Work Life Vs Personal Life: वर्क लाइफ और पर्सनल लाइफ को अलग-अलग रखना बहुत असान कार्य भी है और बहुत कठिन कार्य भी। अक्सर ही देखा जाता है कि लोग अपनी वर्क लाइफ जिसे आप प्रोफेशनल लाइफ भी कहते हैं, में इतना व्यस्त हो जाते हैं कि वह अपनी पर्सनल लाइफ को खो देते हैं और एक समय बाद वह बहुत फ्रस्ट्रेटेड महसूस करने लगते हैं।
वहीं कई लोग ऐसे हैं जो अपनी पर्सनल लाइफ में इतना उलझ जाते हैं कि अपनी प्रोफेशनल परफॉर्मेन्स खराब कर देते हैं या फिर काम को आवश्यक समय न दे पाने के कारण अनप्रोफेशनल कहलाने लगते हैं। वर्क लाइफ में ज्यादा खो जाने के कारण आप अपने करीबी लोगों से दूर होने लगते हैं और कम समय होने के कारण न केवल आप अपने लोगों को खोने लगते हैं बल्कि आप मानसिक तनाव का शिकार भी हो जाते हैं और डिप्रेशन में जाने लगते हैं।
ये सही है कि आप अपने कार्य को प्राथमिकता देते हैं, लेकिन एक रिफ्रेश माइंड के लिए आपको बाहर की दुनिया में कदम रखने की आवश्यकता है। वहीं अगर बात करें पर्सनल लाइफ की तो ऐसे लोग जो अपनी पर्सनल लाइफ को बहुत महत्व देते हैं लेकिन अपनी वर्क लाइफ को नहीं। वह चार दीवारी में बंद होकर रह जाते हैं। उनमें आत्मविश्वास के साथ "आउट ऑफ द बॉक्स" सोचने की क्षमता कम होने लगती है।
इस तरह के निम्नलिखित कारणों से लोग प्रोफेशनल लाइफ (वर्क लाइफ) और पर्सनल लाइफ में फर्क करना भूल जाते हैं। इन दोनों को अलग रखना ही आपकी सेहत के लिए फायदेमंद होगा। इससे आप अपने परिवार और अपने लिए भी समय निकाल पाएंगे और एक बेहतर माइंड सेट के साथ कार्य भी कर पाएंगे, जिसके चलते ऑफिस में आपकी परफॉर्मेन्स अच्छी रहेगी और घर और दोस्तों के साथ आपके संबंध भी। आज इस लेख के माध्यम से आपको बताएंगे कुछ टिप्स, जिसके प्रयोग कर आप भी अपनी वर्क लाइफ और पर्सनल लाइफ को बैलेंस कर पाएंगे।
वर्क लाइफ और पर्सनल लाइफ को ऐसे करें बैलेंस
1. अत्यावश्यक या महत्वपूर्ण (Urgent and Important)
अपनी वर्क लाइफ और पर्सनल लाइफ को बैलेंस करने के लिए महत्वपूर्ण और अत्यावश्यक कार्यों के बारे में समझें। क्या है जो महत्वपूर्ण लेकिन अति आवश्यक नहीं, क्या अत्यावश्यक है लेकिन महत्वपूर्ण नहीं, क्या अति आवश्यक है और महत्वपूर्ण भी और क्या दोनों ही नहीं है। ये जानना और इसके बारे में समझना आपके लिए जरूरी है। अक्सर ही लोग महत्वपूर्ण चीजों का अत्यावश्यक समझ लेते है। लेकिन आपको इनमें अंतर करने की आवश्यकता है। ताकि आप एक शेड्यूल तैयार कर सकें।
2. अपने पर्सनल कार्यों के लिए समय बांधें (Make Time For Your Personal Tasks)
नौकरी, पेशा करने वाले लोगों के लिए आवश्यक है कि पर्सनल लाइफ भी उतनी महत्वपूर्ण है जितनी कि वर्क लाइफ। अपने "मी-टाइम" (Me Time) की अहमियत को समझें। मी-टाइम में आप अपने पसंद के कार्य कर सकते हैं। किसी करीकुलर एक्टिविटी में एनरोल हो सकते हैं। जैसे पेंटिंग, डांस, संगीत, खाना बनाना, स्पोर्ट्स आदि। अपने दोस्तों और परिवार के साथ समय बिता कर उनके साथ रह सकते हैं। ये ज्यादा समय की मांग नहीं करते हैं लेकिन जितना समय भी दें अपने वर्क को दूर रख कर दें, ताकि आपके मी-टाइम में केवल आप हो न कि आपका काम और ऑफिसर की जिम्मेदारियां। ये अंतर आपके लिए समझना आवश्यक है।
3. टाइम मैनेजमेंट (Time Managment)
टाइम मैनेजमेंट आज कल सभी के लिए आवश्यक है चाहे वह किसी भी क्षेत्र से हो। पढ़ रहा हो या नौकरी कर रहा हो। टाइम को इस प्रकार मैनेज करें कि आप अपना तय कार्य अपने वर्किंग टाइम में ही पूरा कर पाएं। उसके बाद का समय आपका आपकी पर्सनल लाइफ के लिए हो। उसी प्रकार घर की उलझनों में फंसे रहने वाले के लिए है कि वह अपने पर्सनल वर्क के टाइम को मैनेज करें ताकि उनकी पर्सनल लाइफ उनकी वर्क लाइफ पर प्रभाव न डाले। अगर आप टाइम को मैनेज नहीं करते हैं तो ऐसी स्थिति में आप दिन रात काम ही करते रह जाएंगे और आपकी पर्सनल लाइफ नहीं बचेगी।
4. ऑफिस का कार्य घर पर न करें (Do Not Do Office Work at Home)
अक्सर ही आपने देखा है कि कई लोग अपने ऑफिस का काम घर लेके आ जाते हैं तो कई लोग ऑफिस में बैठक कर अपनी पर्सनल समस्याओं के बारे में बात करते हैं या उसका हल निकालने का प्रयास करते हैं। ये आपकी दोनों लाइफ पर निगेटिव प्रभाव डालता है। घर पर ऑफिस का कार्य करने के कारण न केवल आप अपने परिवार को समय नहीं दे पाते हैं बल्कि आप अपनी लाइफ के कुछ महत्वपूर्ण पलों से भी दूर हो जाते हैं और इससे आपके परिवार को भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
5. पर्सनल परेशानियों को न करें ऑफिस में शेयर (Do not Share Personal Problems in The Office)
आपने अक्सर ही लोगों को अपने को-वर्कर से पर्सनल परेशानियों को शेयर करते हुए देखा होगा। ये सही नहीं है ऐसा करने से आप अपनी वर्क परफॉर्मेन्स खराब करते हैं। लोगों को लगता है कि आप अनप्रोफेशनल है। ऐसे स्थिति में आपका द्वारा किया गया अच्छा काम पर भी आपको जज किया जाता है। आप ऑफिस गॉसिप का भी शिकार हो सकते हैं और ये आपकी मानसिक स्थिति के लिए अच्छा नहीं होगा।
6. फोन कॉल से रहें दूर (Avoid Phone Calls)
फोन कॉल सभी को एक साथ जोड़ने का एक महत्वपूर्ण साधन है। आज सभी पर्सनल और प्रोफेशनल कार्य फोन के बिना नहीं किए जा सकते हैं। वर्क लाइफ और प्रोफेशनल लाइफ को बैलेंस करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि आप वर्किंग स्पेस में पर्सनल फोन कॉल से दूर रहें और पर्सनल स्पेस में ऑफिस फोन कॉल से। अक्सर ही देखा जाता है कि लोग ऑफिस में बैठ कर घंटों तक पर्सनल कॉल पर लगे रहते हैं। वहीं घर पर कई बार ऑफिस कॉल आने के कारण आपका दिमाग वापस काम पर चला जाता है। ये सबसे महत्वपूर्ण है कि यहां आप अत्यावश्य और महत्वपूर्ण में अंतर करना समझें ताकि आप इस स्थिति से बच सकें।
7. "ना" बोलना सीखें (Learn To Speak "NO")
वर्क लाइफ को सीमित करने के लिए "ना" बोलना आवश्यक है। यदि आप हमेशा "हां" ही बोलेंगे तो आप सुबह से रात और रात से सुबह तक काम करते ही रह जाएंगे। इसलिए आपको कब और कहां "ना" बोलना है उसके बारे में सोचना आवश्यक है। ज्यादा काम दिखाने के लिए या "हां" बोलने की खराब आदत और जोश में हम अक्सर ही अपनी सीमाओं से ज्यादा काम करते हैं और इसका फायदा कई लोग उठाते हैं, जिसके कारण आपकी पर्सनल लाइफ प्रभावित होती है। अपने काम को काम की तरह लेना आवश्यक है और जहां जरूरत हो वहां "ना" बोलें और जहां जरूरत हो वहां "हां" बोलें।
8. वर्क लाइफ सीमाएं स्थापित करें (Establish Work Life Boundaries)
फोन और ई-मेल या अन्य टेक्नोलॉजी ऐसी वस्तु है जो आपको घर पर रह कर भी कार्य करने के लिए मजबूर कर देती हैं। हमें अपने काम से प्यार है इस कारण हम कभी काम से नहीं भाग पाएंगे, ये सोच हमें काम में पूरी तरह से डुबा देती है। यही कारण है कि हम भूल जाते हैं कि पर्सनल लाइफ भी कुछ होती है। कंपनियों में वर्करों के साथ लचीले कार्यक्रम की पेशकश कर्मचारियों की उपलब्धता 24 घंटे की कर देती है। अपने कामों को घर लेके जाना, ऑफिस की मीटिंग फोन पर लेना, ऑफिस मेल वर्क टाइमिंग के बाद चेक करना आदि आपको नुकसान पहुंचा सकती है। इसके लिए आपको सीमाएं स्थापित करने की आवश्यकता है और टाइम को भी तय करने की जरूरत है।
9. छुट्टियों पर जाएं (Go On vacation)
नौकरी पेशा करने वाले लोगों को एक समय पर छुट्टियां लेनी चाहिए। ताकि वह मानसिक तनाव से बाहर निकल सकें, परिवार को समय दे सकें, अपना मानसिक संतुलन सुधार सकें और अपने लिए थोड़ा समय निकाल सकें और उसका प्रयोग अपनी पर्सनल डेवलपमेंट पर कर सकें। छुट्टियां उनके लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी। जहां वह अपने वर्क स्ट्रेस और अन्य स्ट्रेस से दूर रह कर थोड़ा सा समय अपने लिए निकाल पाएंगे और एक बार वापस आने के बाद फ्री माइंड के साथ काम कर सकेंगे।
10. अपनी स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें (Prioritize Your Health)
स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है। यदि आप स्वस्थ नहीं तो आप अच्छे से काम नहीं कर पाएंगे। स्वास्थ्य से हमारा मतलब केवल शारीरिक स्वास्थ्य से नहीं है बल्कि भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य से भी। यदि आप किसी रूप से अस्वस्थ तो ये आपकी वर्क लाइफ के लिए और पर्सनल लाइफ दोनों के लिए नुकसानदायक है। आपको किसी भी कार्य से पहले अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि आप अन्य सभी कार्य अच्छी तरह कर सकें। लोग अपने काम और परिवार के आगे अपने स्वास्थ्य को भूल से जाते हैं। लेकिन आपको ये समझने की जरूर है कि आप ठीक रहेंगे तभी तो काम भी कर सकेंगे।
11. को-वर्कर से आवश्यकता अनुसार बात करें (Talk to Co-Workers as Needed)
ऑफिस के को-वर्कर से आवश्यकता के अनुसार बात करें। ना ज्यादा कम ना ज्यादा अधिक। इतनी की एक अच्छा कम्यूनिकेशन बना रहें और आवश्यकता के समय वह आपकी सहायता कर सकें और आप उनकी। अधिक भागीदारी भी नुकसानदायक है और कम भी। जरूरत के अनुसार और आवश्यक मुद्दों पर बात करें।
12. ऑफिस पॉलिटिक्स से बचें (Avoid Office Politics)
ऑफिस पॉलिटिक्स ही होती है जो कर्मचारियों में स्टैस का कारण बनती है। आपको पता भी नहीं चलेगा कि आप कब इसका शिकार हो गए। इसलिए अपने काम से काम रखें और ऑफिस गॉसिप्स में हिस्सा न लें। एक समय बात ये सारी बातें दिमाग में घर कर लेती हैं और ये आपके काम और आपके मानसिक संतुलन को खराब करने लगती है। जिसके कारण आप अपने पर्सनल स्पेस में भी इन्हीं टॉपिक्स और लोगों के बारे में बात करने लगते हैं। इससे बचें।