पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ऐसे पहले राष्ट्रपति है, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान दो बार भारत का दौरा किया, पहली बार वे 2010 में भारत आए थे जब मनमोहन सिंह प्रधान मंत्री थे और फिर दूसरी बार वे जनवरी 2015 में गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में भारत आए थे जब नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री थे। हालांकि, नरेंद्र मोदी अभी भी भारत के प्रधानमंत्री है।
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा नवंबर 2010 में जब पहली बार भारत आए थे तो उन्होंने भारतीय संसद में अपने संबोधन के दौरान डॉ भीम राव अम्बेडकर पर कुछ ऐसा कहा था, जिसे सुनने के बाद पूरा संसद हॉल तालियों से गूंज उठा था। तो चलिए जानते हैं कि उन्होंने ऐसा क्या था?
कौन थे डॉ भीम राव अंबेडकर?
डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर, जिन्हें बाबासाहेब अम्बेडकर के नाम से जाना जाता है, एक न्यायविद, समाज सुधारक और राजनीतिज्ञ थे। उन्हें भारतीय संविधान के जनक के रूप में भी जाना जाता है। एक प्रसिद्ध राजनेता और एक प्रसिद्ध न्यायविद्, अस्पृश्यता और जाति प्रतिबंध जैसी सामाजिक बुराइयों को मिटाने के उनके प्रयास उल्लेखनीय थे। अपने पूरे जीवन में, उन्होंने दलितों और अन्य सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।
अम्बेडकर को जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में भारत के पहले कानून मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया था। बी आर अंबेडकर ने भारत के वित्त आयोग की भी स्थापना की थी।
भीम राव अंबेडकर जयंती कब मनाई जाती है?
अम्बेडकर जयंती भारत में हर साल 14 अप्रैल को डॉ बी आर अंबेडकर के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। इस शुभ दिन पर, हम भारतीय उन्हें भारतीय कानून और संविधान में उनके द्वारा दिए गए योगदान के लिए सम्मान और श्रद्धांजलि देते हैं। दलित समाज के लोग बी आर अंबेडकर को अपना भगवान मानते हैं क्योंकि वह भारत में अस्पृश्यता के उन्मूलन के प्रमुख कारणों में से एक हैं। तो चलिए जानते हैं कि
ओबामा ने अंबेडकर पर ऐसा क्या कहा कि तालियों से गूंज उठा हाल
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने नवंबर 2010 में भारतीय संसद में अपने संबोधन में डॉ. अम्बेडकर को भारत में उनके असाधारण योगदान के लिए मान्यता दी थी। यहां उन्हें भाषण का हिस्सा दिया गया है।
"Every Person can Fulfill their god given potential Just as Dalit, Dalit like Dr. Ambedkar could lift himself up and pen the words of the Constitution that proctects the rights of all Indians. Every Person Deserve the same chance to live in security and dignity to get an education to find work."
प्रत्येक व्यक्ति अपनी ईश्वर प्रदत्त क्षमता को पूरा कर सकता है जैसे दलित ने खुद को ऊपर उठाया, डॉ. अम्बेडकर जैसे दलित और सभी भारतीयों के अधिकारों की रक्षा करने वाले संविधान के शब्दों को कलमबद्ध किया। प्रत्येक व्यक्ति को काम खोजने के लिए, शिक्षा प्राप्त करने के लिए, सुरक्षा और सम्मान से जीने का समान अवसर मिलना चाहिए।
जाति उन्मूलन में डॉ अम्बेडकर का योगदान
जैसा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ अम्बेडकर ने ईश्वर द्वारा प्रदान की गई क्षमता का उपयोग किया और दलितों के उत्थान के लिए अपना अहम योगदान दिया। डॉ भीमराव अम्बेडकर ने अपने जीवन के उद्देश्य को पूरा किया। बाबा साहब अम्बेडकर ने देश में जाति उन्मूलन और सामाजिक व्यवस्था का गहन अध्ययन किया था। उनका मानना था कि भारत के विकास के रास्ते को अबरोध करने के लिए जाति व्यवस्था पूर्ण रूप से जिम्मेदार है। भारतीय समाज में सामाजिक सौहाद्रता को नष्ट करने के लिए जाति व्यवस्था का उन्मूलन करना अत्यंत आवश्यक है।
वे न केवल सामजिक और धार्मिक विचारधाराओं की आग में जलें, बल्कि उनको स्वयं भी सामाजिक शोषण का शिकार बनना पड़ा था। सामाजिक-जातिगत भेदभाव के खिलाफ उन्होंने जीवन भर अपनी लड़ाई जारी रखी। धार्मिक और सामाजिक भेदभाव को दूर करने के लिए उन्होंने कई आंदोलन किये, और लोगों में जागरूकता फैलाई। आज पूरे विश्व में डॉ अम्बेडकर को अस्पृश्यता, महिलाओं से भेदभाव, सामाजिक सौहाद्रता, धार्मिक अशांति का विरोध करने, आर्थिक विकास और स्वस्थ राजनीतिक परिवेश की दिशा में उनके प्रयासों के लिए जाना जाता है।
भीमराव अम्बेडकर की मृत्यु कब और कैसे हुई?
भारत के पहले कानून मंत्री और भारत के संविधान के मुख्य वास्तुकार डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर का निधन 6 दिसंबर 1956 को अपने घर दिल्ली में हुआ।
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