Yearender 2020 Education Trends: कोरोनावायरस जैसी महामारी का असर साल 2020 में हर क्षेत्र में रहा है। इससे बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी प्रभावित हुए हैं और साथ ही उनकी पढ़ाई भी इससे प्रभावित हुई है। इस साल कोविड-19 की वजह से स्कूलों और कॉलेजों को बंद कर दिया गया था। लेकिन कई राज्यों में फिर से स्कूलों को खोला गया और कोरोनावॉयरस के संक्रमण को देखते हुए उन स्कूलों को भी फिर से बंद कर दिया गया। इसके अलावा कॉलेजो को भी पूरे साल यही हाल रहा है।
साल 2020 में पूरे साल स्कूलों में ऑनलाइन क्लास चली और घर से ही बच्चों के एक्जाम भी लिए गए। वहीं कॉलेजो में भी कुछ इसी तरह का हाल देखने को मिला। इसके अलावा कॉलेजो में तो परीक्षा की तारीख भी बार- बार बदली गई। जहां एक ओर स्कूल बंद होने के कारण बच्चों को स्कूल जाने का मौका नहीं मिला तो वहीं दूसरी और इस साल बच्चों को तकनीकी से जुड़ने का मौका भी मिला। इसके अलावा सरकार ने भी इस साल नई शिक्षा नीति लागू की है। जिससे बच्चों पर पढ़ाई का बोझ कम पड़े।
इस नई शिक्षा नीति से बोर्ड परीक्षा का भार कम किया जाएगा तो वहीं अब उच्च शिक्षा के लिए भी अब एक ही नियामक होगा।पढ़ाई बीच में छूटने पर भी अब पढ़ाई बेकार नहीं जाएगी।इस नई शिक्षा नीति के अनुसार ग्रेजुएशन में एक साल की पढ़ाई पूरी करने पर सर्टिफिकेट और दो साल की पढ़ाई पूरी करने पर डिप्लोमा सर्टिफिकेट दिया जाएगा। स्कूलों में भी 10+2 का खत्म करके 5+3+3+4 का फॉर्मेट शुरू किया जाएगा
अब स्कूलों में पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के 3 साल और कक्षा एक और कक्षा दो सहित फांउडेशन स्टेज शामिल होंगे। इन पांच सालों की पढ़ाई के लिए नया पाठ्यक्रम तैयार होगा। अगले साल का स्टेज 3 से 5 तक का होगा। इसके बाद 3 साल का मिडिल स्टेज आएगा यानी कक्षा 6 से 8 तक का स्टेज,छठी कक्षा से ही बच्चों को प्रोफेशनल और स्किल की शिक्षा दी जाएगी स्थानीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कराई जाएगी। जिससे बच्चों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो सके।
चौथा स्टेज कक्षा 9 से 12वीं तक होगा। जिसमें बच्चों को विषय चुनने की आजादी दी जाएगी। जिससे जो बच्चा 11 वीं कक्षा में फिजिक्स या कैमेस्ट्री पढ़ रहा है वह अब हिस्ट्री जैसे सब्जेक्ट भी पढ़ सकता है। वहीं छोटे बच्चों के लिए 5+3+3+4 के नए एजुकेशन सिस्टम में पहले पांच साल 3 से 8 साल तक के बच्चों के लिए होगा।वहीं उसके बाद 3 से 8 साल उसके बाद 11 से 14 साल और अंत में आखिरी 4 साल 14 से 18 साल के बच्चों के लिए होगा।
दसवीं और 12वीं की बोर्ड की परीक्षाओं में बदलाव किए जाएंगे। जैसे दो हिस्सों में परीक्षा कराना और ऑब्जेक्टिव प्रश्न होंगे।जिससे बच्चों पर दबाव कम रहेगा। पांचवीं तक के बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही शिक्षा दी जाएगी। वहीं अब एमफिल का कोर्स नई शिक्षा नीति के अनुसार निरस्त कर दिया गया है।
वहीं यूजीसी,एनसीटीई और एआईसीटीई को भी खत्म कर दिया गया है। नई शिक्षा नीति के अनुसार शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेस एग्जान का ऑफर दिया गया है।स्कूल और कॉलेजों के फीस के नियंत्रण के लिए भी तंत्र तैयार किया जाएगा। इसके अलावा भी नई शिक्षा में कई बदलाव किए गए हैं। जिससे पढ़ाई को और भी ज्यादा आसान बनाया जा सके।