Odisha Foundation Day 2023 1 अप्रैल को उत्कल दिवस क्यों मनाया जाता है जानिए FACTS

Odisha Foundation Day 2023 Utkal Divas: ओडिशा को भगवान जगन्नाथ की भूमि कहा जाता है। ओडिशा में हर साल 1 अप्रैल को उत्कल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष 2023 में ओडिशा में 88वां स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। भारत के अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्त करने से एक दशक पहले 1936 में ओडिशा भारतीय भूगोलीय इतिहास का हिस्सा बना। ओडिशा के अस्तित्व में आने के साथ ही भगवान जगन्नाथ की कथा भी साथ जुड़ी थी। ओडिशा दिवस को उत्कल दिवस भी कहा जाता है। उत्कल का अर्थ गौरवशाली और अद्भुत देश है। आपको बता दें कि लोकसभा में वर्ष 2011 में उड़ीसा विधेयक और संविधान विधेयक संशोधन के बाद उड़ीसा का नाम बदलकर ओडिशा कर दिया गया।

ओडिशा अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर के लिए भी जाना जाता है। यहां भगवान जगन्नाथ भी बसते हैं और बौद्ध विरासत की भी गाथायें जुड़ी हुई है। हालांकि आज ओडिशा की पहचान पर्यटन की दृष्टिकोण से भी बेहद ऊंचा उठ चुका है। हर साल यात्रा और पर्यटन के लिए लाखों की संख्या में पर्यटक ओडिशा आते हैं। अपने स्थापना काल से लेकर अब तक ओडिशा भारत के एक श्रेष्ठ राज्य के रूप में उभरा है। प्राकृतिक सौंदर्य और समुद्रीतटों से ओडिशा राज्य की खूबसूरती और अधिक बढ़ जाती है। पूराने मंदिरों की कहानियां, कलाकृति, राजा-महाराजाओं के किस्से, मैंग्रोव वन, एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील-चिल्का, राज्य को एक अलग पहचान दिलाती है।

आइए जानते हैं ओडिश दिवस से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में।

Odisha Foundation Day 2023 1 अप्रैल को उत्कल दिवस क्यों मनाया जाता है जानिए FACTS

1) आजादी से पहले ब्रिटिश शासन के तहत ओडिशा बंगाल प्रेसीडेंसी का एक हिस्सा था। तीन सदियों के लंबे संघर्ष के बाद 1 अप्रैल 1936 को राज्य बंगाल और बिहार प्रांत से अलग हो गया था। तब से 1 अप्रैल को ओडिशा स्थापना दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। क्योंकि इस दिन मद्रास प्रेसीडेंसी के कुछ हिस्सों को अलग-अलग राज्यों में विभाजित किया गया था।

2) इस क्षेत्र के लोग इस दिन को ओडिशा दिवस के रूप में मनाते हैं, जिसे आमतौर पर उत्कल दिवस के रूप में जाना जाता है। ओडिश दिवस मनाने का उद्देश्य एक अलग राजनीतिक पहचान हासिल करने, निवासियों के बीच एकता की भावना को प्रोत्साहित करने और अपने संघर्ष की याद को बरकारर रखेने के लिए हर साल 1 अप्रैल को ओडिश दिवस यानी उत्कल दिवस मनाया जाता है।

3) कुछ लोगों का मत है कि ओडिशा दिवस को विश्व मिलन दिवस के रूप में भी जाना जाता है। लेकिन इस दिन राज्य सरकार की तरफ से किसी प्रकार का अवकाश नहीं होता। ओडिशा अपनी गौरवशाली संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध है। महाभारत में इस राज्य का बार-बार उल्लेख किया गया है। प्राचीन इतिहास में इसे कलिंग, उत्कल, उद्र, तोशाली और कोसल जैसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है।

4) राज्य को अपना नया नाम ओडरा जनजाति से मिला जो ओडिशा के मध्य क्षेत्र में रहती थी। राज्य को मूल रूप से उड़ीसा कहा जाता था, लेकिन मार्च 2011 में लोकसभा द्वारा उड़ीसा विधेयक और संविधान विधेयक पारित करने के बाद इसका नाम उड़ीसा से ओडिसा कर दिया गया था। इतिहासकारों के अनुसार, ओडिशा पर अलग-अलग समय की अवधि के दौरान अलग-अलग राजवंशों का शासन था।

5) प्राचीन काल में यह प्रसिद्ध कलिंग साम्राज्य का केंद्र बन गया था, क्योंकि मगध राजा अशोक ने अपने मौर्य शासन का विस्तार करने के लिए 261 ईसा पूर्व में इस पर आक्रमण किया था। प्रसिद्ध मौर्य वंश के शासन में राज्य लगभग एक शताब्दी तक काफी फला-फूला। मौर्य के शासन के बाद, राजा खारवेल ने ओडिशा पर शासन करना शुरू किया।

6) सन 1576 में ओडिशा मुगल साम्राज्य के अधीन हो गया था और तटीय क्षेत्र के कई हिस्सों पर 17वीं शताब्दी के मध्य में मराठों ने कब्जा कर लिया। कर्नाटक युद्धों के बाद, उड़ीसा के दक्षिणी तट को ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा मद्रास प्रेसीडेंसी के साथ समेकित किया गया था। 1912 में बिहार और उड़ीसा अलग प्रांत बन गए।

7) आधुनिक समय के उड़ीसा को 1936 में उड़िया बोलने वाले लोगों के लिए एक प्रांत के रूप में बनाया गया। सर जॉन हुब्बक को राज्य का पहला राज्यपाल घोषित किया गया था। उत्कल गौरबा, मधुसूदन दास, उत्कल मणि, गोपबंधु दास, फकीर मोहन सेनापति, पंडिता नीलकंठ दास जैसे उल्लेखनीय नेताओं ने राज्य को एक स्वतंत्र पहचान हासिल करने के लिए आंदोलन शुरू किया।

8) ओडिशा कई हिंदुओं के लिए धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व की भूमि भी है, क्योंकि यहां कई मंदिर भी स्थापित हैं। इनमें सबसे अधिक और सबसे प्राचीन मंदिर पुरी में जगन्नाथ मंदिर स्थापित है। इस मंदिर का निर्माण 1078 में किया गया था। यह हिंदू का प्रमुख तीरथ स्थल है। यहां हर साल 'रथ यात्रा' या 'रथ महोत्सव' भी मनाया जाता है।

ओडिशा दिवस या उत्कल दिवस 2023 का थीम क्या है?

ओडिशा दिवस या उत्कल दिवस 2023 का थीम उड़िया संस्कृति और विरासत का जश्न है। इसके तहत ओडिया भाषा, कला, नृत्य, साहित्य और संस्कृति के प्रति लोगों को जागरूकता फैलाना है। इस थीम के माध्यम से लोगों को ओडिशा की संस्कृति के प्रति लोगों को प्रोत्साहित भी किया जाएगा। इस थीम का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्र जैसे वास्तुकला, मूर्तिकला, नृत्यकला, विज्ञान और दर्शन में ओडिशा के योगदानों को उल्लेखित करना है।

ओडिशा अतुल्य भारत का प्रमुख हिस्सा क्यों है?

ओडिशा राज्य को अतुल्य भारत की जान कहा जाता है, क्योंकि ओडिशा की खूबसूरती राज्य की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत के साथ ही ऐतिहासिक धरोहर पर टिकी हुई है। यहां पहाड़ियां, जल प्रपात, प्रकृति की छटा लिए राज्य की सुंदरता में चार चांद लगा रहे हैं। यात्रा के प्रति उत्साही पर्यटकों के लिए यह राज्य भारत के कुछ चुनिंदा राज्यों में से एक माना जाता है। यदि आप भारत की ऐतिहासिक विरासत, सांस्कृतिक धरोहर को करीब से जानने और पर्यावरण व प्रकृति के अति सुंदर दृश्यों को देखने की चाह रखते हैं, तो आपको ओडिशा अवश्य जाना चाहिए।

ओडिशा राज्य प्रकृति के कुछ बेहतरीन उदाहरण पेश करता है। एक ओर यहां मंत्रमुग्ध करने वाली चिल्का झील है, तो दूसरी ओर 480 किमी के विशाल समुद्र तट हैं। ओडिशा झरने, झील, जलप्रपात से भरे हैं। सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान में आपको राज्य के व्यापक रूप से ज्ञात वन्यजीव देखने को मिलेंगे, जबकि ओलिव रिडले समुद्र तट इसके विविध वन्य जीवन का एक और उदाहरण है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखें तो राज्य पुरी में विश्व प्रसिद्ध श्री जगन्नाथ मंदिर के अलावा अन्य महान धार्मिक स्थल और मंदिर मौजूद हैं। कोणार्क, सदियों पुराना सूर्य मंदिर है। यहां सूर्य देवता की पूजा और अराधना की जाती है। यहां पूर्वी भारत का सबसे बड़ा बौद्ध भी मंदिर है, जिसे पद्मसंभव महाविहार मठ कहा जाता है। भुवनेश्वर में आपको शानदार लिंगराज मंदिर मिलेगा, जिसका निर्माण 1000 ईस्वी में हुआ था।

लगभग 480 किमी तटीय रेखा के लिए ओडिशा में कई आकर्षक समुद्रतट आपको देखने को मिलेंगे। यहां सबसे लोकप्रिय समुद्रीतट पुरी है, जहां भगवान जगन्नाथ भी बसते हैं। ऑफबीट समुद्रीचट की बात करें तो बड़ी संख्या में पर्यटक गोपालपुर बीच आते हैं। इसके बाद शानदार चंद्रभागा बीच है जो कोणार्क मंदिर के करीब है। यह ब्लू फ्लैग सर्टिफिक्ट प्राप्त करने वाला भारत का पहला समुद्र तट है, जिसने पर्यावरण के अनुकूल और स्वच्छ समुद्र तट होने का टैग हासिल किया है। अपने जनजातीय संस्कृती के लिए भी ओडिशा प्रसिद्ध है। यह राज्य संथाल, बोंडा, भूमिया, कोंध आदि जनजातियों का घर माना जाता है। प्रत्येक जनजाति की अपनी लोक कला, लोक नृत्य, संगीत और अपने रहन सहन के तौर तरीके हैं। राज्य की संस्कृति वास्तव में इतनी विविध है कि इस चंद शब्दों में बता पाना असंभव है।

शिक्षा के क्षेत्र में ओडिशा

अगर बात शिक्षा के क्षेत्र की करें तो ओडिशा राज्य में कई केंद्रीय विश्वविद्यालय, राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय और निजी विश्वविद्यालय मौजूद है। यहां कई विश्वविद्यालय हैं जहां दिश के विभिन्न भागों से छात्र अपना भविष्य बनाने के लिए आते हैं। आइए जाने ओडिशा के शिक्षण संस्थानों के बारे-

  • केंद्रीय विश्वविद्यालय -1
  • राज्य विश्वविद्यालय -18
  • निजी विश्वविद्यालय-4
  • इंजीनियरिंग कॉलेज (एआईसीटीई द्वारा अनुमोदित)-227
  • औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान 100
  • मैनेजमेंट कॉलेज - 66
  • आर्किटेक्चर कॉलेज -5
  • फार्मेसी कॉलेज 32

यूपीएससी समेत अन्य राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा में ओडिशा के बारे पूछे जाने वाले प्रश्न-

ओडिशा की राजधानी क्या है?
ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर है। 1936 में बिहार से अलग होने के बाद उस समय कटक को ओडिशा की राजधानी बनाया गया था। बाद में 19 अगस्त 1949 के दिन भुवनेश्वर को ओडिशा की राजधानी घोषित किया गया।

ओडिशा या उड़ीसा?
मध्यकाल की शुरुआत से ओडिशा राज्य को उड़ीसा के नाम से ही जाना जाता था। आपको बता दें कि लोकसभा में वर्ष 2011 में उड़ीसा विधेयक और संविधान विधेयक संशोधन के बाद उड़ीसा का नाम बदलकर ओडिशा कर दिया गया।

ओडिशा की आधिकारिक भाषा क्या है?
ओडिशा नाम की उत्पत्ति संस्कृत के ओड्र शब्द से हुई है। भागीरथ वंश के राजा ओड ने अपने नाम के आधार पर ओड्र राजधानी की स्थापना की। यहां की आधिकारिक राज भाषा ओडिया है।

ओडिशा राज्य में कौन सा तीर्थ स्थल है?
ओडिशा राज्य में जगन्नाथ पुरी को भारत के चार तीर्थ स्थलों में से एक कहा जाता है। यहां भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और बहन सुभद्रा की पूजा अर्चना की जाती है। यहां उनकी काठ की मूर्तियों की पूजा की जाती है और हर 12 साल के अंतर में मूर्तियां बदली जाती है।

ओडिशा में कौन से मंदिर में सूर्य देव की पूजा की जाती है?
बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित कोणार्क मंदिर में सूर्य देव की पूजा की जाती है। इस मंदिर की स्थापना 13वीं शताब्दी के आस पास की गई थी। इस मंदिर की बनावट मुख्य मंदिर से अलग यहां 24 पहिए का एक रथ है, जिसे सात घोड़ों का एक समूह खींच रहा है। यह मंदिर के मुख्य आकर्षण में से एक है।

ओडिशा राज्य की स्थापना कब हुई?
ओडिशा राज्य की स्थापना 1936 में हुई।

ओडिशा में खारे पानी के झील का नाम क्या हैं?
ओडिशा में एशिया के सबसे बड़े खारे पानी के झाल का नाम चिल्का है। यह राजधानी भुवनेश्वर से लगभग 61 किमी है। यहां प्रति वर्ष लाखों की संख्या में सैलानी आते हैं।

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English summary
Odisha Foundation Day 2023 Theme History Significance Essay Speech On Utkal Divas Facts: Odisha is called the land of Lord Jagannath. Every year 1st April is celebrated as Utkal Divas in Odisha. In this year 2023, the 88th Foundation Day is being celebrated in Odisha. Odisha was established in the year 1936.
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