स्वतंत्रता दिवस हर साल भारत में 15 अगस्त के दिन बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन देश के प्रधानमंत्री दिल्ली में स्थित लाल किले पर ध्वजारोहण करते हैं और अपने सार्वजनिक भाषण से देश को संबोधित करते हैं। इस साल देश 75वां स्वतंत्रता दिवस को आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मनाने जा रहा है। जिसके लिए पीएम मोदी ने देश की जनता से 13 अगस्त से 15 अगस्त तक हर घर तिरंगा फहराने की अपील की है।
अंग्रेजों की 200 साल गुलामी सहने के बाद आखिरकार भारत को 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली थी। आजादी पाने के लिए भारत के सभी लोगों ने एकजुट संघर्ष किया था और कई वीर सेनानियों ने तो अपने प्राणों की आहुती भी दी थी। तो चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको झारखंड की उन महिलाओं के बारे में बताते हैं जिन्होंने देश को आजाद कराने के लिए स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था।
झारखंड पूर्वी भारत का एक राज्य है। यह अपने झरनों, पारसनाथ हिल के सुंदर जैन मंदिरों और बेतला राष्ट्रीय उद्यान के हाथियों और बाघों के लिए जाना जाता है। राज्य की राजधानी रांची में 17 वीं शताब्दी का जगन्नाथ मंदिर, एक हिंदू मंदिर और झारखंड युद्ध स्मारक है।
झारखंड की महिला स्वतंत्रता सेनानियों की सूची
1. सरस्वती देवी
सरस्वती देवी का जन्म झारखंड में 5 फरवरी,1901 को हुआ था। इनके पिता राय विष्णु दयाल लाल सिन्हा उर्दू, फारसी एवं अरबी भाषा के संत कोलंबा महाविद्यालय में अध्यापक थे। सरस्वती देवी का विवाह मात्र तेरह साल की उम्र में हजारीबाग के दारू गांव के केदारनाथ सहाय (वकील) के साथ हुआ था। जिसके बाद सरस्वती देवी वर्ष 1916-17 में स्वाधीनता आंदोलन से जुड़ गई थी। वर्ष 1921 में गांधीजी के आह्वान पर सरस्वती देवी ने असहयोग आंदोलन में भी हिस्सा लिया था। जिसके लिए उन्हें गिरफ्तार कर हजारीबाग सेंट्रल जेल भेज दिया गया था। जेल से रीहा होने के बाद सरस्वती देवी फिर से देश की आजादी में पूरे प्राण प्रण से लगी थी। देश को आजादी मिलने के बाद सरस्वती देवी ने जगह-जगह जाकर लोगों को मिठाई खिलाई थी। जिसके बाद 10 दिसंबर, 1958 को मात्र 57 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई थी।
2. ऊषा रानी मुखर्जी
ऊषा रानी मुखर्जी को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गिरफ्तार कर 6 महीनों के लिए भागलपुर जेल में डाल दिया गया था। जेल से रिहा होने के बाद इन्होंने संताल परगना से स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी।
3. राजकुमारी सरोज दास
पलामू क्षेत्र से राजकुमारी सरोज दास स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय थी। इन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जपला सिमेंट फैक्ट्री में मजदूरों और किसानो को संगठित करकर ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध किया था।
4. बिरजी मिर्धा
बिरजी मिर्धा स्वतंत्रता सेनानी हरिहर मिर्धा की पत्नी थी। इन्होंने अपने पति के साथ मिलकर देश की आजादी के लिए भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था। जिस वजह से अंग्रेजों ने इनकी 28 अगस्त 1942 में गोली मारकर हत्या कर दी थी।
5. देवमनिया भगत
देवमनिया भगत गुमला जीले के बभुरी गांव की रहने वाली थी। ये जतरा भगत की समकालीन थी, इन्होंने देश की आजादी के लिए ताना भगत आंदोलन में नेतृत्व किया था।