What is E-Gram Swaraj in PANCHAYATI RAJ: भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पंचायती राज की वकालत करते थे। उनका मानना था कि भारत की राजनीतिक प्रणाली की नींव के रूप में पंचायती राज बहुत आवश्यक है। प्रत्येक गांव में पंचायतों के होने से वह अपने मामलों का जिम्मेदार होगा। जिसके लिए एक शब्द है "ग्राम स्वराज"।
पंचायती राज प्रणाली की सबसे पहले शुरुआत बिहार राज्य में वर्ष 1947 में बिहार पंचायत राज अधिनियम के द्वारा की गई थी। इसे ब्रिटिश के शासन काल में लॉर्ड रिपन द्वारा शुरू किया गया था। भारत की स्वतंत्रता के बाद 1959 में इस प्रणाली को राजस्थान के नागौर जिले में लागू किया गया।
पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने के लिए 1992 का संवैधानिक अधिनियम, जिसे आप 73वां संविधान संशोधन के नाम से भी जानते हैं को लागू किया गया था। इस प्रकार भारत में पंचायती राज की शुरुआत हुई।
समय के साथ पंचायती राज/ ई-गवर्नेंस को मजबूती देने और इसके प्रति लोगों की विश्वसनीयता को बढ़ाने के लिए ई-ग्राम स्वराज की शुरुआत की गई। आइए आपको बताएं की ई-ग्राम स्वराज क्या है ? साथ ही साथ आपको इसके लाभार्थी विवरण की जानकारी भी विस्तार से देंगे।
क्या है ई-ग्राम स्वराज सिस्टम
ई-गवर्नेंस को मजबूत करने के लिए, 24 अप्रैल, 2020 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर पंचायती राज के लिए एक सरलीकृत कार्य आधारित लेखा आवेदन ई-ग्राम स्वराज को लॉन्च किया गया था। इसे पीआरआई में ई-गवर्नेंस को मजबूत करने के लिए किया गया था। ई-पंचायत मिशन मोड प्रोजेक्ट (एमएमपी) के तहत सभी अनुप्रयोगों की कार्यात्मकताओं को मिलाकर इसे विकसित किया गया है।
बता दें कि ई-ग्राम स्वराज का विकास लोगों में पंचायतों के प्रति विश्वसनीयता को बढ़ाने के लिए किया गया था। इसकी सहायता से ग्रामीण इलाकों में रह रहे लोगों में पंचायतों को लेकर विश्वास जगाना है, साथ ही साथ पंचायती राज के संस्थानों के लिए धन का अधिक से अधिक हस्तांतरण भी करता है। ई-ग्राम स्वराज विकेंद्रीकृत योजना, कार्य आधारित लेखांकन और प्रगति रिपोर्टिंग में पारदर्शिता प्रदान करती है।
ई-ग्राम स्वराज के बाद पंचायती राज मंत्रालय ने एक ई-वित्तीय प्रबंधन प्रणाली की स्थापना की, जिसमें पंचायत योजना, भौतिक प्रगति, वित्तीय प्रगति और संपत्ति प्रबंधन शामिल है।
ई-ग्राम स्वराज के साथ लाभार्थी विवरण
पारदर्शिता बढ़ाने और पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए पंचायती राज मंत्रालय की ओर से ई-ग्राम स्वराज एप्लीकेशन के साथ विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों के लाभार्थियों के विवरण को एकीकृत करने का प्रयास किया जा रहा है। सार्वजनिक सत्यापन के लिए ग्राम सभाओं के दौरान पढ़ने के लिए ग्राम पंचायतों को जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। यह सत्यापन डिजिटलीकरण और सार्वजनिक भागीदारी के माध्यम से जवाबदेही सुनिश्चित करने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
संपत्तियों की जियो-टैगिंग
• प्रभावी निगरानी के एक भाग के रूप में, कार्यों की भौतिक प्रगति की क्षेत्र-स्तरीय निगरानी करना अनिवार्य है। इसके अलावा सिस्टम को मजबूत करने के लिए पूरक संपत्तियों की जियो-टैगिंग अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके लिए मंत्रालय की ओर से mActionSoft - एक मोबाइल आधारित समाधान विकसित कि गया है, जो उन कार्यों के लिए जियो-टैग के साथ फोटो खींचने में मदद करता है। बता दें, संपत्तियों की जियो-टैगिंग तीनों चरणों में की जाती है- काम शुरू होने से पहले, काम के दौरान और काम पूरा होने पर। यह प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, जल संचयन, सूखा प्रूफिंग, स्वच्छता, कृषि, चेक डैम और सिंचाई चैनल आदि से संबंधित सभी कार्यों और संपत्तियों पर जानकारी का भंडार प्रदान करेगा।
• प्रगति (दिसंबर 2022 तक): चालू वर्ष में 15वें वित्त आयोग के तहत की गई गतिविधियों के लिए ग्राम पंचायतों द्वारा संपत्ति की 2.05 लाख तस्वीरें अपलोड की गई हैं।
सिटीजन चार्टर
• मंत्रालय की ओर से सेवाओं के मानक, सूचना, पसंद और परामर्श, गैर-भेदभाव और पहुंच, शिकायत निवारण, शिष्टाचार और धन के मूल्य के संबंध में अपने नागरिकों के प्रति पंचायती राज संस्थाओं (PRI) की प्रतिबद्धता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रदान किया जा रहा है। "मेरी पंचायत मेरा अधिकार - जन सेवा हमारे द्वार" के नारे के साथ सिटीजन चार्टर दस्तावेज़ (https://panchayatcharter.nic.in/) अपलोड करने का मंच प्रदान करता है, जिसमें संगठन की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए नागरिकों से संगठन की अपेक्षाएं भी शामिल हैं।
• कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय, भारत सरकार में प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग, अधिक उत्तरदायी और नागरिक-अनुकूल शासन प्रदान करने के अपने प्रयासों में केंद्र सरकार राज्य में नागरिक चार्टर बनाने और संचालित करने के प्रयासों का समन्वय करता है। यह चार्टर्स के निर्माण और कार्यान्वयन के साथ-साथ उनके मूल्यांकन के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करेगा। पिछले साल दिसंबर तक 2.15 लाख ग्राम पंचायतों ने अपना स्वीकृत सिटीजन चार्टर अपलोड किया है और नागरिकों को 952 सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, जिनमें से 268 सेवाएं ऑनलाइन मोड के माध्यम से प्रदान की जाती हैं।
ऑनलाइन ऑडिट करें
• महत्वपूर्ण संस्थागत सुधार के एक भाग के रूप में, 15वें वित्त आयोग (XV FC) ने निर्धारित किया है कि पात्रता मानदंड के रूप में पंचायत खातों की लेखापरीक्षित रिपोर्ट को सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। इस संबंध में MoPR ने केंद्रीय वित्त आयोग अनुदानों से संबंधित पंचायत खातों की ऑनलाइन लेखा परीक्षा करने के लिए "ऑडिट ऑनलाइन" एप्लीकेशन की संकल्पना की थी।
यह न केवल खातों के ऑडिटिंग की सुविधा प्रदान करता है बल्कि किए गए ऑडिट से संबंधित डिजिटल ऑडिट रिकॉर्ड को बनाए रखने का भी प्रावधान करता है। यह एप्लीकेशन विभिन्न ऑडिट प्रक्रियाओं को सू-व्यवस्थित करने के लिए प्रदान करता है, जिसमें ऑडिट पूछताछ, ड्राफ्ट स्थानीय ऑडिट रिपोर्ट, ड्राफ्ट ऑडिट पैरा आदि शामिल है। यह एप्लीकेशन की अनूठी विशेषताओं में से एक यह है कि यह राज्यों की ऑडिट प्रक्रिया / प्रवाह के अनुपालन के लिए पूरी तरह से संबंधित राज्य लेखा परीक्षा नियमों/अधिनियमों के लिए कॉन्फ़िगर करने योग्य है। पंचायतों से संबंधित लेखांकन संबंधी सूचनाओं के प्रवाह में आसानी के लिए ऑडिट ऑनलाइन को ईग्रामस्वराज से भी जोड़ा गया है।
वित्त आयोग ग्रामीण स्थानीय निकायों को अनुदान देता है
• 15वें वित्त आयोग (XV FC) ने ग्रामीण स्थानीय निकायों को अनुदान का आवंटन किया है। वित्त वर्ष 2020-21 की अवधि के लिए इसका आवंटन 60,750 करोड़ रुपये और 2021-26 की अवधि के लिए 2,36,805 करोड़ रुपये है, जो गैर-भाग IX राज्यों में सभी स्तरों और पारंपरिक निकायों (छठी अनुसूची के क्षेत्र) में पंचायतों को आवंटित किया गया है।
ग्रामीण प्रौद्योगिकी विकास - स्मार्ट वेंडिंग कार्ट
• ग्रामीण विकास के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की दिशा में अपने प्रयासों में MoPR ने सहयोग किया है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में विक्रेताओं द्वारा उपयोग की जाने वाली स्मार्ट वेंडिंग कार्ट विकसित करने में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और छह IIT शामिल है। IIT बॉम्बे द्वारा डिजाइन की गई स्मार्ट वेंडिंग ई-कार्ट का प्रदर्शन किया गया है और इसे ग्रामीण, अर्ध-शहरी और कृषि क्षेत्रों में विक्रेताओं/छोटे व्यवसायों के उपयोग के लिए काफी उपयुक्त पाया गया है।
• स्मार्ट वेंडिंग ई-कार्ट में उपयोगकर्ता के अनुकूल सक्षम करने वाली प्रौद्योगिकियां और विशेषताएं हैं, जो खराब होने वाले खाद्य पदार्थों/सब्जियों और फलों आदि जैसी वस्तुओं के बेहतर शेल्फ जीवन के लिए उचित भंडारण और तापमान प्रदान करती हैं। इसमें माड्यूलरिटी, एर्गोनॉमिक्स, फोल्डेबिलिटी, ग्राहक आकर्षण के लिए उन्नत विशेषताएं भी हैं। इसके लिए IIT बॉम्बे स्मार्ट वेंडिंग कार्ट के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए फैब्रिकेटर्स के साथ सहयोग कर रहा है। वहीं, पीपीपी मॉडल के जरिए उत्पाद को विभिन्न प्रकारों में भी विकसित किया गया है, जिसमें- रेट्रोफिट, मैनुअल और स्मार्ट 'ई संस्करण' शामिल है।
• पंचायती राज मंत्रालय और एनआईसी - MoPR देश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्मार्ट ई-वेंडिंग कार्ट की खुदरा बिक्री के लिए एक मंच के रूप में काम करने के लिए एक पोर्टल विकसित करने की प्रक्रिया में भी हैं।