डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन पेट्रोलियम इंजीनियरिंग 3 साल की अवधि का डॉक्टरेट लेवल की फुल टाइम डिग्री कोर्स है। पीएचडी इन पेट्रोलियम इंजीनियरिंग कोर्स तेल और गैस निष्कर्षण की प्रक्रिया के नवाचार और अन्वेषण से संबंधित है। इस कोर्स में छात्रों को माइनिंग इंजीनियरिंग और एडवांस जियोलॉजी से संबंधित ज्ञान प्रदान किया जाता है।
चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको पीएचडी इन पेट्रोलियम इंजीनियरिंग से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी से अवगत कराएंगे कि आखिर पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में पीएचडी करने के लिए एलिजिबिलिटी क्या होनी चाहिए। इसका एडमिशन प्रोसेस क्या है, इसके लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम कौन से हैं, इसे करने के बाद आपके पास जॉब प्रोफाइल क्या होंगी और उनकी सैलरी क्या होगी। भारत में पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में पीएचडी करने के लिए टॉप कॉलेज कौन से हैं और उनकी फीस क्या है।
• कोर्स का नाम- डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन पेट्रोलियम इंजीनियरिंग
• कोर्स का प्रकार- डॉक्टरेट डिग्री
• कोर्स की अवधि- 3 से 5 साल तक
• एलिजिबिलिटी- मास्टर डिग्री
• एडमिशन प्रोसेस- एंट्रेंस एग्जाम या मेरिट बेस्ड
• कोर्स फीस- 2,000 से 1 लाख तक
• अवरेज सैलरी- 5 से 15 लाख तक
• जॉब प्रोफाइल- असिस्टेंट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट इन चार्ज, प्रोजेक्ट कऑर्डिनेटर, रिसर्चर, ऑपरेशन मैनेजर, लेबोरेट्री असिस्टेंट आदि।
• जॉब फील्ड-शैक्षिक संस्थान, पेट्रोलियम निर्माण कंपनियां, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, सरकार नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, सौर ऊर्जा ऊर्जा संयंत्र, रिफाइनरी आदि।
पीएचडी इन पेट्रोलियम इंजीनियरिंग: एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
• इच्छुक उम्मीदवार के पास पेट्रोलियम इंजीनियरिंग से संबंधित विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन या एम.फिल की डिग्री होनी चाहिए।
• पीएचडी इन पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने के लिए उम्मीदवार के पास मास्टर डिग्री में न्यूनतम 60% अंक होना आवश्यक है।
• आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 5% अंकों की अतिरिक्त छूट दी जाती है।
• इसके साथ ही, उम्मीदवार को एंट्रेंस एग्जाम में भी विश्वविद्यालय के मानकों तक स्कोर करना होता है, जो या तो विश्वविद्यालय द्वारा स्वयं या यूजीसी-नेट जैसी राष्ट्रीय परीक्षाओं द्वारा आयोजित की जाती हैं।
पीएचडी इन पेट्रोलियम इंजीनियरिंग: एडमिशन प्रोसेस
किसी भी टॉप यूनिवर्सिटी में पीएचडी पेट्रोलियम इंजीनियरिंग कोर्स में एडमिशन लेने के लिए, उम्मीदवारों को एंट्रेंस एग्जाम देने की आवश्यकता होती है। एंट्रेंस एग्जाम में पास होने के बाद पर्सनल इंट्रव्यू होता है और यदि उम्मीदवार उसमें अच्छा स्कोर करते हैं, तो उन्हें स्कोलरशिप भी मिल सकती है।
पीएचडी इन पेट्रोलियम इंजीनियरिंग के लिए भारत के टॉप कॉलेजों द्वारा अपनाई जाने वाली एडमिशन प्रोसेस निम्नलिखित है
चरण 1: रजिस्ट्रेशन
- उम्मीदवार ऑफिशयल वेबसाइट पर जाएं।
- ऑफिशयल वेबसाइट पर जाने के बाद आवेदन फॉर्म भरें।
- आवेदन फॉर्म को भरने के बाद ठीक तरह से जांच लें यदि फॉर्म में गलती हुई तो वह रिजक्ट हो सकता है।
- मांगे गए दस्तावेज अपलोड करें।
- आवेदन पत्र सबमिट करें।
- क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन फॉर्म की फीस जमा करें।
चरण 2: एंट्रेंस एग्जाम
- यदि उम्मीदवार पीएचडी पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने के लिए टॉप यूनिवर्सिटी का लक्ष्य रखते हैं, तो उनके लिए एंट्रेंस एग्जाम क्रेक करना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद एडमिट कार्ड जारी किए जाते हैं। जिसमें की एंट्रेंस एग्जाम से संबंधित सभी जानकारी दी जाती है जैसे कि एग्जाम कब और कहां होगा, आदि।
- बता दें कि पीएचडी इन पेट्रोलियम इंजीनियरिंग के लिए एडमिशन प्रोसेस यूजीसी नेट / डीबीटी जेआरएफ/ गेट आदि जैसे एंट्रेंस एग्जाम पर निर्भर करती है। योग्य उम्मीदवारों का चयन आगे इंट्रव्यू के आधार पर किया जाता है।
चरण 3: एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट
एंट्रेंस एग्जाम हो जाने के कुछ दिन बाद उसका रिजल्ट घोषित किया जाता है जिसके लिए, छात्रों को नियमित रूप से विश्वविद्यालय की वेबसाइटों और सोशल मीडिया हैंडल की जांच करके खुद को अपडेट रखना चाहिए।
चरण 4: इंट्रव्यू एंड एनरोलमेंट
- एंट्रेंस एग्जाम में पास होने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी द्वारा इंट्रव्यू में उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा - या तो ऑनलाइन (स्काइप, गूगल मीट, ज़ूम) या ऑफ़लाइन छात्रों को यूनिवर्सिटी परिसर में बुलाकर।
- इस दौरान, अन्य सभी एलिजिबिली क्राइटेरिया को क्रॉस चेक किया जाता है और यदि छात्र इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें डॉक्टरेट स्तर पर पेट्रोलियम इंजीनियरिंग का अध्ययन करने के लिए एडमिशन दिया जाता है।
पीएचडी इन पेट्रोलियम इंजीनियरिंग: सिलेबस
- पेट्रोलियम जीयोलॉजी एंड मेथेड फॉर पेट्रोलियम एक्सपलोरेशन
- प्रोडक्शन इंजीनियरिंग एंड वेल टेस्टिंग एनालिसिस
- एनहंस्ड ओइल रिक्वरी सिस्टम
- पेट्रोलियम रिजर्वियर मॉडलिंग
- इकॉनोमिक्स एंड रिस्क मैनेजमेंट
- डेटा एनालिसिस
- बायो क्लाइमेटोग्राफी
- रिजर्वियर जीयोमैकेनिक्स
- ओइल/गैस फिल्ड डेवलेपमेंट
- फॉरमेशन इवेल्यूएशन
- पाइपलाइन इंजीनियरिंग
- पेट्रोलियम लॉ एंड कॉनट्रेक्ट
- आर्टिफिशयल लिफ्ट टेक्नोलॉजी
- थिसिस + प्रेसेंटेशन
कॉलेज फक्लटी आमतौर पर छात्रों को उनके स्वतंत्र शोध कार्य में सहायता करते हैं, जबकि अधिक अनुभव प्राप्त करने के लिए छात्र सहायक के रूप में अपने प्रोफेसरों के अधीन काम करना चुन सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें इस बात की बेहतर समझ होगी कि पीएचडी पूरी करने के बाद अगर वे प्रोफेसर बनना चाहते हैं तो उन्हें किस तरह का काम करना होगा।
पीएचडी इन पेट्रोलियम इंजीनियरिंग: टॉप कॉलेज और उनकी फीस
- आईआईटी, मद्रास- फीस 1,10,000
- आईआईटी, खड़गपुर- फीस 15,000
- चंडीगढ़ विश्वविद्यालय- फीस 50,000
- पेट्रोलियम और ऊर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय- फीस 5,57,250
- डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय- फीस 70,000
- देहरादून प्रौद्योगिकी संस्थान- फीस 1,80,000
- राजीव गांधी पेट्रोलियम प्रौद्योगिकी संस्थान- फीस 13000
- एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी- फीस 50,000
- कर्नाटक विश्वविद्यालय- फीस 3,000
- राजस्थान विश्वविद्यालय- फीस 6,000
पीएचडी इन पेट्रोलियम इंजीनियरिंग: जॉब प्रोफाइल और सैलरी
- एनर्जी मैनेजर- सैलरी 4.5 लाख
- असिस्टेंट प्रोफेसर- सैलरी 6 लाख
- प्रोडक्शन इंजीनियर- सैलरी 4.8 लाख
- प्रोफेसर इंजीनियर- सैलरी 6 लाख
- क्वालिटी कंट्रोल मैनेजर- सैलरी 5 लाख
- पेट्रोलियम जीयोलॉजिस्ट- सैलरी 5.2 लाख