National Education Day History Significance Facts About Maulana Abul Kalam Azad भारत में हर साल 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाने की शुरुआत वर्ष 2008 से हुई, इस वर्ष 15वां राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2022 मनाया जा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 11 नवंबर को क्यों मनाया जाता है। मौलाना अबुल कलाम आजाद का इस दिन से क्या संबंध है। आइये जानते हैं राष्ट्रीय शिक्षा दिवस से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
एक प्रतिभाशाली दिमाग, कलाम आजादी के बाद देश के पहले केंद्रीय शिक्षा मंत्री थे। कलाम की जयंती के उपलक्ष्य में देश में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है। उन्होंने 1947 से 1958 तक स्वतंत्र भारत के शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया। एक शिक्षाविद्, पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ, कलाम ने भारत की शिक्षा संरचना को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कलाम कहते थे कि हमारे सपने विचारों में और विचारों का परिणाम कर्मों में होता है। कलाम ने देश में शिक्षा के ढांचे में सुधार का सपना देखा था और उन्होंने इसे पूरा करने का प्रयास किया।
शिक्षा के क्षेत्र में उनके समृद्ध समर्पण को ध्यान में रखते हुए, 11 नवंबर 2008 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस दिन को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। मंत्रालय ने अपने बयान में उल्लेख किया, "मंत्रालय ने भारत में शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को याद करते हुए भारत के इस महान सपूत के जन्मदिन को मनाने का फैसला किया है। हर साल 11 नवंबर 2008 से राष्ट्रीय शिक्षा के रूप में मनाया जाएगा।
कलाम ने कहा था कि किसी राष्ट्र की उन्नति और समृद्धि के लिए शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। शिक्षा मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, कई महत्वपूर्ण संस्थान जैसे भारत में पहला भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान या आईआईटी खड़गपुर, स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, पहला भारतीय विज्ञान संस्थान या आईआईएससी स्थापित किया गया था।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का जन्म 1888 में मक्का, सऊदी अरब में हुआ था। उन्होंने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि छात्रों को रचनात्मक होना चाहिए और अलग तरह से सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षाविदों को छात्रों के बीच पूछताछ की भावना, रचनात्मकता, उद्यमशीलता और नैतिक नेतृत्व की क्षमता का निर्माण करना चाहिए और उनका आदर्श बनना चाहिए।
महिलाओं की शिक्षा के प्रबल समर्थक। कलाम ने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि किसी राष्ट्र के सुधार के लिए महिला सशक्तिकरण एक आवश्यक और महत्वपूर्ण शर्त है। उनका मानना था कि महिलाओं के सशक्तिकरण से ही समाज स्थिर होगा। 1949 में उन्होंने संविधान सभा में महिलाओं की शिक्षा का मुद्दा उठाया था। कलाम ने ग्रामीण उच्च शिक्षा बोर्ड, बुनियादी शिक्षा के लिए राष्ट्रीय संगठन और अन्य की नींव भी रखी। कलाम का योगदान शिक्षा के क्षेत्र में भारत के विकास में आपस में जुड़ा रहेगा, उनका काम निरंतर प्रेरणा और मार्गदर्शन का स्रोत बना रहेगा।