15 अगस्त 2021 को भारत अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। स्वतंत्रता दिवस पर भाषण समाप्त होने के बाद राष्ट्रगान गाना अनिवार्य है। राष्ट्रगान का गायन हर देशवासियों को गौरव की अनुभूति कराता है। हम सब ने इसे अपने स्कूली जीवन में या सक्रिय सामाजिक जीवन में कई बार गाया भी है। गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रगान को गर्व से गाते भी हैं। लेकिन राष्ट्रगान से जुड़े कुछ ऐतिहासिक बहुत कम लोगों को पता होता है। ऐसे में छात्रों को राष्ट्रगान का इतिहास पता होना चाहिए। तो आइये जानते हैं जन गण मन यानि राष्ट्रगान से जुड़ी रोचक बातें।
1.कुछ लोग कहते हैं कि गण जन गण मन की रचना कवी गुरु रविंद्रनाथ टैगोर ने जॉर्ज चतुर्थ और जॉर्ज पंचम की स्तुति के लिए की थी, जिन्होंने 1911 में भारत का दौरा किया था। इस भ्रम का खंडन करते हुए स्वयं कवी रवीन्द्रनाथ ने 19 मार्च 30 को एक लिखित पत्र में कहा कि जो लोग मेरी इस रचना को जॉर्ज चतुर्थ और जॉर्ज पंचम की स्तुति या प्रशंसा में लिखा गया बता रहे हैं, उनकी मूर्खता का जवाब देने मेरे लिए अपमान की बात होगी।
2. रविंद्र नाथ टैगोर के जन गण मन कविता के 5 पदों में सिर्फ पहला पद ही राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया गया है। हमारे राष्ट्रगान के अलावा टैगोर ने बांग्लादेश का राष्ट्रगान भी लिखा था।
3. राष्ट्रगान की धुन भी स्वयं रवीन्द्रनाथ टैगोर ने आंध्र प्रदेश में मदनापल्ली में तैयार की थी।
4. हमारे राष्ट्रगान का पहली बार गायन आजादी से पहले 16 दिसंबर 1911 को इंडियन नेशनल कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में हुआ था।
5. इसके बाद राष्ट्रगान का संगीत गायन 11 सितंबर 1942 को जर्मनी के हैंबर्ग में हुआ था। भारत में राष्ट्रगान के तौर पर इसकी आधिकारिक घोषणा 24 जनवरी 1950 को की गई थी।
6. जन गण मन के अंग्रेजी अनुवाद और उसकी संगीतमय लय बन्ने का श्रेया बेसेंट थियोसॉफिकल कॉलेज के प्रिंसिपल पोयत जेम्स एच कजिंस की पत्नी मार्गरेट को जाता है।
7. राष्ट्रगान के बंगाली वर्जन के उर्दू, हिंदी रूपांतरण की व्याख्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने की थी। इस अनुवाद कैप्टन आबिद अली ने लिखा और कैप्टन राम सिंह ठाकुर ने कम्पोज किया।
8. राष्ट्रगान के गायन में 52 सेकेंड का समय लगता है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि देश के सभी सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान का आना अनिवार्य होगा।
9. सिनेमा घर में मौजूद सभी लोग इसका सम्मान में खड़ा होना जरूरी है।
10. कानून की किसी भी धारा में राष्ट्रगान को गाना बाध्यता नहीं है। इस के सम्मान में शांतिपूर्वक और शीतलता से खड़ा होना ही पर्याप्त है।
जय हिन्द जय भारत