अभी हाल ही में भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन - इसरो ने एयरोस्पेस स्टार्टअप अग्निकुल कॉसमॉस द्वारा विकसित रॉकेट इंजन के सफल परीक्षण को लेकर जानकारी दी है। इसरो ने इसकी जानकारी बीते मंगलवार को दी थी। ये पहली बार हुआ है कि निजी कंपनी द्वारा बनाया किसी रॉकेट का सफल प्रपेक्षण किया गया है। इसरो द्वारा अग्निकुल कॉसमॉस का परिक्षण इसरो के प्रमुख केंद्र तिरुवंतपुरण में स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में किया गया था। ये परिक्षण दुनिया के पहले 3डी प्रिंटेड सिंगल-पीस इंजन का था। साथ ही इसरो ने अपने एक बयान में कहा था कि ये इंजन अत्याधुनिक 3 डी प्रिंटिंग तकनीक के माध्यम से बनाया गया है और इसके निर्माण के लिए आईएनसीओएनईएल-718 की साम्रगी लगी है।
इस रॉकेट को 15 नवंबर 2022 को श्रीहरिकोटा में इसरो के लॉन्चपैड से लॉन्च किया जाएगा। ये मिशन स्काईरूट एयरोस्पेस का पहला मिशन है और इसका नाम प्रारंभ रखा गया है। मडिया से बात करते हुए स्काईरूट के सीईओ औह सह-संथापक ने रॉकेट लॉन्च का समय सुबह 11:30 बजे का बताया है। सभी इस रॉकेट लॉन्च का इंतजार कर रहे हैं।
अग्निकुल कॉसमॉस
अग्निकुल कॉसमॉस एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है जो भारतीय एयरोस्पेस निर्माता है। ये कंपनी आईआईटी मद्रास के राष्ट्रीय दहन अनुसंधान एंव विकास केंद्र में स्थित है। इस स्टार्ट अप कंपनी का लक्ष्य अग्निबाण जैसे स्वंय के छोटे लिफ्ट लॉन्च वाहनों का निर्माण करना और उन्हें लॉन्च करना है। ये ऐसे छोटे लिफ्ट वाहन का निर्माण करते हैं जो 700 किमी ऑर्बिट में 100 किलों का पेलोड रखने में सक्षम है।
इसरो और अग्निकुल के बीच साइन हुआ एमओयू
इस परिक्षण से पहले इसरो और अग्निकुल ने एक समझौते ज्ञापन पह हस्ताक्षर किया था। जिसके माध्यम से पूर्व इसरो सुविधाओं तक भारतीय अंतरिक्ष स्टार्ट-अप की इन-स्पेस के माध्यम से अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहनों की उप प्राणलियों और प्रणालियों के विकास और परीक्षण के लिए सुविधा और विशेषज्ञता हासिल हुई।
विक्रम साराभाई रॉकेट
रॉकेट के नाम की बारे में पूछे जाने पर स्काईरूट ने बताया है कि उसने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापन और भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक विक्रम साराभाई का नाम पर रॉकेट को दिया गया है। उन्हें बताया का विक्रम साराभाई के योगदान को ध्यान में रखते हुए और उन्हें श्रद्धांजली देने के लिए उनके नाम का प्रयोग किया गया है।
स्काईरूट एयरोस्पेस कंपनी की स्थापना
स्काईरूट एयरोस्पेस कंपनी की स्थापना वर्ष 2018 में हुई थी। यह भारत की पहली निजी एयरोस्पेस कंपनी है जो इसरो के साथ मिलकर कार्य कर रही है। इस कंपनी ने क्रायोजेनिक, हाइपरगोलिका-लिक्विड और सॉलिड फ्यूल आधारित रॉकेट इंजन का निर्माण और परिक्षण किया है और इस इंजने के निर्माण में 3 डी प्रिटिंग तकनीकों के उपयोग से किया गया है।
इसी के साथ आपको बता दें की पिछले काल सीरिज -ए से स्काईरूट एयोरस्पेस ने कुल 11 मिलियन डॉलर एकत्रित किए थें। जो इस साल बढ़ कर 15 मिलनयन हो गए। इस साल सीरिज-बी फाइनेंसिंग में सितंबर तक की अवधि में उन्हें 15 मिलियन डॉलर की राशि एकत्रित की है।
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