये लेख इस नवरात्रि पर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के बारे में शिक्षा प्रदान करने और नवरात्रि के त्योहार को समझने के उद्देश्य से प्रस्तुत किये जा रहे हैं।

इस संदर्भ में पिछले लेखों के माध्यम से माता शैलपुत्री और माता ब्रह्मचारिणी के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई थी। आज के लेख में हम मां चंद्रघंटा के बारे में विस्तार से जानेंगे। स्कूल के बच्चे माता चंद्रघंटा पर निंबध लिखने के लिए इस लेख से सहायता ले सकते हैं। आइए जानते हैं नवरात्रि का तीसरे दिन चंद्रघंटा माता की पूजा क्यों की जाती है?

कौन हैं माता चंद्रघंटा?

नवरात्रि के तीसरे दिन पूजी जाने वाली मां चंद्रघंटा मां दुर्गा की तीसरी स्वरूप हैं। पौराणिक कथाओं और पुराणों के अनुसार इनके मस्तक पर घंटे के आकार का चंद्रमा सुशोभित होता है, इसीलिए इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। माता चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत मनोहर और शांति से परिपूर्ण है, लेकिन उनके चेहरे पर जो तेज है, वह अकल्पनीय है। माता का यह स्वरूप से साहस और शक्ति दोनों को दर्शाता है। वे अपने भक्तों को सुख-शांति और आत्मविश्वास का आशीर्वाद देती हैं।

मां चंद्रघंटा का स्वरूप कैसा है?

पुराणों में माता चंद्रघंटा के विवरणों के अनुसार मां चंद्रघंटा का वाहन शेर है। यह शक्ति और साहस का प्रतीक है। देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों में से एक मां चंद्रघंटा के दस हाथों का वर्णन पौराणिक कथाओं के चित्रों में किया गया है। उनके दस हाथों में विभिन्न प्रकार के शस्त्र होते हैं। माता के बाएं ओर के हाथों में पहले हाथ में त्रिशूल, दूसरे हाथ में गदा, तीसरे हाथ में तलवार, चौथे हाथ में कमंडल धारण करती हैं और पांचवां हाथ वरद मुद्रा में रखती हैं। वहीं देवी चंद्रघंटा दाहिने हाथों में पहले हाथ में कमल का फूल, दूसरे हाथ में बाण, तीसरे हाथ में धनुष, चौथे हाथ में जप माला धारण करती हैं और पांचवां हाथ अभय मुद्रा में रखती हैं।

देवी चंद्रघंटा की कथा

द्रिक पंचांग के अनुसार, माता चंद्रघंटा देवी पार्वती का विवाहित रूप हैं। भगवान शिव से विवाह करने के बाद देवी महागौरी ने अपने माथे पर आधा चंद्र धारण करना शुरू कर दिया और जिसके कारण देवी पार्वती को देवी चंद्रघंटा के रूप में जाना जाने लगा। मां चंद्रघंटा का स्वरूप बुराई पर विजय प्राप्त करने के उनके संकल्प को दर्शाते हैं। वे शांति की देवी मानी जाती हैं लेकिन संकट के समय वे युद्ध की मुद्रा में आ जाती हैं। वे हमें जीवन में शांति के साथ-साथ साहस भी बनाए रखना सिखाता है।

माता चंद्रघंटा की पूजा का महत्व

नवरात्रि में तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों को मन की शांति, आत्मबल, साहस और गलत के विरुद्ध लड़ने का हौसला मिलता है। उनके पूजन से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मां चंद्रघंटा का स्वरूप हमें यह सिखाता है कि हमें जीवन में कठिनाइयों से नहीं घबराना चाहिये और उनका दृढ़ता से सामना करना चाहिये।

छात्रों के लिए माता चंद्रघंटा की उपासना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। वे छात्रों को एकाग्रता और धैर्य के साथ कठिन परिस्थितियों में शांत रहने और उनका सामना करने का आशीर्वाद एवं साहस प्रदान करती हैं। माता चंद्रघंटा की पूजा करने से मन की सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और पढ़ाई में सफलता प्राप्त होती है। मां चंद्रघंटा हमें यह सिखाती हैं कि जीवन में चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, हमें उनका डट कर सामना करना चाहिये। मां के सौम्य स्वरूप से हमें धैर्य रखने और जीवन में शांति बनाए रखने का मनोबल प्राप्त होता है।

मां चंद्रघंटा मंत्र

ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥

मां चंद्रघंटा की पूजा विधि और रंग

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा विधि में ग्रे रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। माँ की उपासना में इसे धारण करने से विशेष आशीर्वाद मिलता है। भक्तों को मां को चमेली के फूल अर्पित करना चाहिये।

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English summary
Know who is Maa Chandraghanta, why is Maa Chandraghanta worshipped on the third day of Navratri? Know all the information related to the mantra, color and worship method of Maa Chandraghanta in Hindi.
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