What is No Confidence Motion/ Motion of No Confidence: मणिपुर जातीय हिंसा को अब 3 महीने का समय हो गया है। 3 मई 2023 से मणिपुर में हिंसा की स्थिति बनी हुई है। इस हिंसा में अभी तक में 181 लोगों की मृत्यु हो चुकी है और 300 लोग घायल है और लगभग 54 हजार से अधिक लोगों को विस्थापित होना पड़ा है। बता दें ये हिंसा बहुसंख्यक मैतेई लोगों और पास की पहाड़ियों के कुकी आदिवासी के बीच हुई थी।
मणिपुर में हो रही हिंसा ने सबका ध्यान अपनी ओर खीच रखा है। इस स्थिति पर केंद्र सरकार द्वारा चुपी साधे रहने पर विपक्ष विरोध प्रदर्शन कर रही है। इसी को लेकर विपक्ष ने बीजेपी सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव रखा है, जिसे लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा 26 जुलाई को सरकार के खिलाफ जारी प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।
बता दें कि इस अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस कांग्रेस के सांसद गौरव गोगोई ने लोकसभा में दिया था। ऐसी स्थिति में कई लोगों का सवाल ये है कि अविश्वास प्रस्ताव आखिर है क्या? क्या बहुमत से बनी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जा सकता है? इसका मुख्य मकसद क्या है? इससे पहले भी कभी किसी सरकार के लिए अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था? आदि। इस प्रकार के प्रश्नों के उत्तर आज सभी के मन में उठ रहे हैं और हो भी क्यों न, मुद्दा इतना गर्माया हुआ जो है, तो आइए आपको इन सभी प्रश्नों के उत्तर दें और इस अविश्वास प्रस्ताव के बारे में बताएं...
अविश्वास प्रस्ताव क्या है? (What is Motion of No Confidence)
अविश्वास प्रस्ताव जिसे अविश्वास मत, विश्वावस प्रस्ताव या विश्वास मत भी कहा जाता है, ये एक प्रकार का बयान या वोट होता है, जिसके माध्यम से ये देखा जाता है कि क्या कोई सरकार अपनी जिम्मेदारियों की स्थिति में है, क्या उस पद को धारण करने के लिए अभी भी उपयुक्त है कि नहीं। भारत में अविश्वास प्रस्ताव मुख्य तौर पर यह दर्शाता है कि संसद के एक या अधिक सदस्यों ने नियुक्त की गई सरकार में अपना विश्वास खो दिया है। ये प्रस्ताव सरकार के शासन करने की क्षमता, और बहुमत को चुनौती देने की अनुमति प्रदान करता है। अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा तब ही स्वीकार किया जाता है, जब इसके समर्थन में कम से कम 50 सदस्य हो।
आमतौर पर अविश्वास प्रस्ताव विपक्षी दलों द्वारा नियुक्त सरकार के खिलाफ पेश किया जाता है। इस स्थिति में सरकार को लोकसभा में आकर विश्वास प्राप्त करना होता है, जिसके लिए वोटिंग की जाती है। यदि प्रस्ताव के समर्थन में अधिक वोट होते हैं और सरकार अपना बहुमत साबित नहीं कर पाती है तो उसे इस्तीफा देना होता है।
क्या बहुमत की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जा सकता है
जी हां, कई बार अविश्वास प्रस्ताव केवल सरकार को हटाने या गिराने के लिए पेश नहीं किया जाता। ये कई निश्चित विषयों और महत्वपूर्ण मुद्दे पर सरकार का ध्यान खींचने और उन पर चर्चा करने के लिए पेश किया जाता है। ताकि सदन में इन मुद्दों को उठाया जाए और नियुक्त सरकार से प्रश्न किए जा सकें और उनके आगे कदमों के बारे में जाना जा सके।
जैसा की इस बार देखा जा रहा है की मणिपुर हिंसा पर सरकार से चर्चा करने के लिए और उसका ध्यान इस मुद्दे पर केंद्रीत करने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में पेश किया गया है।
विपक्ष ये जानता है कि उसके पास संख्या नहीं है लेकिन फिर भी अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया है ताकि मणिपुर की स्थिति को समझ कर उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए वह सरकार पर दबाव डाल सके।
अविश्वास प्रस्ताव किसके द्वारा पेश किया गया है
लोकसभा में I.N.D.I.A गठबंधन के विपक्षी दलों की ओर से नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया है, जिसे कांग्रेस के सांसद गौरव गोगोई द्वारा रखा गया है।
अविश्वास प्राप्त करने के लिए कितने सदस्यों का समर्थन है जरूरी
लोकसभा में पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव को कम से कम 50 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता है, तभी उसे स्वीकार किया जाएगा। इसका अर्थ है कि मोदी सरकार के खिलाफ इस अविश्वास प्रस्ताव को 50 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। यही कारण है कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा इसे बुधवार को स्वीकार कर लिया गया है।
किस मुद्दे पर पेश किया गया अविश्वास प्रस्ताव
इस मोर्चे में शामिल वरिष्ठ नेताओं ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि 26 दलों ने गठबंधन पर मोदी सरकार को मणिपुर हिंसा पर संसद में बोलने के लिए इस प्रस्ताव को लाने का फैसला लिया था। जैसे कि हमने आपको पहले ही बताया कि हर बार अविश्वास प्रस्ताव केवल सरकार को गिराने या हटाने के लिए नहीं होता है। विपक्षी दल द्वारा किसी महत्वपूर्ण विषय पर केंद्र सरकार का ध्यान खिचने के लिए भी अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जाता है। इस बार मुद्दा मणिपुर हिंसा का है, जिसके लिए इस प्रस्ताव को लाने का फैसला लिया गया है, ताकि सरकार से इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा की जा सकें।
क्या सरकार को अविश्वास प्रस्ताव से चिंतित होने की आवश्यकता है
जैसा कि आप सभी जानते है एनडीए सरकार बहुमत की सरकार है और लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लागू करने के लिए 272 का आंकड़ा चाहिए और एनडीए के पास 331 सदस्य है, जिसमें अकेले बीजेपी के पास 303 सांसद है। ऐसी स्थिति में सरकार के खिलाफ प्रस्वात पारित होना मुश्किल है क्योंकि सरकार के पास बहुमत साबित करने के लिए पर्याप्त संख्या है।
आज से पहले कितने अविश्वास प्रस्ताव लाए गए है
सबसे पहला अविश्वास प्रस्ताव 1963 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार के लिए लाया गया था। ये अविश्वास प्रस्ताव आचार्य जेबी कृपलानी द्वारा पेश किया गया था। मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को छोड़ कर अभी तक संसद में 26 अविश्वास प्रस्ताव लाए जा चुके है।
मोदी सरकार के खिलाफ पहले भी पेश किया गया अविश्वास प्रस्ताव
20 जुलाई 2018 को मोदी सरकार के खिलाफ पहली बार अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था। लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर एनडीए ने प्रचंड बहुमत के साथ जीत तो हासिल की लेकिन प्रस्ताव के पक्ष में 126 सदस्यों के होने के कारण विपक्षी द्वारा कृषि संकट, धीमी आर्थिक वृद्धि और मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं के तीखे वार भी झेलने पड़े।
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