भारत की पहली महिला सत्याग्रही सुभद्रा कुमारी चौहान की आज 117वीं जयंती है। सुभद्रा कुमारी चौहान को 'झांसी की रानी' कविता के लिए भी जाना जाता है। सुभद्रा कुमारी चौहान की जयंती पर गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें सम्मानित किया है। जिसमें वह सफेद साड़ी पहने, कुछ लिख रही हैं और बैकग्राउंड में झांसी की रानी और स्वतंत्रता आन्दोलन की झलक दिखाई गई है। मात्र नौ साल की उम्र में सुभद्रा कुमारी चौहान ने अंग्रेजों के खिलाफ अपनी पहली कविता लिखी। सुभद्रा कुमारी चौहान महत्मा गांधी के साथ कई आंदोलनों में शामिल हुई। सुभद्रा कुमारी चौहान गिरफ्तार होने वाली भारत की पहली महिला सत्याग्रही थी, जिन्हें नागपुर में बंद किया गया था। ऐसे में हर भारतीय को सत्याग्रही सुभद्रा कुमारी चौहान के बारे में पता होना चाहिए।
सुभद्रा कुमारी चौहान पर गूगल के डूडल में झांसी की रानी को सफेद घोड़े पर दिखाया गया है, जबकि मुख्य पृष्ठभूमि में सुभद्रा कुमारी चौहान को कविता लिखते ही चित्रित किया गया है। वहीं दूसरी तरफ सत्याग्रहियों की भारी भीड़ दिखाई गई है।
सुभद्रा कुमारी चौहान का यह चित्र न्यूजीलैंड की चित्रकार प्रभा माल्या ने बनाया गया है। बता दें कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ब्रिटिश शासन से लड़ते हुए शहीद हो गई थीं। जिसके लिए उन्हें हमेशा स्वतंत्रता सेनानियों के साथ याद किया जाता है।
सुभद्रा कुमारी चौहान पर निबंध (Essay On Subhadra Kumari Chauhan)
सुभद्रा कुमारी चौहान अग्रणी लेखक और स्वतंत्रता सेनानी है। सुभद्रा कुमारी चौहान उस युग में एक महान कवि और स्वतंत्रता सेनानी बनी, जब स्वतंत्रता आंदोलनों में पुरुषों का वर्चस्व था। सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपनी कविताओं से स्वतंत्रता की लड़ाई में देशवासियों का मनोबल बढ़ाया और लिंक, जाति, रंग भेद और नस्लभेद के खिलाफ आवाज उठाई।
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 को प्रयागराज के निहालपुर में हुआ था। सुभद्रा कुमारी ने क्रॉस्टवेट गर्ल्स स्कूल में पढ़ाई की और 1919 में मिडिल-स्कूल पास किया। मात्र 16 साल की उम्र में सुभद्रा कुमारी चौहान का विवाह खंडवा के ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान कर दिया गया। सुभद्रा कुमारी चौहान और उनके पति लक्ष्मण सिंह 1921 में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन का हिस्सा बने। संघर्ष के दौरान दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। सुभद्रा कुमार को नागपुर जेल भेजा गया और वह भारत की पहली महिला सत्याग्रही बन गई।
सुभद्रा कुमारी चौहान ने जेल से भी स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेना जारी रखा। बाद में जब उनको रिहा किया गया तो वह सन 1942 में महात्मा गांधी के आंदोलनों में शामिल हुईं। 1923 से 1942 के बीच वह विधान सभा की सदस्य भी बनी। एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में, सुभद्रा कुमारी चौहान का संघर्ष भारत की आजादी का दिन 15 अगस्त 1947 तक जारी रहा। भारत का पहला स्वतंत्रता दिवस के एक साल बाद 15 फरवरी 1948 में मध्य प्रदेश में एक कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई।
वह विधानसभा के एक सत्र में भाग लेने के बाद नागपुर से जबलपुर जा रही थीं। देश ने उनके नाम पर एक तट रक्षक जहाज का नामकरण कर उन्हें सम्मानित किया था और राज्य ने जबलपुर में एक प्रतिमा लगाकर ऐसा किया था।