कौन थे St. Jerome? बाइबल के पहले अनुवादक, जिनकी बरसी पर मनाते हैं International Translation Day

सेंट जेरोम का नाम अनुवाद के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। वह दुनिया के पहले और सबसे महत्वपूर्ण अनुवादकों में से एक माने जाते हैं, जिन्होंने बाइबल का अनुवाद किया और इसे लाखों लोगों तक पहुंचाया। सेंट जेरोम को विशेष रूप से इसलिए भी याद किया जाता है क्योंकि उन्होंने अपने कार्य के माध्यम से भाषाई ज्ञान और सांस्कृतिक संवाद की दिशा में एक नया मार्ग प्रशस्त किया।

सेंट जेरोम की याद में हर साल उनकी पुण्यतिथि पर 30 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस मनाया जाता है, जो उनकी अनुवादक के रूप में महान उपलब्धियों और योगदान का सम्मान करता है।

कौन थे St. Jerome? बाइबल के पहले अनुवादक, जिनकी बरसी पर मनाते हैं  International Translation Day

सेंट जेरोम का शुरुआती जीवन

सेंट जेरोम का जन्म लगभग 347 ईस्वी में इटली के स्ट्रिडोन नामक स्थान पर हुआ था। उनका असली नाम यूसिबियस सोफ्रोनीयस हायरोनिमस था, लेकिन बाद में वे सेंट जेरोम के नाम से प्रसिद्ध हुए। जेरोम का परिवार ईसाई था और उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा के दौरान ग्रीक और लैटिन जैसी भाषाओं में विशेषज्ञता प्राप्त की। उनकी पढ़ाई ने उनके भविष्य के जीवन में बाइबल के अनुवाद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

जेरोम का धार्मिक जीवन

सेंट जेरोम एक गहन धार्मिक व्यक्ति थे। उन्होंने येरुशलम की यात्रा की और अपने जीवन को ईश्वर और ईसाई धर्म की सेवा के लिए समर्पित किया। उन्होंने वर्षों तक मठवासी जीवन व्यतीत किया और धार्मिक ग्रंथों का गहन अध्ययन किया। अपने अध्ययन और शोध के दौरान, उन्हें महसूस हुआ कि बाइबल के विभिन्न अनुवादों में अनेक अंतर हैं। इसी समय से उन्हें बाइबल के सही और प्रमाणिक अनुवाद की प्रेरणा मिली।

बाइबल का अनुवाद: जेरोम की सबसे बड़ी उपलब्धि

सेंट जेरोम की सबसे महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक उपलब्धि बाइबल का अनुवाद है, जिसे उन्होंने लैटिन भाषा में किया। यह अनुवाद वुल्गेट के नाम से जाना जाता है। उस समय तक, बाइबल के कई संस्करण और अनुवाद विभिन्न भाषाओं में मौजूद थे, लेकिन उनमें से कई में त्रुटियां और विसंगतियां थीं। जेरोम ने इस बात को महसूस किया कि एक सटीक और प्रमाणिक अनुवाद की आवश्यकता है, जो सभी ईसाई समुदायों के लिए स्वीकार्य हो।

उन्होंने बाइबल के पुराने और नए नियम को इब्रानी, ग्रीक और अरामाइक से लैटिन में अनुवादित किया। यह कार्य आसान नहीं था। जेरोम ने अपने समय की भाषाओं और संस्कृतियों का गहन अध्ययन किया ताकि वे बाइबल के प्रत्येक शब्द का सही अर्थ समझ सकें और उसे सटीक रूप से अनुवाद कर सकें। यह अनुवाद कार्य उन्हें लगभग 23 वर्षों में पूरा करना पड़ा, और इसका अंतिम रूप 405 ईस्वी में दिया गया।

वुल्गेट: एक ऐतिहासिक और धार्मिक दस्तावेज

सेंट जेरोम द्वारा अनुवादित वुल्गेट लैटिन भाषा में बाइबल का सबसे प्रामाणिक और मानक अनुवाद बन गया। यह अनुवाद ईसाई समुदायों में व्यापक रूप से स्वीकृत हुआ और कैथोलिक चर्च द्वारा इसे आधिकारिक बाइबल के रूप में मान्यता दी गई। आज भी वुल्गेट को ईसाई धर्म के महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथों में से एक माना जाता है। सेंट जेरोम के इस अनुवाद ने न केवल धार्मिक जीवन को प्रभावित किया, बल्कि इसने अनुवाद के क्षेत्र में एक नया मापदंड स्थापित किया।

अनुवाद में सेंट जेरोम की दृष्टि

सेंट जेरोम का मानना था कि अनुवाद का कार्य केवल भाषा का शब्दश: अनुवाद करना नहीं है, बल्कि उस भाषा की भावनाओं और संदर्भों को समझना भी आवश्यक है। उन्होंने इसे एक कला के रूप में देखा, जिसमें अनुवादक को मूल लेखन के भाव और विचारों को सटीक रूप से प्रस्तुत करना होता है। उन्होंने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि अनुवादक को भाषाई ज्ञान के साथ-साथ सांस्कृतिक और धार्मिक संदर्भों की भी गहरी समझ होनी चाहिए। उनका यह दृष्टिकोण आज भी अनुवाद के क्षेत्र में प्रासंगिक है और अनुवादक उनके सिद्धांतों का अनुसरण करते हैं।

सेंट जेरोम की विरासत

सेंट जेरोम की मृत्यु 30 सितंबर 420 ईस्वी को हुई, लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है। उनकी अनुवाद कला और बाइबल के अनुवाद ने अनुवादक समुदाय को एक मजबूत आधार प्रदान किया। वे सिर्फ एक धार्मिक विद्वान नहीं थे, बल्कि एक भाषाविद और सांस्कृतिक सेतु भी थे, जिन्होंने अलग-अलग संस्कृतियों और भाषाओं के बीच संवाद स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उनकी स्मृति में, हर साल 30 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस मनाया जाता है। यह दिन अनुवादकों और दुभाषियों की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानने और उनके कार्य की सराहना करने का अवसर है। सेंट जेरोम की जयंती पर मनाया जाने वाला यह दिन हमें याद दिलाता है कि कैसे एक व्यक्ति के कार्य ने भाषाई बाधाओं को दूर किया और ज्ञान का प्रसार किया।

अनुवाद के क्षेत्र में सेंट जेरोम का महत्व

सेंट जेरोम को दुनिया के पहले और सबसे महान अनुवादकों में से एक माना जाता है। उन्होंने अनुवाद को सिर्फ एक तकनीकी कार्य नहीं, बल्कि एक गहन सांस्कृतिक और धार्मिक प्रक्रिया के रूप में देखा। उनका मानना था कि एक अनुवादक को उस भाषा और संस्कृति की गहरी समझ होनी चाहिए, जिसमें वह अनुवाद कर रहा है। इस दृष्टिकोण ने अनुवाद की गुणवत्ता और उसकी सटीकता को नई ऊँचाइयों पर पहुंचाया।

आज भी, अनुवादक समुदाय सेंट जेरोम की विचारधारा का अनुसरण करता है। उनका यह दृष्टिकोण कि अनुवाद एक जिम्मेदारी और कला दोनों है, अनुवादकों को प्रेरित करता है। सेंट जेरोम का कार्य इस बात का प्रमाण है कि अनुवाद केवल शब्दों का नहीं, बल्कि विचारों, भावनाओं और संस्कृतियों का आदान-प्रदान है।

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English summary
St. Jerome's name is written in golden letters in the history of translation. He is considered one of the world's first and most important translators, who translated the Bible and made it accessible to millions of people. St. Jerome is also remembered especially because through his work he paved a new path towards linguistic knowledge and cultural dialogue.
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