National Statistics Day 2024: आपने बचपन में सांख्यिकी का चैप्टर तो अवश्य पढ़ा होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस भी मनाया जाता है। जी हां आपने सही सुना सांख्यिकी के क्षेत्र में प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस के योगदान के सम्मान में हर साल भारत में 29 जून को राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस मनाया जाता है।
![कौन हैं प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस? कौन हैं प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस?](https://images.careerindia.com/hi/img/2024/06/nationalstatisticsday2024-n-1719435792.jpg)
यह दिन देश भर में बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। प्रोफेसर प्रशांत चंद्र ने सांख्यिकी के क्षेत्र में अहम एवं महत्वपूर्ण योगदान दिया है, उनके इसी योगदान के 29 जून के दिन याद किया जाता है और यह दिन सेलिब्रेट किया जाता है। स्कूल, कॉलेज समेत कई संस्थानों में राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस पर विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम और गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।
प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस को प्रमुख रूप से भारतीय सांख्यिकी संस्थान की स्थापना और सांख्यिकीय माप महालनोबिस दूरी को विकसित करने में उनके अग्रणी कार्य और योगदान के लिए जाना जाता है। हालांकि अपने पाठकों को जानकारी के लिए बता दें कि राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस और वर्ल्ड सांख्यिकी दिवस दोनों अलग दिवस हैं। राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस और वर्ल्ड सांख्यिकी दिवस, एक साथ नहीं मनाया जाता है। विश्व सांख्यिकी दिवस, संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित दिवस है और यह हर 5 साल में 20 अक्टूबर के दिन ही मनाया जाता है।
आइए जानते हैं भारत में 29 जून को राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के रूप में क्यों मनाया जाता है? कौन हैं प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस?
राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस 29 जून को क्यों मनाया जाता है?
भारत सरकार ने 5 जून, 2007 को सांख्यिकी और आर्थिक नियोजन के क्षेत्र में प्रशांत चंद्र महालनोबिस द्वारा किए गए योगदान के सम्मान में 29 जून को राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के रूप में नामित किया। पहला राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस 29 जून 2007 को मनाया गया था। इसके बाद से प्रत्येक वर्ष 29 जून को ही मनाया जाता है। प्रोफेसर महालनोबिस भारत के पहले योजना आयोग का महत्वपूर्ण हिस्सा थे। और 1931 में प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यही वजह है कि हर साल उनके जन्म जयंती के अवसर पर देश में राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस मनाये जाने का निर्णय लिया गया।
कौन हैं प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस?
प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस का जन्म 29 जून 1893 को कलकत्ता, अब कोलकाता में हुआ। वे एक भारतीय सांख्यिकीविद् थे। उन्होंने महालनोबिस दूरी तैयार की और दूसरी पंचवर्षीय योजना अर्थात वर्ष 1956 से 61 के दौरान औद्योगीकरण के लिए भारत की रणनीति तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस का जन्म कलकत्ता के एक शैक्षणिक रूप से उन्मुख परिवार में हुआ। महालनोबिस ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कलकत्ता (अब कोलकाता) में प्राप्त की। 1912 में कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से भौतिकी में सम्मान के साथ स्नातक होने के बाद, वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में भौतिकी और गणित का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड चले गए।
भारतीय सांख्यिकी संस्थान की स्थापना
सन् 1915 में विश्वविद्यालय छोड़ने से ठीक पहले महालनोबिस को उनके एक शिक्षक ने सांख्यिकी से परिचित कराया। जब वे भारत लौटे, तो उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज में भौतिकी पढ़ाने का एक अस्थायी पद स्वीकार कर लिया और 1922 में वे वहाँ भौतिकी के प्रोफेसर बन गए। हालाँकि सांख्यिकी में उनकी रुचि एक गंभीर शैक्षणिक खोज में विकसित हुई थी और उन्होंने नृविज्ञान, मौसम विज्ञान और जीव विज्ञान की समस्याओं के लिए सांख्यिकीय विधियों को लागू किया। 17 दिसंबर 1931 को उन्होंने कलकत्ता में भारतीय सांख्यिकी संस्थान की स्थापना की।
महलोनोबिस माप क्या है?
प्रोफेसर महालनोबिस ने दो डेटा सेटों के बीच तुलना का एक उपाय तैयार किया, जिसे अब महलोनोबिस माप के रूप में जाना जाता है। उन्होंने बड़े पैमाने पर सेंपल सर्वे करने के लिए नए नए तकनीकों की शुरुआत की और रैंडम सैंपलिंग की विधि का उपयोग करके एकड़ और फसल की पैदावार की गणना की। उन्होंने फ्रैक्टाइल ग्राफिकल विश्लेषण नामक एक सांख्यिकीय विधि तैयार की, जिसका उपयोग विभिन्न लोगों के समूहों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों की तुलना करने के लिए किया जा सकता था। उन्होंने बाढ़ नियंत्रण के लिए आर्थिक नियोजन में भी सांख्यिकी लागू की।
संस्थान और संगठनों की स्थापना
व्यापक सामाजिक व आर्थिक सांख्यिकी प्रदान करने के उद्देश्य से, महालनोबिस ने 1950 में नेशनल सैंपल सर्वे की स्थापना की। उन्होंने भारत में सांख्यिकीय गतिविधियों के समन्वय के लिए केंद्रीय सांख्यिकी संगठन की भी स्थापना की। वे 1955 से 1967 तक भारत के योजना आयोग के सदस्य भी रहें। योजना आयोग की दूसरी पंचवर्षीय योजना ने भारत में भारी उद्योग के विकास को प्रोत्साहित किया और भारतीय अर्थव्यवस्था के महालनोबिस के गणितीय विवरण पर भरोसा किया। जिसे बाद में महालनोबिस मॉडल के रूप में जाना गया।
प्रोफेसर महालनोबिस पद्म विभूषण से सम्मानित
महालनोबिस ने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विभागों को संभाला। उन्होंने 1947 से 1951 तक सैंपलिंग पर संयुक्त राष्ट्र उप-आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। 1949 में उन्हें भारत सरकार का मानद सांख्यिकीय सलाहकार नियुक्त किया गया। उनके अग्रणी कार्य के लिए उन्हें 1968 में भारत सरकार द्वारा भारत के सर्वोच्च सम्मानों में से एक पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।