भारत 15 अगस्त, 2022 को आजादी के 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए तैयारी में जुट चुका है। जिसके लिए देश भर में जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित करने की प्लेनिंग की जा रही है लेकिन इन सभी कार्यक्रमों में एक बात हमेशा की तरह खास होगी और वो है ध्वजारोहण व राष्ट्र गान। दुनिया के लगभग सभी देशों में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद देश का राष्ट्रीय गीत गाया जाता है। इसी प्रकार में भारत में भी ध्वजारोहण के बाद राष्ट्रगान 'जन गण मन' गाया जाता है। राष्ट्रगान बच्चों को बचपन में स्कूल ही स्कूल में होने वाली प्रार्थना में सीखा दिया जाता है।
बता दें कि भारत का राष्ट्रगान भारतीय प्रसिद्ध कवि और नाटककार, रवींद्रनाथ टैगोर के लेखन से लिया गया है। हालांकि, यह मूल रूप से बंगाली भाषा में लिखा गया था जिसका शीर्षक 'भरोतो भाग्य बिधाता' था। विशेष रूप से, किसी भी देश का राष्ट्रगान देश की धार्मिक और क्षेत्रीय विविधता और एकता को दर्शाता है। तो आइए आज के इस आर्टिकल में हम आपको स्वतंत्रता दिवस से पहले हमारे राष्ट्रगान के बारे में 10 रोचक तथ्यों से अवगत कराते हैं।
भारतीय राष्ट्रगान से जुड़े 10 रोचक तथ्य
1. साल 1911 के दिसंबर में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में कथित तौर पर भारत का राष्ट्रगान 'जन गण मन' पहली बार गाया गया था।
2. भारतीय राष्ट्रगान की मूल पंक्तियां बंगाली में लिखी गई थीं और पूर्ण गान में 5 श्लोक हैं।
3. 5 श्लोकों में से, केवल पहला श्लोक भारत भर के नागरिकों द्वारा सामान्य रूप से जाना और गाया जाता है।
4. 1919 में भारतीय राष्ट्रगान का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया गया, जिसका शीर्षक था "मोर्निंग सोंग ऑफ इंडिया"।
5. पहली बार 1905 में तत्वबोधिनी पत्रिका में राष्ट्रगान का पाठ प्रकाशित हुआ।
6. नेताजी सुभाष चंद्र बोस पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 11 सितंबर, 1942 को जर्मन-भारतीय समाज की बैठक के दौरान "जग गण मन" को 'राष्ट्रगान' का लेबल दिया। औपचारिक रूप से 1950 में 'जन गण मन' को राष्ट्रगान का दर्जा दिया गया।
7. भारतीय राष्ट्रगान "जग गण मन" लगभग 52 सेकंड में गाया जा सकता है।
8. राष्ट्रगान के हिंदी संस्करण को 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था।
9. भारत के राष्ट्रगान के चयन का श्रेय नेताजी सुभाष चंद्र बोस को जाता है क्योंकि वे राष्ट्रगान के चयन निकाय में प्रमुख व्यक्ति थे।
10. राष्ट्रगान का हिंदी-उर्दू संस्करण में अनुवाद करने का श्रेय कैप्टन आबिद हसन सफरानी को जाता है, जिसका शीर्षक 'सुख सुख चैन' है।