भगत सिंह जयंती 2021

28 सितंबर 1907 को पंजाब में जन्में भगत सिंह देश के लिए सबसे कम उम्र में देश के लिए शहीद होने वाले क्रांतिकारियों में से एक हैं। भारत की आजादी के लिए दो गुट चल रहे थे, नरम दल और गरम दल। भगत सिंह ने गरम

28 सितंबर 1907 को पंजाब में जन्में भगत सिंह देश के लिए सबसे कम उम्र में देश के लिए शहीद होने वाले क्रांतिकारियों में से एक हैं। भारत की आजादी के लिए दो गुट चल रहे थे, नरम दल और गरम दल। भगत सिंह ने गरम दल को चुना और 1926 में 'नौजवान भारत' सभा की स्थापना की। इसके बाद भगत सिंह ने क्रांतिकारी आंदोलन शुरू कर दिया और 'इंकलाब जिंदाबाद' का नारा लगाने लगे। भारत सिंह के इस नारे से महात्मा गांधी बहुत खुश हुए। स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान भगत सिंह ने ब्रिटिश सभा में बम फेंका और एक ब्रिटिश आधिकारिक की हत्या कर दी। इससे ब्रिटिश सरकार काफी गुस्से में अ गई और उन्होंने भारत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च 1931 को फांसी की सजा सुनाई। इस सजा के बाद देश में अंग्रेजों के खिलाफ काफी रोष पैदा हो गया और आजादी की आग तेजी से फेल गई। भगत सिंह के शहीद होने के बाद ब्रिटिश सरकार के खिलाफ पूरा देश एकजुट हो गया।

भगत सिंह जयंती 2021

भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के संधू जाट परिवार में हुआ था। उनका जन्म स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार में हुआ था, उनके पिता सरदार किशन सिंह और चाचा सरदार अजीत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में पूरी तरह से शामिल थे। वह एक ऐसे माहौल में जन्म और उनका पालन-पोषण ऐसा हुआ कि वह हमेशा भारत से अंग्रेजों को उखाड़ फेंकने के लिए तत्पर रहते थे। भारत को अंग्रेजों से आजाद कराने का जूनून उनके खून में दौड़ रहा था। महात्मा गांधी के समर्थन में सभी सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों का बहिष्कार करने के लिए उन्होंने महज 13 साल की कम उम्र में अपना स्कूल छोड़ दिया।

अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए बाद में उन्होंने लाहौर के नेशनल कॉलेज में दाखिला लिया, यहां उन्होंने यूरोपीय क्रांतिकारी कृत्यों को सीखा, जिसने उन्हें बहुत प्रेरित किया। 1919 में जलियांवाला बाग नरसंहार से वह बहुत दुखी हुए, वह अमृतसर पहुंचे और खून से सनी पृथ्वी को चूमा और भारत की आजादी के लिए अपने प्राण झोंकने की कसम खाई। 1925 में उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलनों के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की। शहीद भगत सिंह ने कीर्ति किसान पार्टी की पत्रिका के लिए लेख लिखे। बाद में वह हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में शामिल हो गए, जहां वह भारत के अन्य क्रांतिकारियों के संपर्क में आए। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ क्रांतिकारी लेख भी लिखना शुरू किया।

भगत सिंह बहुत तेजी से युवा क्रांतिकारी के रूप में उभरने लगे, तब उनकी सभी गतिविधियों ने अंग्रेजों का ध्यान उनकी ओर आकर्षित किया। ब्रिटिश सरकार ने 1927 में उन्हें गिरफ्तार भी किया। उनके जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ 1928 में आया, जब अंग्रेजों के हमले में स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई थी। भगत सिंह ने उसी का बदला लेने के लिए अधिकारी, उप महानिरीक्षक स्कॉट को गोली मार दी। उसके बाद उनपर हत्या का मामला दर्ज किया गया, उसके बाद वह लाहौर से कोलकाता और फिर वहां से आगरा आए और एक बम फैक्ट्री की स्थापना की। उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर व्यापार विवाद बिलों के विरोध में केंद्रीय विधान सभा पर बम फोड़कर धमाका किया और आत्मसमर्पण कर दिया। इस घटना के बाद जब पुलिस ने भगत सिंह और उनके साथियों को गिरफ्तार किया तो, उन्होंने इस घटना में अपनी संलिप्तता कबूल कर ली।

जब भारत सिंह और उनके साथियों के साथ जेल में अमानवीय व्यवहार किया गया तो, उन्होंने जेल में ही 116 दिन तक लगातार भूख हड़ताल की। 23 मार्च 1931 को मात्र 23 साल की उम्र में ही उन्हें फांसी दे दी गई। भगत सिंह के साथ, राजगुरु और सुखदेव को भी फांसी दी गई थी। वह अपने अंतिम क्षणों में भी भारत माता की जय और इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे। भगत सिंह फांसी का फंदा गले में पहनकर भी मुस्कुरा रहे थे। वह एक स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने कभी अपने जीवन के बारे में नहीं सोचा, वह अपनी अंतिम सांस तक देश की सेवा करते रहे।

भगत सिंह वास्तव में एक सच्चे देशभक्त थे, जो बहुत कम उम्र से एक उत्कृष्ट अतुलनीय क्रांतिकारी रहे। एक बार का वाक्य है कि वह अपने पिता की बदूक को खेत में दबा के अ गए, जब पिता ने पुछा बन्दूक कहां है, तब भगत ने बताया कि अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए बदूक को खेतों दबा के आया हूं। जब कई बन्दूक होगी तो उनसे लड़ने में आसानी होगी। देश के प्रति उनका सहस और प्रेम देखकर भगत सिंह के पिता की आंखें नम हो गई। भगत सिंह अपनी मातृभूमि के लिए हर संभव कोशिश करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। देश के लिए उनका बलिदान की गाथा, इतिहास में सुनहरे अक्षरों से लिखी गई है। देश उन्हें हमेशा याद रखेगा।

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English summary
Born on 28 September 1907 in Punjab, Bhagat Singh is one of the youngest revolutionaries to be martyred for the country. There were two factions running for the independence of India, the Moderate Dal and the Extremist Dal.
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