डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग 3 से 5 साल तक की अवधि का कोर्स है। बता दें कि सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग एक कंप्यूटर-केंद्रित प्रोफेशन है जिसमें उपभोक्ता और ग्राहकों की अपेक्षाओं को पूरा करने वाले उपयोगकर्ता के अनुकूल, रचनात्मक कंप्यूटर प्रोग्राम और सिस्टम डिजाइन करना शामिल है। पीएचडी इन सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर कंप्यूटर अनुप्रयोगों को डिजाइन और निर्माण करने के लिए गणितीय विश्लेषण और कंप्यूटर विज्ञान के सिद्धांतों को लागू करता है।
चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको पीएचडी इन सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी से अवगत कराएंगे कि आखिर सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में पीएचडी करने के लिए एलिजिबिलिटी क्या होनी चाहिए। इसका एडमिशन प्रोसेस क्या है, इसके लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम कौन से हैं, इसे करने के बाद आपके पास जॉब प्रोफाइल क्या होंगी और उनकी सैलरी क्या होगी। भारत में सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में पीएचडी करने के लिए टॉप कॉलेज कौन से हैं और उनकी फीस क्या है।
• कोर्स का नाम- डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग
• कोर्स का प्रकार- डॉक्टरेट डिग्री
• कोर्स की अवधि- 3 से 5 साल तक
• एलिजिबिलिटी- मास्टर डिग्री
• एडमिशन प्रोसेस- एंट्रेंस एग्जाम या मेरिट बेस्ड
• कोर्स फीस- 40,000 से 2.40 लाख
• अवरेज सैलरी- 5 से 30 लाख तक
• जॉब प्रोफाइल- रिसर्च साइंटिस्ट, प्रोफेसर, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर, सॉफ्टवेयर डेवलेपर, सॉफ्टवेयर डिजाइनर आदि।
• जॉब फील्ड- एडोब, गूगल, एचपी, इंटेल, आईबीएम इंडिया, माइक्रोसॉफ्ट आदि।
पीएचडी इन सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग: एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
• इच्छुक उम्मीदवार के पास सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग से संबंधित विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन या एम.फिल की डिग्री होनी चाहिए।
• पीएचडी इन सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने के लिए उम्मीदवार के पास मास्टर डिग्री में न्यूनतम 60% अंक होना आवश्यक है।
• आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 5% अंकों की अतिरिक्त छूट दी जाती है।
• इसके साथ ही, उम्मीदवार को एंट्रेंस एग्जाम में भी विश्वविद्यालय के मानकों तक स्कोर करना होता है, जो या तो विश्वविद्यालय द्वारा स्वयं या यूजीसी-नेट जैसी राष्ट्रीय परीक्षाओं द्वारा आयोजित की जाती हैं।
पीएचडी इन सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग: एडमिशन प्रोसेस
किसी भी टॉप यूनिवर्सिटी में पीएचडी सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स में एडमिशन लेने के लिए, उम्मीदवारों को एंट्रेंस एग्जाम देने की आवश्यकता होती है। एंट्रेंस एग्जाम में पास होने के बाद पर्सनल इंट्रव्यू होता है और यदि उम्मीदवार उसमें अच्छा स्कोर करते हैं, तो उन्हें स्कोलरशिप भी मिल सकती है।
पीएचडी इन सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के लिए भारत के टॉप कॉलेजों द्वारा अपनाई जाने वाली एडमिशन प्रोसेस निम्नलिखित है
चरण 1: रजिस्ट्रेशन
- उम्मीदवार ऑफिशयल वेबसाइट पर जाएं।
- ऑफिशयल वेबसाइट पर जाने के बाद आवेदन फॉर्म भरें।
- आवेदन फॉर्म को भरने के बाद ठीक तरह से जांच लें यदि फॉर्म में गलती हुई तो वह रिजक्ट हो सकता है।
- मांगे गए दस्तावेज अपलोड करें।
- आवेदन पत्र सबमिट करें।
- क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन फॉर्म की फीस जमा करें।
चरण 2: एंट्रेंस एग्जाम
- यदि उम्मीदवार पीएचडी सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने के लिए टॉप यूनिवर्सिटी का लक्ष्य रखते हैं, तो उनके लिए एंट्रेंस एग्जाम क्रेक करना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद एडमिट कार्ड जारी किए जाते हैं। जिसमें की एंट्रेंस एग्जाम से संबंधित सभी जानकारी दी जाती है जैसे कि एग्जाम कब और कहां होगा, आदि।
- बता दें कि पीएचडी इन सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के लिए एडमिशन प्रोसेस यूजीसी नेट / यूजीसी सीएसआईआर नेट / आईसीएमआर जेआरएफ / गेट आदि जैसे एंट्रेंस एग्जाम पर निर्भर करती है। योग्य उम्मीदवारों का चयन आगे इंट्रव्यू के आधार पर किया जाता है।
चरण 3: एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट
एंट्रेंस एग्जाम हो जाने के कुछ दिन बाद उसका रिजल्ट घोषित किया जाता है जिसके लिए, छात्रों को नियमित रूप से विश्वविद्यालय की वेबसाइटों और सोशल मीडिया हैंडल की जांच करके खुद को अपडेट रखना चाहिए।
चरण 4: इंट्रव्यू एंड एनरोलमेंट
- एंट्रेंस एग्जाम में पास होने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी द्वारा इंट्रव्यू में उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा - या तो ऑनलाइन (स्काइप, गूगल मीट, ज़ूम) या ऑफ़लाइन छात्रों को यूनिवर्सिटी परिसर में बुलाकर।
- इस दौरान, अन्य सभी एलिजिबिली क्राइटेरिया को क्रॉस चेक किया जाता है, और यदि छात्र इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें डॉक्टरेट स्तर पर सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग का अध्ययन करने के लिए एडमिशन दिया जाता है।
पीएचडी इन सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग: सिलेबस
- मशीन लर्निंग
- सॉफ्टवेयर विकास के मानवीय पहलू
- कम्प्यूटेशनल सिमेंटिक्स
- एप्लाइड रिसर्च मेथड्स- क्वालिटेटिव एंड क्वांटिटेटिव
- प्रोग्रामिंग लैंगुएज सिमेंटिक्स
- यूजेबल प्राइवेसी एंड सिक्योरिटी
- एडवांस्ड ऑपरेटिंग सिस्टम और वितरण प्रणाली
- ऑर्गेनाइजेशन थ्योरी फॉर इंजीनियर
- आर्किटेक्चर ऑफ सॉफ्टवेयर सिस्टम
- मेथड्स: यह तय करना कि क्या डिजाइन करना है
- इंट्रोडक्शन टू कंप्यूटर सुरक्षा
- गोपनीयता, नीति, कानून और प्रौद्योगिकी का परिचय
- मानव के सिद्धांत- रोबोट इंटरेक्शन
- रणनीति और सूचना प्रणाली का प्रबंधन
- सोशल वेब
- डिर्सेटेशन
- सूचना सुरक्षा और गोपनीयता
- परियोजना कार्य
- फांउडेशन ऑफ प्राइवेसी
- थीसिस जनरेशन
कॉलेज फक्लटी आमतौर पर छात्रों को उनके स्वतंत्र शोध कार्य में सहायता करते हैं, जबकि अधिक अनुभव प्राप्त करने के लिए छात्र सहायक के रूप में अपने प्रोफेसरों के अधीन काम करना चुन सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें इस बात की बेहतर समझ होगी कि पीएचडी पूरी करने के बाद अगर वे प्रोफेसर बनना चाहते हैं तो उन्हें किस तरह का काम करना होगा।
पीएचडी इन सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग: टॉप कॉलेज और उनकी फीस
- कलिंग औद्योगिक प्रौद्योगिकी संस्थान, भुवनेश्वर- फीस 2,25,000
- जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता- फीस 24,000
- आईआईईएसटी शिबपुर, हावड़ा- फीस 28,000
- अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई- फीस 25,000
- चंडीगढ़ विश्वविद्यालय, चंडीगढ़- फीस 70,000
- एमिटी यूनिवर्सिटी, जयपुर- फीस 84,000
- श्याम विश्वविद्यालय, दौसा- फीस 90,000
- प्रशांत प्रौद्योगिकी संस्थान, उदयपुर- फीस 40,000
- यूनिवर्सिटी वीओसी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, थूथुकुडी- फीस 35,250
पीएचडी इन सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग: जॉब प्रोफाइल और सैलरी
- सॉफ्टवेयर इंजीनियर- सैलरी 5 लाख
- प्रोफेसर- सैलरी 10 लाख
- रिसर्च साइंटिस्ट- सैलरी 5.43 लाख
- सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर- सैलरी 3 लाख
- सॉफ्टवेयर डेवलेपर- सैलरी 4.61 लाख
- सॉफ्टवेयर डिजाइनर- सैलरी 8.2 लाख