List of World Population Day themes from 1996 to till date: दुनिया की आबादी 8 बिलियन से अधिक हो गई है। ये हम नहीं कह रह, बल्कि ये डेटा वर्ल्डोमीटर दे रहा है। दुनिया की आधी से अधिक आबादी एशिया में है। चीन और भारत दो सबसे अधिक आबादी वाले देश हैं, जिनकी जनसंख्या 1.4 अरब से अधिक है। निरंतर बढ़ती वैश्विक जनसंख्या एक महत्वपूर्ण विषय है।
वैश्विक जनसंख्या वृद्धि के विषय पर जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाता है। विश्व जनसंख्या दिवस एक महत्वपूर्ण वैश्विक आयोजन है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य दुनिया की बढ़ती आबादी द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों और अवसरों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा विश्व जनसंख्या दिवस मनाये जाने का निर्णय लिया गया। इस दिन समग्र विकास योजनाओं और कार्यक्रमों के संदर्भ में जनसंख्या मुद्दों के महत्व पर ध्यान आकर्षित किया जाता है।
विश्व जनसंख्या दिवस का प्राथमिक उद्देश्य जनसंख्या से संबंधित मुद्दों की मौजूदा हालातों के मद्देनजर इसके तात्कालिक महत्व को उजागर करना है। इस दिवस विशेष रूप से परिवार नियोजन, लैंगिक समानता, गरीबी, मातृ स्वास्थ्य और मानवाधिकार के मुद्दों पर बात की जाती है। तमाम अनुमानों के अनुसार, तेजी से बढ़ती वैश्विक जनसंख्या संसाधनों और बुनियादी ढांचे पर दबाव डाल सकती है और भविष्य में कई देशों में संसाधनों की कमी आ सकती है।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रत्येक वर्ष विश्व जनसंख्या दिवस की थीम तय किया जाता है। यह उस वर्ष दुनिया भर में बढ़ती जनसंख्या के मद्देनजर विभिन्न कारकों पर पड़ने वाले अच्छे और बुरे प्रभाव पर केंद्रित होती है। यहां हम पिछले कुछ वर्षों में यूएन द्वारा निर्धारित विश्व जनसंख्या दिवस की थीम के बारे में बता रहे हैं। यूपीएससी, एसएससी, पीसीएस जैसी तमाम प्रतियोगी परीक्षा में उपस्थित होने वाले अभ्यर्थी परीक्षा की बेहतर तैयारी और वैश्विक मुद्दों पर अच्छी तैयारी के लिए इस लेख से सहयता ले सकते हैं। खासतौर पर यूपीएससी के उम्मीदवार मेन्स की तैयारी के लिए यहां से स्टडी मटेरियल ले सकते हैं।
विश्व जनसंख्या दिवस 2024 की थीम क्या है?
इस दिन की थीम हर साल बदलती है और इसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) के समन्वय में तय किया जाता है। इस साल विश्व जनसंख्या दिवस की थीम है 'किसी को पीछे न छोड़ें, सभी की गिनती करें।' संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, "पिछले 30 वर्षों में, हमने जनसंख्या डेटा एकत्र करने और उसका उपयोग करने के तरीके में सुधार किया है, जिससे बेहतर स्वास्थ्य सेवा और अधिकार प्राप्त हुए हैं। हालांकि, इनमें निम्न तबके या समुदायों का प्रतिनिधित्व अभी भी कम है। इस विश्व जनसंख्या दिवस पर, हम यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे कि सभी समूहों की गिनती की जाए और उन पर विशेष ध्यान दिया जाए। सभी के लिए प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए समावेशी डेटा सिस्टम के महत्व पर प्रकाश डाला जाए। जनसंख्या वृद्धि के अंतर्गत हर व्यक्ति मायने रखता है और हमारी सामूहिक प्रगति मानवता की पूरी विविधता को समझने पर निर्भर करती है।"
1996 से अब तक विश्व जनसंख्या दिवस के विषयों की सूची |List of World Population Day themes from 1996 to till date
विश्व जनसंख्या दिवस थीम (1996 - 2024)
1996: प्रजनन स्वास्थ्य और एड्स
1997: किशोर प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल
1998: किशोर गर्भधारण में कमी
1999: 6 बिलियन के दिन के लिए गिनती शुरू करें
2000: महिलाओं की जान बचाना
2001: जनसंख्या, पर्यावरण और विकास
2002: गरीबी, जनसंख्या और विकास
2003: एक बिलियन किशोर: स्वास्थ्य, सूचना और सेवाओं का अधिकार
2004: जनसंख्या और गरीबी: गरीबी कम करना और सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना
2005: समानता से सशक्तकरण (Equality Empowers)
यहां पढ़ें: World Population Day 2024: कब और क्यों मनाया जाता है विश्व जनसंख्या दिवस 2024?
2006: युवा होना कठिन है
2007: काम पर पुरुष (Men at Work)
2008: अपने परिवार की योजना बनाएँ, अपने भविष्य की योजना बनाएँ
2009: गरीबी से लड़ें: लड़कियों को शिक्षित करें
2010: खुद की गिनती करें: अपनी ज़रूरत के मुताबिक आवाज ऊठाएं
2011: 7 बिलियन पर दुनिया
2012: प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुँच
2013: किशोरावस्था में गर्भावस्था
2014: युवाओं में निवेश
2015: आपात स्थितियों में कमज़ोर आबादी
2016: किशोर लड़कियों में निवेश
2017: परिवार नियोजन: लोगों को सशक्त बनाना, विकासशील राष्ट्र
2018: परिवार नियोजन एक मानव अधिकार है
2019: ICPD के 25 साल: वादे को गति देना
2020: COVID-19 महामारी के बीच महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ्य और अधिकारों की सुरक्षा कैसे करें
2021: प्रजनन क्षमता पर COVID-19 महामारी का प्रभाव
2022: 8 बिलियन की दुनिया
2023: लैंगिक समानता की शक्ति को उजागर करना
2024: किसी को पीछे न छोड़ें, सभी की गिनती करें