10 Lines on New Parliament Building in Hindi: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानि 28 मई 2023 को राष्ट्रीय राजधानी में दिल्ली में नवनिर्मित संसद भवन उद्घाटन करेंगे। इस नए संसद भवन को राष्ट्र को समर्पित करने के लिए तमाम तैयारियां पूरी कर ली गई है। नए भवन को आत्मनिर्भर भारत की भावना का प्रतीक माना जायेगा।
आपको बता दें कि महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा योजना के हिस्से के रूप में यह इमारत पिछले तीन वर्षों से निर्माणाधीन थी। पुराने संसद भवन में कई नए बदलावों और आवश्यकताओं के मद्देनज़र सरकार ने यह आकलन करने के बाद नई संसद बनाने का निर्णय लिया था। गौरतलब हो, नए संसद भवन का निर्माण अब पूरा हो गया है।
वर्तमान संसद भवन के 100 वर्ष
मालूम हो कि राजधानी दिल्ली स्थित संसद के वर्तमान भवन का निर्माण 1927 में पूरा हुआ था, जिसे अब लगभग 100 वर्ष पूर्ण होने जा रहे हैं। भवन से जुड़े कई आवश्यकताओं में नवतकनीकों की कमी महसूस की जा रही थी, और इन्हीं कारणों की वजह से नए संसद भवन के निर्माण का प्रस्ताव रखा गया था। बता दें कि वर्तमान संसद भवन के दोनों सदनों में सांसदों के बैठने की सुविधाजनक व्यवस्था का भी अभाव था, जिससे सदस्यों की कार्यकुशलता प्रभावित हो रही थी।
नए संसद भवन की आवश्यकता पर कई मतभेद हुए और अंततः इस मुद्दे पर विचार करते हुए, लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने प्रस्ताव पारित कर सरकार से संसद के लिए एक नई इमारत बनाने का आग्रह किया। फलस्वरूप, 10 दिसंबर 2020 को पीएम मोदी द्वारा संसद के नए भवन की आधारशिला रखी गई।
नए संसद भवन की आवश्यकता
आपको बता दें कि वर्ष 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि "वर्षों से एक नए संसद भवन की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। 21वीं सदी के भारत को एक नए संसद भवन परिसर की आवश्यकता है, ताकि नवतकनीकों से इसे और उन्नत बनाया जा सके। नया संसद भवन देश की आकांक्षाओं को पूरा करेगा।"
पुराना संसद भवन कैसा है?
समाचार प्रसारित करने वाली एजेंसी पीबीएनएस की एक खबर के अनुसार, पुराना संसद भवन करीब छह एकड़ क्षेत्र में बना है और यह दुनिया के विभिन्न देशों के सबसे विशिष्ट संसद भवनों में से एक है। आइए समझे आसान बिंदुओं के माध्यम से -
- 144 मजबूत स्तंभों पर टिका वर्तमान संसद भवन करीब 100 साल पहले अंग्रेजों ने बनवाया था।
- अगर पुराने संसद भवन की स्थापना के बारे में बात करें तो... संसद भवन की आधारशिला 12 फरवरी, 1921 को तब के महामहिम द ड्यूक ऑफ कनॉट ने रखी थी।
- पुराने संसद भवन के निर्माण में करीब छह वर्ष लगे और इसका उद्घाटन भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन ने 18 जनवरी, 1927 को किया।
- उस समय इसके निर्माण पर 83 लाख रुपये की लागत आई।
- करीब 95 साल पुराने इस भवन के निर्माण के बाद दुनिया बहुत बदल चुकी है। जहां संसद के सदस्यों की संख्या बढ़ गई है।
- पुरानी लोकसभा में 590 सदस्यों के बैठने की क्षमता है।
- राज्यसभा में सदस्यों के बैठने की क्षमता 280 है।
- इसके अलावा वेंटीलेशन सिस्टम, इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम, ऑडियो-वीडियो सिस्टम जैसी कई चीजों में सुधार की जरूरत है।
- इसके अलावा मौजूदा संसद भवन भूकंप रोधी भी नहीं है। ऐसे में सरकार ने नया संसद भवन बनाने का फैसला लिया।
10 लाइनों की मदद से जानें नए संसद भवन के बारे-
इस निर्माण में कुल 64,500 वर्ग मीटर का क्षेत्र शामिल है। नए भवन के निर्माण से ऐतिहासिक संसद भवन की दृश्यता प्रभावित न हो, इसके लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। संसद परिसर की सभी मूर्तियों को भी पुनर्स्थापित किया जायेगा। नवनिर्मित भवन में छह समिति कक्ष बनाए जायेंगे। वर्तमान निर्माण में एक जैसे तीन कमरे हैं। जीर्णोद्धार किए गए श्रम शक्ति भवन में एमपी के लगभग 800 कक्ष स्थापित किए जा रहे हैं। उनका निर्माण, जो अप्रैल 2022 में शुरू हुआ था, मार्च 2024 में पूरा होने की उम्मीद है।
आइए सेंट्रल विस्टा योजना के तहत बने नए संसद भवन की विशेषताओं के बारे में जानते हैं। यहां 10 लाइनों की मदद से जानेंगे नए संसद भवन में क्या खास है और यह आने वाले समय में राष्ट्र की आवश्यकताओं की किस प्रकार पूरा करेगा। यूपीएससी समेत अन्य सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले प्रश्नों की तैयारी के लिए उम्मीदवार इस लेख से सहायता ले सकते हैं।
- नवनिर्मित संसद भवन गुणवत्तापूर्ण निर्माण के साथ रिकॉर्ड समय में बनकर तैयार है। नए संसद भवन में अगर सांसदों के बैठने की व्यवस्था की बात करें तो लोकसभा में सीटों की संख्या 888 की गई हैं।
- राज्यसभा में सदस्यों के बैठने की क्षमता को 280 से बढ़ाकर 384 की गई है। यानी संयुक्त सत्र के दौरान नई संसद भवन में 1,272 से ज्यादा सांसद बैठ सकेंगे।
- इसके अलावा नए संसद भवन की दर्शक दीर्घा गैलरी में 336 लोगों के बैठने का प्रबंध होगा।
- नई संसद के निर्माण का टेंडर टाटा ग्रुप ने जीता था। सेंट्रल विस्टा की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, प्रोजेक्ट की शुरुआती लागत 862 करोड़ रुपये थी। हालांकि, 2021 में लोकसभा में सरकार के एक जवाब से पता चला कि परियोजना की अनुमानित लागत 971 करोड़ रुपये हो गई है।
- नए संसद भवन के साथ, सेंट्रल विस्टा योजना भारत के माननीय उपराष्ट्रपति और प्रधान मंत्री के लिए आधिकारिक आवासों, सामान्य केंद्रीय सचिवालय की 10 इमारतों और सुरक्षा अधिकारियों के लिए सुविधाओं का निर्माण किया जायेगा। सेंट्रल विस्टा योजना की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, इन उक्त परियोजनाओं को 2026 तक चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जायेगा।
- नई संसद का आकार वास्तुशिल्प संरचना के अनुसार त्रिकोणीय है, जिसका निर्माण सेंट्रल विस्टा संरचनाओं की तर्ज पर किया गया है। इसमें लोकसभा, राज्यसभा, केंद्रीय लाउंज और संवैधानिक प्राधिकरणों के कार्यालय हैं।
- नए लोकसभा कक्ष को भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर के नाम पर डिजाइन किया गया है। वहीं दूसरी ओर नया राज्यसभा चैंबर भारत के राष्ट्रीय फूल कमल पर केंद्रित है।
- सरकार के आधिकारिक दस्तावेज के अनुसार, नई सुविधा में लोकसभा और राज्यसभा कक्षों में प्रत्येक बेंच पर दो सदस्य अगल-बगल बैठ सकेंगे। हर सीट पर डिजिटल सिस्टम और टच स्क्रीन लगाई जाएगी।
- नई संरचना में भारत की लोकतांत्रिक विरासत को मनाने के लिए एक संविधान हॉल शामिल होगा। एक पुस्तकालय, एक भोजन क्षेत्र, और सदस्यों के लिए ढेर सारी पार्किंग क्षेत्र का निर्माण भी किया जायेगा।
- नव-निर्मित संसद के मुख्य आकर्षणों में से एक वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण प्रणाली है जो नई संरचना में स्थापित की जाएगी। दस्तावेज़ का दावा है कि पूरे भवन में 100% यूपीएस पावर बैकअप स्थापित किया जाएगा। नई इमारत अहमदाबाद स्थित एचसीपी डिजाइन एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा डिजाइन की गई थी। टाटा प्रोजेक्ट्स को नए संसद भवन के निर्माण का ठेका दिया गया था, जो केंद्र की सेंट्रल विस्टा नवीनीकरण योजनाओं का हिस्सा होगा।