Zero Discrimination Day 2023: 1 मार्च को क्यों मनाया जाता है शून्य भेदभाव दिवस, जाने इसका इतिहास, महत्व और थीम

शुन्य भेदभाव दिवस जिसे अंग्रेजी में जीरो डिस्क्रिमिनेशन दिवस भी कहा जाता है, प्रतिवर्ष 1 मार्च को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाए जाने की शुरुआत 2014 में हुई थी। तभी से लागातार इस दिवस को प्रतिवर्ष 1 मार्च को मनाया जाता है। हर साल इस दिवस को संयुक्त राष्ट्र और अन्य कई अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा मनाया जाता है।

इस दिवस के माध्य्म से भेदभाव को समाप्त कर एक एकजुट समाज की स्थापना करना एक वैश्विक आंदोलन बनाना है। इस दिवस को माध्य्म से समाज में किसी भी प्रकार के भेदभाव को खत्म करना है और लोगों में इसके प्रति जागरूकता पैदा करना है ताकि उनके सामने हो किसी भी व्यक्ति से हो रहे भेदभाव के खिलाफ वह अवाज उछा सकें।

Zero Discrimination Day 2023: 1 मार्च को क्यों मनाया जाता है शून्य भेदभाव दिवस

हाल ही में देखा गया है कि कोरोना के दौरान भी कई तरह की भेदभाव की स्थिति उत्पन्न हुई थी। ये पहली बार नहीं है कि कम जानकारी के कारण स्वास्थ्य संबंधित किसी बीमारी को लेकर भेदभाव को बढ़ावा मिला है। एड्स उन कई बीमारियों में से एक है जिसकी जाकनरा लगते ही मरीजों को भेदभाव झेलना पड़ता है। न केवल उनके परिजनों द्वारा बल्कि अस्पताल के स्टाफ के द्वारा भी। इन सभी स्थितियों में हो रहे भेदभाव से निपटने के लिए ही प्रतिवर्ष शून्य भेदभाव दिवस मनाया जाता है। कई ऐसी दुर्लभ बीमारियां है जिनके मरीजों के प्रति आज भी भेदभाव किया जाता है।

आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे की किस प्रकार शून्य भेदभाव दिवस की शुरुआत हुई और इसे 1 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है। इसका इतिहास, महत्व क्या है और थीम क्या है। आइए जाने इस दिवस के बारे में विस्तार से -

शून्य भेदभाव दिवस क्यों मनाया जाता है?

हर साल इस दिवस को क्यों मनाया जाता है? इस दिवस को 1 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है? इस दिवस को मनाने के पीछे का मुख्य कारण क्या है? आदि जैसे कई सवाल आप सभी के मन में आते होंगे। इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको इस लेख के माध्यम से प्राप्त होंगे।

प्रतिवर्ष इस शून्य भेदभाव दिवस को हर प्रकार की भेदभाव की स्थिति से बचने और इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। विश्व में भेदभाव कि स्थिकि केवल लिंग के समुदाय के आधार पर ही नहीं होती। बल्कि रंग, रूप, ऊंचाई, धर्म, समुदाए, लिंग और यहां तक की रोगों के आधार पर भी होती है। जी हां ये सच है कई बार लोगों के साथ भेदभाव केवल उन्हें हुए रोग के आधार पर किया जाता है। जो कि हर तरह से गलत है। ऐसी स्थिति तब उत्पन्न होती है जब किसी को उस रोग के बारे में सही ज्ञान नहीं होता है या वह मजाक-मजाक इसे इतना बड़ा बना देते हैं कि इसका असर आस-पास के अन्य लोगों पर होने लगता है। इन स्थितियों को देख कर और इन पर रोक लगाने के लिए प्रतिवर्ष शून्य भेदभाव दिवस मनाया जाता है।

1 मार्च को क्यों मनाया जाता है शून्य भेदभाव दिवस

शून्य भेदभाव दिवस को सर्वप्रथम 1 मार्च 2014 में मनाया गया था। इस दिवस को मनाने का विचार यूएनएड्स के डायेरक्टर मिशेल सिदीबे द्वारा दिया गया है था और दिसंबर 2013 को इस दिवस को बनाया गया था और उसी साल इसी नाम यानी शून्य भेदभाव के नाम से एक अभियान की शुरुआत की गई थी। ये अभियान उस समय एक प्रमुख कार्यक्रम बना जिसमें 30 से अधिक से व्यापारियों और नेताओं ने भेदभाव को खत्म करने के लिए संकल्प लिया। इस दिवस को विश्व एड्स दिवस से प्रेरित होकर बनाया गया है। ताकि एचआईवी/एड्स के साथ रह रहे लोगों के प्रति अनुचित व्यवहार को खत्म किया जा सकें। इस दिवस के माध्यम से रंग, धर्म, रष्ट्रीयता, जाति, लिंग, विकलांगता, कद आदि के कारण हो रहे भेदभावों की रोकथाम के लिए मनाया जाता है। साथ ही भेदभाव के कारण हो रहे मानवअधिकारों के उल्लंघन को भी रोका जा रहा है।

यूएनएड्स के विचार

इस दिवस को मनाने के बारे में यूएनएड्स ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि "शून्य भेदभाव के लिए खड़ें होकर बोलें और भेदभाव को महत्वाकांक्षाओं, लक्ष्यों और सपनों को प्राप्त करने के रास्ते में खड़े होने से रोकें।" इस प्रकार से शून्य भेदभाव दिवस की शुरुआत हुई।

शून्य भेदभाव दिवस 2023: महत्व

विश्व में कई देशों से अक्सर की किसी न किसी प्रकार के भेदभाव कि घटना सामने आती रहती है। कभी रंग को लेकर तो कभी जाति को लेकर यहां तक की राष्ट्रीयता के आधार पर भी भेदभाव किया जाता है। इस स्थिति में काफी बार हमारा व्यवहार किसी व्यक्ति के लिए इस कदर नुकसानदायक होता है, जिसके बारे में हम सोच भी नहीं सकते हैं। इस लिए समाज में हो रहे किसी भी भेदभाव को रोकन के लिए और इसके प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए इस दिवस को प्रतिवर्ष मनाया जाता है।

शून्य भेदभाव दिवस के माध्यम से हम किस प्रकार लोगों के प्रति सहानुभूति, समग्राता और सहीष्णुता को आगे बढ़ाएं और इसे दर्शाएं के बारे में सीखते हैं और प्रोत्साहित करते हैं। ताकि सभी लोगों के प्रति समानता बनाई रखी जा सकें।

शून्य भेदभाव दिवस 2023 की थीम

हर साल शून्य भेदभाव दिवस को हर साल एक नई थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल यानी 2023 में शून्य भेदभाव दिवस को "सेव लाइव्स: डिक्रिमिनलाइज़ करें" की थीम के साथ मनाया जा रहा है। जिसके माध्यम से एचआईवी के साथ रहने वाले मरीजों के प्रति हो रहे भेदभाव को रोकना है। और उनके द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों के बारे में लोगों को जागरूक करना है। इस बीमारी के रोकथाम के लिए सभी को मिलकर कार्य करना है।

पिछले साल यानी वर्ष 2022 में शून्य भेदभाव दिवस को मनाने के लिए "नुकसान पहुंचाने वाले कानून हटाएं, सशक्त करने वाले कानून बनाएं" थीम को अपना गया है। वहीं वर्ष 2020 में इस दिवस को मनाने के लिए "महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ शून्य भेदभाव दिवस" की थीम को तय किया गया था। इस प्रकार आप समझ पाएंगे कि इस दिवस को प्रतिवर्ष एक नए विषय के साथ क्यों मनाया जाता है, ताकि भेदभाव से जुड़े हर मुद्दे पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया जा सकें।

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English summary
Zero Discrimination Day, also known as Zero Discrimination Day in English, is celebrated every year on 1 March. The celebration of this day started in 2014. Since then this day is celebrated continuously on March 1 every year. Every year this day is celebrated by the United Nations and many other international organizations. Establishing a united society by ending discrimination through this day is to create a global movement. Through this day, any kind of discrimination has to be eradicated in the society and awareness has to be created among the people.
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