प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाता है। विश्वभर में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए इस दिन की शुरुआत की गई है। समाज में लिंग भेदभाव को मिटाने के लिए और महिलाओं को उनके अधिकार देने के लिए और लोगों को उनके महत्व के बारे में समझाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए विश्व स्तर पर कई तरह के कार्यक्रम चल रहे हैं। इसके साथ राष्ट्र अपने स्तर भी महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं। वहीं भारत महिलाओं को शिक्षा कौशल और सूक्ष्म वित्तपोष्ण यानी माइक्रो फाइनेंस में सशक्त बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
महिलाएं चाहें तो क्या नहीं कर सकती है। वह किसी भी क्षेत्र में कार्य करने के लिए पूरी तरह से योग्य है। उनकी शक्ति को केवल इस बात से आंकना की वह महिलाएं है गलत होगा। आज के इस समय में महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है और नाम रोशन कर रही हैं। आज महिला दिवस पर हम आपको भारत द्वारा शिक्षा, कौशल और सूक्ष्म-वित्तपोषण में महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए जा रहे कार्यो के बारे में बताएंगे।
शिक्षा, कौशल और सूक्ष्म-वित्तपोषण से महिला सशक्तिकरण
2011 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल आबादी का 48.5% महिलाओं की आबादी है, समाज की बदलती गतिशीलता में महिला सशक्तिकरण बहुत महत्वपूर्ण है। मन की बात के 82वें संस्करण में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भी महिला सशक्तिकरण की बात कही है। महिलाओं में आत्मविश्वास भरने और उन्हें सशक्त करने का सबसे अच्छा तरीका है शिक्षा। यह समाज में उनकी स्थिति को बदलने में सक्षम बनाती है। स्किल डेवलपमेंट और माइक्रो फाइनेंस महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बना सकते हैं और इसलिए वह अब समाज में दूसरों पर निर्भर नहीं हैं। महिलाओं को शिक्षा देने का अर्थ है पूरे परिवार को शिक्षा देना।
मुद्रा योजना
सरकार का ध्यान महिला विकास से हटकर महिला नेतृत्व वाले विकास पर केंद्रित हो गया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार शिक्षा, कौशल, प्रशिक्षण और संस्थागत ऋण तक महिलाओं की पहुंच को अधिकतम करने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रही है। MUDRA योजना (माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड) एक ऐसी योजना है जिसे 8 अप्रैल 2015 को लॉन्च किया गया था इसमें बिना किसी संपार्श्विक के महिला उद्यमियों को 10 लाख तक का लोन प्रदान किया जाता है। उदाहरण के लिए: पानीपत की कमला नाम की एक दिहाड़ी मजदूर ने ब्यूटी पार्लर शुरू करने के लिए 45000 रुपए का लोन लिया और अब वह गरिमापूर्ण जीवन व्यतीत कर रही है।
पहले बहुत सी महिलाओं ने बच्चों को जन्म देने के बाद अपनी नौकरी छोड़ दी, जिसके कारण बहुत सी कामकाजी महिलाएँ बेरोजगार हो गईं। सरकार ने मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम 2017 पारित किया है, जिसमें मातृत्व अवकाश की अधिकतम अवधि 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दी गई है। माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रचारित महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के दृष्टिकोण को ऐतिहासिक कानून ने एक नया जीवन दिया है।
हालांकि एक के बाद एक आने वाली सरकारों ने महिलाओं के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए कई उपाय किए हैं लेकिन फिर भी हमारे समाज में महिलाओं को बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए महिलाओं की सुरक्षा के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। साथ ही, समाज में पुरुषों की स्थिति के बराबर उनकी गरिमा को बनाए रखने की आवश्यकता है। ताकि महिला एवं पुरुष दोनों ही कंधे से कन्धा मिलाकर चलते हुए समाज को प्रगति की ओर ले जाएं और साथ मिलकर काम करते हुए आपसी सहयोग से एक उन्नत समाज निर्मित करें।
सश्क्तिकरण में शिक्षा और आय का महत्व
महिला सशक्तिकरण के लिए आय और शिक्षा दोनों महत्वपूर्ण कारक हैं। शिक्षित और कमाने वाली महिलाएं हमारे समाज में अशिक्षित महिला श्रमिकों की तुलना में बहुत बेहतर स्थिति में हैं। इसलिए कामकाजी महिलाओं के लिए सुरक्षित और सुविधाजनक आवास उपलब्ध कराने के लिए कामकाजी महिला छात्रावास नामक एक योजना शुरू की गई है। इस योजना का लाभ प्रत्येक कामकाजी महिला को जाति, धर्म, वैवाहिक स्थिति आदि के भेदभाव के बिना दिया जाता है। इस योजना का लाभ लेने के लिए महिलाओं की सकल कुल आय महानगरीय शहरों के मामले में 50,000 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए जबकि छोटे शहरों में 35000 से अधिक नहीं होनी चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र ने अपनाया CEDAW
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन के लिए (सीईडीएडब्ल्यू) को अपनाया। CEDAW महिलाओं के अधिकारों के लिए एक अंतरराष्ट्रीय विधेयक स्थापित करता है। CEDAW का अनुच्छेद 10 महिलाओं को शिक्षा का अधिकार प्रदान करने की बात करता है। भारत ने महिलाओं के उत्थान के लिए CEDAW का बढ़ चढ़कर समर्थन किया है।
भारत संविधा में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए प्रावधान
भारत के संविधान में कुछ प्रावधान हैं जो विशेष रूप से महिला सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित करते हैं और समाज में महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को रोकते हैं। अनुच्छेद 14 कानून के समक्ष समानता की बात करता है। अनुच्छेद 15 राज्य को महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान करने में सक्षम बनाता है। चूंकि मानवता की प्रगति महिलाओं के बिना अधूरी है, इसलिए उत्तरोत्तर सरकारों ने पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। देश में सभी बालिकाओं को शिक्षित करने के लिए और लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आंदोलन शुरू किया गया है। और सरकार इस योजना को लागू करने में बेहद सफल रही। यह योजना 22 जनवरी 2015 को हरियाणा के पानीपत जिले में शुरू की गई थी। इस योजना के शुरू होने से पहले, पानीपत का बाल लिंग अनुपात 2001 में 808 और 2011 में 837 था। इस योजना के शुरू होने के बाद पानीपत के बाल लिंग अनुपात में दिन-ब-दिन सुधार हो रहा है। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कार्यक्रम के बारे में व्यापक प्रचार किया जाता है ताकि लोग अधिक से अधिक जागरूक हों।
महिलाओं के लिए आगे बढ़ने के रास्ते
महिलाओं को सश्क्त बनाने के लिए और हर क्षेत्र में उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कई अवसरों की आवश्यकता है। जो इस प्रकार है -
शिक्षा के क्षेत्र में महिलाएं
लड़कियों के शिक्षा के अधिकार और शिक्षण संस्थानों में भेदभाव से मुक्त होने के उनके अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा नीति को और अधिक समावेशी बनाने की आवश्यकता है। साथ ही, शिक्षा नीति को युवा पुरुषों और लड़कों को लड़कियों और महिलाओं के प्रति अपने दृष्टिकोण को सकारात्मक रूप से बदलने के लिए लक्षित करना चाहिए।
• लड़कियों के स्कूल छोड़ने की उच्च दर पर अंकुश लगाने के लिए, बारहवीं कक्षा तक लड़कियों की शिक्षा के लिए अपेक्षाकृत उच्च वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करने की आवश्यकता है।
• स्नातकोत्तर इंदिरा गांधी छात्रवृत्ति को एकल बालिका योजना से दो लड़कियों वाले परिवारों तक बढ़ाया जाना चाहिए।
• उन गांवों/जिलों को पुरस्कृत किया जाना चाहिए जो शिक्षा, सूचना और संचार अभियानों के माध्यम से समान बाल लिंगानुपात प्राप्त करने में सक्षम हैं।
• ई-गवर्नेंस पर अतिरिक्त जोर दिया जाना चाहिए ताकि छात्राओं के लिए छात्रवृत्ति के लिए केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा जारी किए गए खर्च पर समय पर जांच हो सके। ताकि लाभ उसी व्यक्ति तक पहुंचे जो उसका अधिकारी है।
• सुरक्षा उद्देश्यों के लिए, छात्रावासों में लिंग के अनुकूल सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए।
महिलाओं के लिए स्किल डेवलपमेंट
• महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए गैर पारंपरिक कार्यों जैसे इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर आदि में महिलाओं के कौशल विकास को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
• डिजिटल इंडिया जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल मार्केटिंग और ब्रांडिंग उद्देश्यों के लिए और कॉरपोरेट्स, बाजारों और उपभोक्ताओं के साथ संबंध स्थापित करने के लिए किया जाना चाहिए।
• सरकारी प्रयासों के अलावा, गैर-सरकारी संगठनों और अन्य संस्थानों को महिलाओं को रोजगारपरक कौशल और प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए ताकि उन्हें शालीनता से कमाने के लिए वैकल्पिक और प्रतिष्ठित व्यवसाय खोजने में मदद मिल सके।
माइक्रो फाइनेंस में महिला सश्क्तिकरण
• महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों को बाजार और मूल्य श्रृंखला से संबंधित आजीविका विकास विकल्पों पर हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है।
• नीतियां और दिशा-निर्देश इस प्रकार बनाए जाने चाहिए कि महिला उद्यमियों को ऋण सुविधा प्राप्त करने में आसानी हो।
• सरकार को महिलाओं द्वारा स्वयं सहायता समूह के निर्माण को बढ़ावा देना चाहिए।
• महिलाओं के रोजगार के लिए उद्योग-विशिष्ट लक्ष्यों की आवश्यकता है और फर्म द्वारा उनके कार्यान्वयन को प्रेरित करें।
• 30 प्रतिशत महिला कर्मचारियों को रोजगार देने वाली कंपनियों को कर लाभ दिया जाना चाहिए।