डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन मार्केटिंग 3 साल की अवधि का फुल टाइम कोर्स है। पीएचडी मार्केटिंग मूल रूप से एक डॉक्टरेट लेवल की डिग्री है जो बहुभिन्नरूपी सांख्यिकीय विश्लेषण के लिए कंप्यूटर दृष्टिकोण पर जोर देता है, ये कोर्स छात्रों को डेटा रिडक्शन, वर्गीकरण और हाइपोथिसिस टेस्टिंग सहित सांख्यिकीय तकनीक प्रदान करता है।
चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको पीएचडी इन मार्केटिंग से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी से अवगत कराएंगे कि आखिर मार्केटिंग में पीएचडी करने के लिए एलिजिबिलिटी क्या होनी चाहिए। इसका एडमिशन प्रोसेस क्या है, इसके लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम कौन से हैं, इसे करने के बाद आपके पास जॉब प्रोफाइल क्या होंगी और उनकी सैलरी क्या होगी। भारत में मार्केटिंग में पीएचडी करने के लिए टॉप कॉलेज कौन से हैं और उनकी फीस क्या है।
• कोर्स का नाम- डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन मार्केटिंग
• कोर्स का प्रकार- डॉक्टरेट डिग्री
• कोर्स की अवधि- 3 साल
• एलिजिबिलिटी- मास्टर डिग्री
• एडमिशन प्रोसेस- एंट्रेंस एग्जाम या मेरिट बेस्ड
• कोर्स फीस- 50,000 से 4 लाख तक
• अवरेज सैलरी- 2 लाख से 10 लाख तक
• जॉब प्रोफाइल- ब्रांड मैनेजर, डिप्टी मैनेजर, ई-मार्केटिंग मैनेजर, इंटरनेट मार्केटिंग मैनेजर, मार्केट रिसर्च एनालिस्ट, मार्केटिंग कम्युनिकेशंस लीडर, मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव, मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव, मार्केटिंग मैनेजर, न्यू प्रोडक्ट मैनेजर, रेजिडेंट मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव, टीचर एंड लेक्चरर, टेल कॉलर / टेलीसेल्स आदि।
• टॉप रिक्रूटर्स- अनुसंधान एवं शैक्षिक संस्थान, भारत में एक्सेंचर, प्रिंट स्थल, तुलसी लाइफकेयर प्राइवेट लिमिटेड, डीएचटीसी लॉजिस्टिक्स लिमिटेड, डेमलर इंडिया कमर्शियल व्हीकल्स प्राइवेट लिमिटेड और रेमंड लिमिटेड आदि।
पीएचडी इन मार्केटिंग: एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
• इच्छुक उम्मीदवार के पास मार्केटिंग से संबंधित विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन या एम.फिल की डिग्री होनी चाहिए।
• पीएचडी इन मार्केटिंग में एडमिशन लेने के लिए उम्मीदवार के पास मास्टर डिग्री में न्यूनतम 60% अंक होना आवश्यक है।
• आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 5% अंक की छूट मिलती है।
• इसके साथ ही, उम्मीदवार को एंट्रेंस एग्जाम में भी विश्वविद्यालय के मानकों तक स्कोर करना होता है, जो या तो विश्वविद्यालय द्वारा स्वयं या यूजीसी-नेट जैसी राष्ट्रीय परीक्षाओं द्वारा आयोजित की जाती हैं।
पीएचडी इन मार्केटिंग: एडमिशन प्रोसेस
किसी भी टॉप यूनिवर्सिटी में पीएचडी मार्केटिंग कोर्स में एडमिशन लेने के लिए, उम्मीदवारों को एंट्रेंस एग्जाम देने की आवश्यकता होती है। एंट्रेंस एग्जाम में पास होने के बाद पर्सनल इंट्रव्यू होता है और यदि उम्मीदवार उसमें अच्छा स्कोर करते हैं, तो उन्हें स्कोलरशिप भी मिल सकती है।
पीएचडी इन मार्केटिंग के लिए भारत के टॉप कॉलेजों द्वारा अपनाई जाने वाली एडमिशन प्रोसेस निम्नलिखित है
चरण 1: रजिस्ट्रेशन
- उम्मीदवार ऑफिशयल वेबसाइट पर जाएं।
- ऑफिशयल वेबसाइट पर जाने के बाद आवेदन फॉर्म भरें।
- आवेदन फॉर्म को भरने के बाद ठीक तरह से जांच लें यदि फॉर्म में गलती हुई तो वह रिजक्ट हो सकता है।
- मांगे गए दस्तावेज अपलोड करें।
- आवेदन पत्र सबमिट करें।
- क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन फॉर्म की फीस जमा करें।
चरण 2: एंट्रेंस एग्जाम
- यदि उम्मीदवार पीएचडी मार्केटिंग में एडमिशन लेने के लिए टॉप यूनिवर्सिटी का लक्ष्य रखते हैं, तो उनके लिए एंट्रेंस एग्जाम क्रेक करना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद एडमिट कार्ड जारी किए जाते हैं। जिसमें की एंट्रेंस एग्जाम से संबंधित सभी जानकारी दी जाती है जैसे कि एग्जाम कब और कहां होगा, आदि।
- बता दें कि पीएचडी इन मार्केटिंग के लिए एडमिशन प्रोसेस सीएसआईआर नेट/गेट/आईसीएमआर जेआरएफ/यूजीसी नेट आदि जैसे एंट्रेंस एग्जाम पर निर्भर करती है। योग्य उम्मीदवारों का चयन आगे इंट्रव्यू के आधार पर किया जाता है।
चरण 3: एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट
एंट्रेंस एग्जाम हो जाने के कुछ दिन बाद उसका रिजल्ट घोषित किया जाता है जिसके लिए, छात्रों को नियमित रूप से विश्वविद्यालय की वेबसाइटों और सोशल मीडिया हैंडल की जांच करके खुद को अपडेट रखना चाहिए।
चरण 4: इंट्रव्यू एंड एनरोलमेंट
- एंट्रेंस एग्जाम में पास होने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी द्वारा इंट्रव्यू में उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा - या तो ऑनलाइन (स्काइप, गूगल मीट, ज़ूम) या ऑफ़लाइन छात्रों को यूनिवर्सिटी परिसर में बुलाकर।
- इस दौरान, अन्य सभी एलिजिबिली क्राइटेरिया को क्रॉस चेक किया जाता है, और यदि छात्र इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें डॉक्टरेट स्तर पर मार्केटिंग का अध्ययन करने के लिए एडमिशन दिया जाता है।
पीएचडी इन मार्केटिंग: सिलेबस
सेमेस्टर 1
- मार्केटिंग मॉडल्स
- थ्योरी इन कंज्यूमर बिहैवियर
- ए़डवांस इन रिटेल मैनेजमेंट
- रिसर्च मैथेडलॉजी
सेमेस्टर 2
- ब्रांड एंड प्रोडक्ट मैनेजमेंट
- रीडिंग सेमिनार इन एडवरटाइजिंग मैनेजमेंट
- सप्लाई चैन मैनेजमेंट
- मार्केटिंग एंड पब्लिक पॉलिसी
- स्टैटेटिक्स
कॉलेज फक्लटी आमतौर पर छात्रों को उनके स्वतंत्र शोध कार्य में सहायता करते हैं, जबकि अधिक अनुभव प्राप्त करने के लिए छात्र सहायक के रूप में अपने प्रोफेसरों के अधीन काम करना चुन सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें इस बात की बेहतर समझ होगी कि पीएचडी पूरी करने के बाद अगर वे प्रोफेसर बनना चाहते हैं तो उन्हें किस तरह का काम करना होगा।
पीएचडी इन मार्केटिंग: टॉप कॉलेज और उनकी फीस
- केआईआईटी, भुवनेश्वर- फीस 2,25,000
- निरमा विश्वविद्यालय, अहमदाबाद- फीस 40,000
- आईआईएफटी, कोलकाता- फीस 2,00,000
- एलायंस यूनिवर्सिटी, बैंगलोर- फीस 1.50 लाख
- एमिटी यूनिवर्सिटी, मुंबई- फीस 80,000
- शारदा विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा- फीस 50,000
- प्रबंधन के गीताम संस्थान, विशाखापत्तनम- फीस 73,200
- सिंघानिया विश्वविद्यालय, झुंझुनू- फीस 66,500
- वाईबीएन विश्वविद्यालय, रांची- फीस 1.04 लाख
- शैलेश जे. मेहता स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, मुंबई- फीस 25,800
पीएचडी इन मार्केटिंग: जॉब प्रोफाइल और सैलरी
- टीचर/प्रोफेसर- सैलरी 3,33,000
- मार्केटिंग मैनेजर- सैलरी 4,13,000
- न्यू प्रोडक्ट मैनेजर- सैलरी 8,64,000
- ब्रांड मैनेजर- सैलरी 3,50,400
- डिप्टी मैनेजर- सैलरी 5,60,000