Ram Navami Dussehra Speech On Lord Rama: भगवान राम को रामचंद्र जी के नाम से भी जाना जाता है। श्री राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं। भगवान राम को मर्यादा पुरषोत्तम माना जाता है। राम ने अपने जीवन काल में आम लोगों को जीवन जीने की कला सिखाई है। भगवान राम ने अपने 14 वर्ष के वनवास में कई पड़ावों को पार करते हुए, कई राक्षसों का वध किया। सबके जीवन के आदर्श रहे भगवान श्री राम पर जितना लिखा जाये उतना कम है। ऐसे में आइये जानते हैं भगवान राम पर भाषण की तैयारी करें?
भगवान राम पर भाषण | Speech On Lord Rama
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि धार्मिक आस्थावान लोग आज भी श्री राम को भगवान के रूप में ही पूजते हैं। भारतीय जनमानस के हृदय में राम एक आदर्श के रूप में युगो से विराजमान है। लेकिन यह भी सच है कि आधुनिक जीवन शैली और बदलते परिवेश में उनके आदर्शों और मर्यादाओं में सामाजिक व्यवहारिकता में पहला जैसा लगाव नहीं दिखता है। किसी समाज का बहुस्वीकृत आदर्श कितना व्यवहारिक है और कितना किताबी है, इसकी पहचान इस बात से होती है कि हमारा वह आदर्श, हमारे मन व्यवहार में कितना मजबूती से उपस्थित है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम इस देश के समाज के, इस समाज के सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ आदर्श हैं। इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता। लेकिन सवाल है कि क्या राम कि हमारे समाज में आज भी सहज जीवंत उपस्थिति है या धीरे-धीरे वह महज किताब और ज्ञान और उपदेशात्मक बातों तक ही सिमटते जा रहे हैं?
अब घरों में कम ही रखे जाते हैं राम नाम। पहले हम यह देख लेते हैं कि हमारे आदर्श राम हमारे जीवन में, भावनात्मक संसार में कितने जुड़े हुए हैं। 40 50 साल पहले का दौर था जब शहर हो या गांव शायद ही हिंदुओं का कोई ऐसा घर या परिवार हो जहां कम से कम किसी एक व्यक्ति का नाम राम ना रखा गया हो। यानी, उस व्यक्ति के नाम में राम कहीं ना कहीं शामिल न हो रहा हो। लेकिन क्या आज इस बात का दावा किया जा सकता है। चाहे इसे आप आधुनिकता का नाम दें या ग्लोबलाइजेशन का नाम दें या नै व्यवहारिक प्रगति का नाम दें। वजह कोई भी हो लेकिन राम के नाम वाले केवल अब धीरे-धीरे हमारे घर परिवार से दूर होते जा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि हम राम नाम से पूरी तरह दूर हो गए हैं, लेकिन लगभग 1950-60 के मुकाबले देखा जाए तो आज हमारे घरों में पैदा होने वाले बच्चों के तब के मुकाबले 10 फीसद ही राम से जुड़े नाम नहीं रखे जाते हैं।
किसी समाज में उनके महानतम आदर्श के धीरे-धीरे लोप होने की यह सबसे अदृश्य प्रक्रिया है, लेकिन यह प्रकिया अपना काम करती है। हम भले ही अपनी गाड़ियों में राम के एक से बढ़कर एक पोस्टर लगाते हो, उनके नाम का उद्घोष करते स्टिकर गहर पर लगाते हो, लेकिन यम अपने अंदर से ईमानदारी से टटोलकर यह नहीं देख रहे कि हमारे बीच प्रेम और आदर्श से लहराते राम हमारी संतानों के नाम से कैसे धीरे-धीरे गायब होते जा रहे हैं। एक जमाना सचमुच इस देश में ऐसा था, जब किसी भी जाति, किसी भी धर्म, किसी भी संप्रदाय के लोगों से बोलने के लिए संवाद के लिए आप बिना दिलो-दिमाग के कुछ भी सोच सहजता से उन्हें राम राम या जय श्री राम जी का अभिवादन करते थे। उस जमाने में शायद ही किसी के दिलो-दिमाग आर इस अभिवादन, संबोधन पर कोई और बात का ध्यान जाता रहा हो। लेकिन आज हमारे समाज में शाश्वत आदर्श रहे राम का अभिवादन के रूप में संबोधन भी राजनीतिक विषय से प्रभावित देखा जाता है। जबकि सच बात यह है कि हर तरह की राजनीति से परे, राम भारतीय जन जन के मन में बसते हैं।
भगवान राम पर स्पीच की तैयारी कैसे करें | Speech On Lord Rama in Hindi
आज की पीढ़ी भावनात्मक आस्था से दूर है। इसमें कोई शक नहीं कि आज की हमारी पीढ़ी कॉपी नॉलेजेबल और स्मार्ट है। आज की पीढ़ी के पास जानकारियां पाने के पुरानी पीढ़ियों के मुकाबले सैकड़ों जरिए हैं। आज की पीढ़ी के पास पहले की पीढ़ियों के मुकाबले ज्यादा आत्मविश्वास और ज्यादा समझ है और ज्यादा विश्लेषण है। लेकिन आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि आज की पीढ़ी क्या राम के चरित्र को भी आत्मसात करने के लिए तत्पर दिखती है? आज की स्मार्ट जनरेशन प्राय राम को पौराणिक नायक बताती है या अपने हाव-भाव और व्यवहार से यह बताने की कोशिश करती है, जबकि पहले ऐसा नहीं था।
उस दौर में बात बात में लोग उल्हाना देते थे, राम जैसा कोई भी भाई चाहत रखता हो तो पहले लक्ष्मण या भरत जैसा तो बनो। अब इस बात के जुमले समाज में नहीं बोले जाते, क्योंकि नई पीढ़ी प्रायः राम का महज सांस्कृतिक उपयोग भर करती है। भावनात्मक आस्था नहीं रखती। ऐसा करने पर उनकी व्यवहारिकता और स्मार्टनेस आड़े आ जाती है। कहने का सार यह है कि राम युगो युगो से भारतीय जनमानस की आत्मा के अभिन्न अंग रहे हैं। लेकिन आने वाले समय में भी उनके प्रति आस्था बनी रहे, इसके लिए आवश्यक है कि समाज में हो रहे सांस्कृतिक विचलन को रोकने का हर संभव प्रयास किया जाए। जय श्री राम जी।